ETV Bharat / state

जादू को नहीं हो रहा दर्शकों का दीदार, कलाकार हो रहे मुफलिसी का शिकार - uttar pradesh news

उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में लगे जादू के शो को दर्शक नहीं मिल रहे हैं. जादू के शो में खाली पड़ी कुर्सियां और लोगों की उदासीनता जादूगर के शो को काफी निराश कर रही हैं. इसी वजह से जादू का खेल दिखाने वाले कलाकार मुफलिसी का शिकार हो रहे हैं.

जादू के शो को नहीं मिल रहे दर्शक.
author img

By

Published : Aug 24, 2019, 4:01 PM IST

गोरखपुर: अमिताभ बच्चन की फिल्म जादूगर ने लोगों के दिलों दिमाग पर राज किया था और इस फिल्म को बॉक्स ऑफिस पर भी खूब वाहवाही मिली थी, लेकिन रील और रियल लाइफ में बहुत फर्क होता है. जहां जिले में लगे जादू के शो में दर्शकों की दरकार है. वहीं जी तोड़ मेहनत करने के बाद भी कलाकार मुकाम हासिल करने में नाकाम हैं. वहीं आधुनिक समय के बदलते परिवेश में लोगों ने अपने मनोरंजन का सबसे बड़ा साधन मोबाइल को बना लिया है. शायद यही वजह है कि उस वक्त 3 घंटे की फिल्म 'जादूगर' को जो सफलता मिली थी वह आज जादू के शो को नहीं मिल पा रही है.

जादू के शो को नहीं मिल रहे दर्शक.

इसे भी पढ़ें- हमीरपुर: बारिश से किसानों में जगी अच्छी फसल की उम्मीद, लेकिन सता रहा अन्ना पशुओं का डर

जादू के शो को नहीं मिल रहे दर्शक

पिछले 15 दिनों से शहर के बैंक रोड स्थित एक स्थानीय मैरिज हाल में जादूगर शहंशाह का शो लगा हुआ है, जो दिन में लगातार तीन शो दिखाकर लोगों का मनोरंजन कर रहा है. ऐसे में खाली पड़ी कुर्सियां और लोगों की उदासीनता जादूगर के शो को काफी निराश कर रही हैं. किसी शो में 15 तो किसी शो में 50 की संख्या में लोग पहुंच रहे हैं, ऐसे में प्रतिदिन का खर्च निकाल पाना भी जादूगर शहंशाह को महंगा पड़ रहा है.

क्या कुछ कहना है जादूगर शहंशाह का
मूलत: प्रयागराज के रहने वाले एलके मिश्रा जिनको इस क्षेत्र में लोग शहंशाह के नाम से जानते हैं, ये पिछले 5 साल से से जादूगरी का खेल दिखाकर लोगों का मनोरंजन कर रहे हैं. एक शो लगभग ढाई से 3 घंटे का होता है जिसमें 6 से अधिक हैरतअंगेज करतब देखकर लोगों के रोंगटे खड़े हो जाते हैं. एलके मिश्रा सरकारी उदासीनता और आधुनिक समाज में आम लोगों की रोजमर्रा की जरूरत बन चुके मोबाइल से काफी आहत हैं. उनका कहना है कि लोग 24 घंटे में 18 से 20 घंटे का समय अपने मोबाइल को देते हैं, ऐसे में खेल दिखाकर पेट पालना बड़ा ही मुश्किल हो गया है.

जादूगर शहंशाह की टीम में कुल 28 लोग अपने घर परिवार को छोड़कर आम लोगों का जादू के माध्यम से मनोरंजन कर रहे हैं. ये जिस भी शहर में जाते हैं, वहां पर एक दिन में तीन शो का आयोजन करते हैं. आयोजन से पहले घंटों मेहनत के बाद एक-एक शो को दिखाया जाता है. इनके हैरतअंगेज कर देने वाले शो में लड़की को हवा में उड़ाना, बाइक गायब करना, 12 फीट की स्टेचू ऑफ़ लिबर्टी को गायब कर देना, नशा मुक्ति पर विशेष करतब को दिखाना, कन्या भ्रूण हत्या जैसे तमाम शो शामिल हैं.

जादूगर शहंशाह ने कहा कि हम विभिन्न शहरों में जाकर अपने शो का आयोजन करते हैं, इस दौरान उन्हें तमाम समस्याओं का सामना भी करना पड़ता है जैसे स्थानीय स्तर पर जिला प्रशासन का सहयोग ना मिलना, जनप्रतिनिधियों का सहयोग ना मिलना, साथ ही स्थानीय लोगों की उदासीनता भी एक बड़ा कारण है.

