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आज मध्यरात्रि में होगा सुपर मून का दीदार, पृथ्वी के बेहद करीब होगा चंद्रमा

आज सुपर मून का दीदार होगा. यह बुधवार मध्यरात्रि में अपनी चसम सीमा पर होगा. आज के दिन चंद्रमा अन्य दिनों की अपेक्षा ज्यादा बड़ा और चमकीला दिखाई देगा.

सुपर मून
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Published : Jul 13, 2022, 9:56 AM IST

Updated : Jul 13, 2022, 11:18 AM IST

गोरखपुर: खगोल प्रेमियों के लिए 13 जुलाई खास होने वाला है. इस दिन चांद बड़ा और ज्यादा चमकीला दिखाई देगा. इस खगोलीय घटना को सुपर मून कहा जाता है. इस घटना के दौरान चंद्रमा अपनी कक्षा में निकटतम बिंदु पर होता है और इसी कारण चंद्रमा और पृथ्वी की बीच की दूरी सबसे कम होती है. इसे पेरिगी कहा जाता है. इस दौरान चंद्रमा 14 प्रतिशत बड़ा और 30 प्रतिशत तक ज्यादा चमकीला नजर आएगा. यह रात 12 बजकर 7 मिनट पर अपनी चरम सीमा पर दिखाई देगा. वीर बहादुर सिंह नक्षत्र शाला गोरखपुर के खगोलविद अमर पाल सिंह ने बताया है कि इसे साधारण आंखों से भी देखा जा सकता है. अगर आप खगोल विज्ञान में रुचि रखते हैं तो विशेष जानकारी के लिए आप नक्षत्र शाला में विशिष्ट टेलीस्कोप्स के माध्यम से भी इस सुपर मून को देख सकते हैं.

क्या होता है सुपर मून
खगोलविद ने बताया कि सुपर मून शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम सन 1979 में रिचर्ड नौल्ले द्वारा किया गया था. सुपर मून के दौरान चंद्रमा सामान्य दिनों के मुकाबले बड़ा और ज्यादा चमकीला दिखाई देता है. इसके पृथ्वी के चक्कर लगाने के दौरान अपने निकटतम बिंदु पर आने के कारण ऐसा होता है. चंद्रमा का अपने इस निकटतम बिंदु पर आने को ही पेरिगी कहा जाता है. इस दौरान पृथ्वी से चंद्रमा की दूरी 357,264 किलोमीटर होगी, जबकि सामान्य दिनों में यह दूरी 384,366 किलोमीटर रहती है. वहीं, चंद्रमा का अपनी कक्षा में दूरस्त बिंदु पर होने के कारण पृथ्वी और चंद्रमा के बीच की दूरी 4,05,500 किलोमीटर होती है, इसे एपोजी कहा जाता है.

यह भी पढ़ें: गुरु पूर्णिमा विशेष: बेमिसाल है गोरक्षपीठ की गुरु-शिष्य परंपरा, CM योगी भी गुरुजनों के समक्ष झुकाते हैं शीश

सुपर मून को अन्य नामों से भी जाना जाता है जैसे डियर मून, थंडर मून, हे मून, बर्ट मून, सेलमोन मून, रॉक्सवेरी मून, कैल्मिंग मून इत्यादि. एक साल में तीन या अधिकतम चार सुपर मून हो सकते हैं. अगर इस बार सुपर मून का दीदार नहीं हुआ तो अगली बार ऐसा सुपर मून 3 जुलाई सन 2023 मे दिखाई देगा.

धरती पर इसका प्रभाव
इस प्रकार की सुपर मून की घटनाओं में चंद्रमा का पृथ्वी के इतने नजदीक आने के कारण पृथ्वी पर उच्च ज्वार भाटे की घटनाओं का होना संभव हो सकता है. यह जानकारी वीर बहादुर सिंह नक्षत्र शाला के खगोलविद अमर पाल सिंह ने दी.

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गोरखपुर: खगोल प्रेमियों के लिए 13 जुलाई खास होने वाला है. इस दिन चांद बड़ा और ज्यादा चमकीला दिखाई देगा. इस खगोलीय घटना को सुपर मून कहा जाता है. इस घटना के दौरान चंद्रमा अपनी कक्षा में निकटतम बिंदु पर होता है और इसी कारण चंद्रमा और पृथ्वी की बीच की दूरी सबसे कम होती है. इसे पेरिगी कहा जाता है. इस दौरान चंद्रमा 14 प्रतिशत बड़ा और 30 प्रतिशत तक ज्यादा चमकीला नजर आएगा. यह रात 12 बजकर 7 मिनट पर अपनी चरम सीमा पर दिखाई देगा. वीर बहादुर सिंह नक्षत्र शाला गोरखपुर के खगोलविद अमर पाल सिंह ने बताया है कि इसे साधारण आंखों से भी देखा जा सकता है. अगर आप खगोल विज्ञान में रुचि रखते हैं तो विशेष जानकारी के लिए आप नक्षत्र शाला में विशिष्ट टेलीस्कोप्स के माध्यम से भी इस सुपर मून को देख सकते हैं.

क्या होता है सुपर मून
खगोलविद ने बताया कि सुपर मून शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम सन 1979 में रिचर्ड नौल्ले द्वारा किया गया था. सुपर मून के दौरान चंद्रमा सामान्य दिनों के मुकाबले बड़ा और ज्यादा चमकीला दिखाई देता है. इसके पृथ्वी के चक्कर लगाने के दौरान अपने निकटतम बिंदु पर आने के कारण ऐसा होता है. चंद्रमा का अपने इस निकटतम बिंदु पर आने को ही पेरिगी कहा जाता है. इस दौरान पृथ्वी से चंद्रमा की दूरी 357,264 किलोमीटर होगी, जबकि सामान्य दिनों में यह दूरी 384,366 किलोमीटर रहती है. वहीं, चंद्रमा का अपनी कक्षा में दूरस्त बिंदु पर होने के कारण पृथ्वी और चंद्रमा के बीच की दूरी 4,05,500 किलोमीटर होती है, इसे एपोजी कहा जाता है.

यह भी पढ़ें: गुरु पूर्णिमा विशेष: बेमिसाल है गोरक्षपीठ की गुरु-शिष्य परंपरा, CM योगी भी गुरुजनों के समक्ष झुकाते हैं शीश

सुपर मून को अन्य नामों से भी जाना जाता है जैसे डियर मून, थंडर मून, हे मून, बर्ट मून, सेलमोन मून, रॉक्सवेरी मून, कैल्मिंग मून इत्यादि. एक साल में तीन या अधिकतम चार सुपर मून हो सकते हैं. अगर इस बार सुपर मून का दीदार नहीं हुआ तो अगली बार ऐसा सुपर मून 3 जुलाई सन 2023 मे दिखाई देगा.

धरती पर इसका प्रभाव
इस प्रकार की सुपर मून की घटनाओं में चंद्रमा का पृथ्वी के इतने नजदीक आने के कारण पृथ्वी पर उच्च ज्वार भाटे की घटनाओं का होना संभव हो सकता है. यह जानकारी वीर बहादुर सिंह नक्षत्र शाला के खगोलविद अमर पाल सिंह ने दी.

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Last Updated : Jul 13, 2022, 11:18 AM IST
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