गोरखपुर: वन विभाग गोरखपुर की ओर से राज्य पक्षी सारस की गणना 2021 के पहले न के बराबर थी. लेकिन साल दर साल यहां की आबोहवा ने इनकी संख्या में दोगुने से अधिक इजाफा हो गया. इनकी बढ़ती आबादी वन विभाग के लिए अच्छे संकेत हैं. गोरखपुर के कैंपियरगंज और फरेंदा क्षेत्र में इनकी संख्या सबसे अधिक है. इनकी देखभाल, संख्या बढ़ाने के उपाय और ठहराव को लेकर शासन द्वारा विशेष रूप से निर्देश दिया जाता है. जिसकी वजह से इनकी संख्या बढ़ती जा रही है.
सारस की दोगुनी हुई संख्याः गोरखपुर के प्रभागीय वन अधिकारी विकास यादव ने ईटीवी भारत से बात करते हुए बताया कि साल 2021 से पहले गोरखपुर क्षेत्र में सारस की संख्या न के बराबर थी. इससे पहले वन विभाग द्वारा इनकी गणना भी नहीं की जाती थी. सरकार के निर्देश के बाद 2021 में सारस की गणना प्रारंभ हुई. 2021 में गोरखपुर में सारस की कुल संख्या 128 थी. जिसमें 112 वयस्क और 16 सारस के बच्चे पाए गए थे. 2022 की गणना में इनकी संख्या 187 हो गई और इनमें वयस्कों की संख्या 169 और 18 बच्चे पाए गए. एक साल में इनकी संख्या में 59 प्रतिशत की वृद्धि हुई है.
ऊंचे टीले पर देते हैं अंडेः प्रभागीय वन अधिकारी ने बताया कि जबकि पूर्वांचल का गोरखपुर-महाराजगंज क्षेत्र आद्र भूमि से आच्छादित है. यानी कि वेट लैंड एरिया ज्यादा है. जहां पर प्रवासी और ऐसे पक्षियों को आना जाना होता है. उन्होंने कहा कि शासन के निर्देश के क्रम में सारस को उचित वातावरण और खानपान का ध्यान दिया जाता है. सारक्ष पक्षी ऊंचे टीले वाली जगह पर निवास करते हैं. इसके साथ ही वह ऊंचे टीले वाले स्थानों पर अंडे भी देते हैं. उनके अंडे और बच्चों के बड़े होने तक उनकी सुरक्षा व्यवस्था का प्रयास वन विभाग करता है.
साल में दो बार होती है जनगणनाः उन्होंने बताया कि 2023 की गणना में 435 सारस की संख्या सामने आई है. जिसमें वयस्क सारसों की संख्या 375 और बच्चों की संख्या 56 के करीब है. यह मात्र 2 दिन की गणना का आंकड़ा है. इसके आलावा वन विभाग का अनुमानित आंकड़े में इनकी संख्या 500 की हो सकती है. लेकिन आंकड़ों में 435 सारस को दर्ज किया गया है. उन्होंने बताया कि साल में इनकी गणना दो बार की जाती है. जिसमें ग्रीष्मकालीन और शीतकालीन सत्र के समय को चुना जाता है.
सबसे अधिक सारसों की संख्याः प्रभागीय वन अधिकारी ने बताया कि वन विभाग के आंकड़ों के अनुसार फरेंदा और कैंपियरगंज क्षेत्र में सारस की संख्या सबसे अधिक है. सारस को हरे-भरे खेतों में देखा जा सकता है. इसके अलावा अन्य वन क्षेत्रों में भी उनका ठहराव होता है. लेकिन वहां उनकी संख्या कम है. वहां पर वन विभाग द्वारा इनकी संख्या बढ़ाने का प्रयास किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि इनकी गणना और रखरखाव की जानकारी शासन को भेजी जाती है. शासन द्वारा इनकी संख्या बढ़ाने के उपाय, उनके ठहराव और स्थान को व्यवस्थित करने का निर्देश जारी किया जाता है. सारस को राजकीय पक्षी का दर्जा प्राप्त है. यही वजह है कि शासन उनकी गणना और सुरक्षा के लिए वन विभाग लोगों से अपील करता रहता है. डीएफओ ने कहा कि जहां का वातावरण इनको सूट करता है. वहां पर निवास करते हैं.