गोरखपुर: अमिताभ बच्चन की फिल्म जादूगर ने लोगों के दिलों दिमाग पर राज किया था और इस फिल्म को बॉक्स ऑफिस पर भी खूब वाहवाही मिली थी, लेकिन रील और रियल लाइफ में बहुत फर्क होता है. जहां जिले में लगे जादू के शो में दर्शकों की दरकार है. वहीं जी तोड़ मेहनत करने के बाद भी कलाकार मुकाम हासिल करने में नाकाम हैं. वहीं आधुनिक समय के बदलते परिवेश में लोगों ने अपने मनोरंजन का सबसे बड़ा साधन मोबाइल को बना लिया है. शायद यही वजह है कि उस वक्त 3 घंटे की फिल्म 'जादूगर' को जो सफलता मिली थी वह आज जादू के शो को नहीं मिल पा रही है.

जादू के शो को नहीं मिल रहे दर्शक.

इसे भी पढ़ें- हमीरपुर: बारिश से किसानों में जगी अच्छी फसल की उम्मीद, लेकिन सता रहा अन्ना पशुओं का डर

जादू के शो को नहीं मिल रहे दर्शक

पिछले 15 दिनों से शहर के बैंक रोड स्थित एक स्थानीय मैरिज हाल में जादूगर शहंशाह का शो लगा हुआ है, जो दिन में लगातार तीन शो दिखाकर लोगों का मनोरंजन कर रहा है. ऐसे में खाली पड़ी कुर्सियां और लोगों की उदासीनता जादूगर के शो को काफी निराश कर रही हैं. किसी शो में 15 तो किसी शो में 50 की संख्या में लोग पहुंच रहे हैं, ऐसे में प्रतिदिन का खर्च निकाल पाना भी जादूगर शहंशाह को महंगा पड़ रहा है.

क्या कुछ कहना है जादूगर शहंशाह का
मूलत: प्रयागराज के रहने वाले एलके मिश्रा जिनको इस क्षेत्र में लोग शहंशाह के नाम से जानते हैं, ये पिछले 5 साल से से जादूगरी का खेल दिखाकर लोगों का मनोरंजन कर रहे हैं. एक शो लगभग ढाई से 3 घंटे का होता है जिसमें 6 से अधिक हैरतअंगेज करतब देखकर लोगों के रोंगटे खड़े हो जाते हैं. एलके मिश्रा सरकारी उदासीनता और आधुनिक समाज में आम लोगों की रोजमर्रा की जरूरत बन चुके मोबाइल से काफी आहत हैं. उनका कहना है कि लोग 24 घंटे में 18 से 20 घंटे का समय अपने मोबाइल को देते हैं, ऐसे में खेल दिखाकर पेट पालना बड़ा ही मुश्किल हो गया है.

जादूगर शहंशाह की टीम में कुल 28 लोग अपने घर परिवार को छोड़कर आम लोगों का जादू के माध्यम से मनोरंजन कर रहे हैं. ये जिस भी शहर में जाते हैं, वहां पर एक दिन में तीन शो का आयोजन करते हैं. आयोजन से पहले घंटों मेहनत के बाद एक-एक शो को दिखाया जाता है. इनके हैरतअंगेज कर देने वाले शो में लड़की को हवा में उड़ाना, बाइक गायब करना, 12 फीट की स्टेचू ऑफ़ लिबर्टी को गायब कर देना, नशा मुक्ति पर विशेष करतब को दिखाना, कन्या भ्रूण हत्या जैसे तमाम शो शामिल हैं.

जादूगर शहंशाह ने कहा कि हम विभिन्न शहरों में जाकर अपने शो का आयोजन करते हैं, इस दौरान उन्हें तमाम समस्याओं का सामना भी करना पड़ता है जैसे स्थानीय स्तर पर जिला प्रशासन का सहयोग ना मिलना, जनप्रतिनिधियों का सहयोग ना मिलना, साथ ही स्थानीय लोगों की उदासीनता भी एक बड़ा कारण है.

Intro:गोरखपुर। अमिताभ बच्चन की फिल्म जादूगर ने लोगों के दिलों दिमाग पर राज किया था और इस फिल्म को बॉक्स ऑफिस पर भी खूब वाहवाही मिली थी। लेकिन रील और रियल लाइफ में बहुत फर्क होता है। गोरखपुर में लगे जादू के शो में जनता की दरकार है, कलाकार जी तोड़ मेहनत करने के बाद भी वह मुकाम हासिल करने में नाकाम है। लोगों को अपनी तरफ आकर्षित नहीं कर पा रहा। वही आधुनिक समय के बदलते परिवेश में लोगों ने अपने मनोरंजन का सबसे बड़ा साधन मोबाइल को बना लिया है। शायद यही कारण है, उस वक्त 3 घंटे की फिल्म जादूगर को जो सफलता मिली थी। आज इस खेल को दिखाने वाले मुफलिसी के शिकार हैं।


Body:पिछले 15 दिनों से शहर के बैंक रोड स्थित एक स्थानीय मैरिज हाल में जादूगर शहंशाह का शो लगा हुआ है जो लगातार तीन शो दिखाकर लोगों का मनोरंजन कर रहा है। ऐसे में खाली पड़ी कुर्सियां और लोगों की उदासीनता जादूगर के शो को काफी निराश कर रही है। किसी शो में 15 तो किसी शो में 50 की संख्या में लोग पहुंच रहे हैं, ऐसे में प्रतिदिन का खर्च निकाल पाना भी जादूगर शहंशाह के शो को महंगा पड़ रहा है।

मूलत प्रयागराज के रहने वाले एलके मिश्रा जिन्होंने तक की डिग्री हासिल की है पिछले 5 सालों से जादूगरी का खेल दिखा कर लोगों का मनोरंजन कर रहे हैं। इस क्षेत्र में लोग उन्हें शहंशाह के नाम से जानते हैं, एक शो लगभग ढाई से 3 घंटे का होता है। जिसमें आधा दर्जन से अधिक हैरतअंगेज करतब दिखाकर लोगों के रोंगटे खड़ा कर देने वाले एलके मिश्रा सरकारी उदासीनता और आधुनिक समाज में आम लोगों कि रोजमर्रा की जरूरत बन चुके मोबाइल से काफी आहत हैं। उनका कहना है कि लोग 24 घंटे में 18 से 20 घंटे अपने मोबाइल को देते हैं, ऐसे में खेल दिखाकर पेट पालना बड़ा ही मुश्किल हो गया है।

जादूगर शहंशाह की टीम में कुल 28 लोग अपने घर परिवार को छोड़कर आम लोगों का जादू के माध्यम से मनोरंजन कर रहे हैं। यह जिस भी शहर में जाते हैं, वहां पर एक दिन में तीन शो का आयोजन करते हैं। आयोजन से पहले घंटों मेहनत के बाद एक-एक शो को दिखाया जाता है। इनके हैरतअंगेज कर देने वाले शो में लड़की को हवा में उड़ाना, बाइक गायब करना, 12 फीट की स्टेचू ऑफ़ लिबर्टी को गायब कर देना, नशा मुक्ति पर विशेष करतब को दिखाना, मानव कटिंग, फ्रीडम ऑफ मदर इंडिया, मम्मी मिस्ट्री, क्रेजी लेडी, कन्या भ्रूण हत्या पर शो, जिक जैक लेडी दो हिस्सों में काटकर सर को घुमाना सहित तमाम शो का आयोजन किया जाता है।




Conclusion:इस संबंध में जादूगर एलके मिश्रा उर्फ शहंशाह ने बताया कि 28 से 30 लोगों का स्टाफ उनके साथ काम करता है। जो विभिन्न शहरों में जाकर अपने शो का आयोजन करते हैं, इस दौरान उन्हें तमाम समस्याओं का सामना भी करना पड़ता है। जैसे स्थानीय स्तर पर जिला प्रशासन का सहयोग ना मिलना, स्थानीय स्तर पर जनप्रतिनिधियों का सहयोग ना मिलना, साथ ही स्थानीय लोगों की उदासीनता एक बड़ा कारण है। वही आज के आधुनिक युग में लोग सबसे ज्यादा समय मोबाइल को देते हैं। जिससे सर्कस, करतब, जादूगर शो सहित तमाम मनोरंजन के साधनों से लोगों का नाता टूटता जा रहा है और इन करतबों को दिखाकर पेट पालने वाले हम जैसे कलाकार उदासीनता और मुफलिसी का शिकार हो रहे हैं।

1 दिन का खर्च किसी भी शहर में कम से कम 20 से 25 हजार रुपए का होता है। कलाकार और स्वयं में 2 घंटे के शो में 6 बार से अधिक ड्रेस चेंज करते हैं। बिजली, पानी, खाना, रहना और संसाधनों को इकट्ठा करना यह सब हमारे लिए रोजमर्रा की जरूरतें हैं। ऐसे में अगर एक शो में कम से कम 200 लोग से कम होते हैं तो हमारा शो घाटे का सौदा है वहीं 200 से ज्यादा कुर्सियां अगर भरी होती हैं तब जाकर हमें थोड़ा बहुत लाभ पहुंच पाता है ऐसे में लगातार कुर्सियों पर घटती दर्शकों की संख्या से हम सभी काफी चिंतित हैं ऐसे में हमारे साथ रहने वाले कलाकार भी अपने परिवार अपने शहर से दूर रहकर हमारे आश्रय अपना जीविकोपार्जन करते हैं हमारी सरकार से मांग है कि स्थानीय कलाकारों को तर्जी दे, सम्मान दे और उनके खेल को बढ़ावा दें।

बाइट एलके मिश्रा जादूगर शहंशाह

वही अपने परिवार को छोड़कर आई महिला कलाकार ने बताया कि साल में डेढ़ से 2 महीने के शो के दौरान जो पैसा मिलता है। उससे पूरे साल का खर्च उठाना पड़ता है, हमारे लिए जादू का शो ही हमारा परिवार है और अब हमें इस उम्र में कुछ नया करके पेट पालने में काफी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। ऐसे में हमारी भी मांग है कि सरकार हम जैसे कलाकारों पर ध्यान दें।

बाइट महिला कलाकार




निखिलेश प्रताप
गोरखपुर
9453623738
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.