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सोमवती अमावस्या आज, जानिये क्या है इसका महत्व

इस साल की पहली सोमवती अमावस्या 12 अप्रैल यानी आज है. सोमवार को अमावस्या पड़ने के कारण इसे सोमवती अमावस्या कहते हैं. इस दिन पीपल के पेड़ की पूजा, दान और स्नान का विशेष महत्व है.

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Published : Apr 12, 2021, 6:54 AM IST

गोरखपुर: हिंदू पंचांग के अनुसार प्रत्‍येक महीने एक अमावस्‍या तिथि होती है. जब यह तिथि किसी महीने के सोमवार को पड़ती है तो उसे सोमवती अमावस्या कहते हैं. इस साल की पहली सोमवती अमावस्या 12 अप्रैल को पड़ रही है. सोमवती अमावस्या का हिन्दू धर्म में विशेष महत्व और मान्यता है. इस दिन पूजन से सभी प्रकार के कष्ट दूर होते हैं और मनोवांछित फल प्राप्त होता है. इस दिन सौभाग्यवती स्त्रियां अपने पति की दीर्घायु की कामना करते हुए व्रत और पूजन करती हैं. यह सभी के लिए कल्याणकारी और उपयोगी व्रत है.

पीपल वृक्ष की करते हैं पूजा
महर्षि पाराशर ज्योतिष संस्थान के विद्वान ज्योतिषी पंडित राकेश पाण्डेय के अनुसार, शास्त्रों में इसे अश्वत्थ प्रदक्षिणा व्रत की संज्ञा भी दी गई है. अश्वत्थ यानि पीपल वृक्ष. इस दिन विवाहित स्त्रियां पीपल के वृक्ष की जड़ में दूध, जल, पुष्प, अक्षत, चन्दन इत्यादि चढ़ाती हैं और वृक्ष के चारों ओर 'ॐ नमोः नारायणाय' मंत्र से 108 बार पीला या श्वेत धागा लपेट कर परिक्रमा करती हैं. सोमवती अमावस्या के दिन पीपल और बरगद के वृक्ष की पूजा करने से पितृ दोष की शान्ति होती है.

यह भी पढ़ेंः 13 अप्रैल से चैत्र नवरात्रि शुरू, पंडित जी से जानिए घट स्थापना का मुहूर्त

पवित्र नदियों में स्नान का भी है विशेष महत्व

इस दिन पवित्र नदियों में स्नान का भी विशेष महत्व है. कहा जाता है कि महाभारत में भीष्म ने युधिष्ठिर को इस दिन का महत्व समझाते हुए कहा था कि इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने वाला मनुष्य समृद्ध, स्वस्थ्य और सभी दुखों से मुक्त होगा. ऐसा भी माना जाता है की गंगा स्नान करने से पितरों की आत्माओं को शान्ति मिलती है. सोमवती अमावस्या को दूध की खीर बनाकर पितरों को अर्पित करने से भी पितृ दोष में कमी होती है.

इसके अलावा प्रत्येक अमावस्या को एक ब्राह्मण को भोजन कराने और दक्षिणा वस्त्र भेंट करने से भी पितृ दोष कम होता है. सोमवती अमावस्या के दिन भगवान शिव की पूजा करने से भी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं.

सुहाग की रक्षा के लिए महिलाएं करती हैं पूजा
सोमवती अमावस्या पर स्त्रियां अपने सुहाग की रक्षा और आयु की वृद्धि के लिए पीपल के पेड़ की पूजा करती हैं. पीपल के वृक्ष को स्पर्श करने मात्र से पाप कट जाते हैं और परिक्रमा करने से आयु बढ़ती है. व्यक्ति मानसिक तनाव से मुक्त हो जाता है. अमावस्या के पर्व पर अपने पितरों के निमित्त पीपल का वृक्ष लगाने से सुख-सौभाग्य, सन्तान पुत्र, धन की प्राप्ति होती है. साथ ही पारिवारिक क्लेश समाप्त होते हैं और समस्त मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है.

गोरखपुर: हिंदू पंचांग के अनुसार प्रत्‍येक महीने एक अमावस्‍या तिथि होती है. जब यह तिथि किसी महीने के सोमवार को पड़ती है तो उसे सोमवती अमावस्या कहते हैं. इस साल की पहली सोमवती अमावस्या 12 अप्रैल को पड़ रही है. सोमवती अमावस्या का हिन्दू धर्म में विशेष महत्व और मान्यता है. इस दिन पूजन से सभी प्रकार के कष्ट दूर होते हैं और मनोवांछित फल प्राप्त होता है. इस दिन सौभाग्यवती स्त्रियां अपने पति की दीर्घायु की कामना करते हुए व्रत और पूजन करती हैं. यह सभी के लिए कल्याणकारी और उपयोगी व्रत है.

पीपल वृक्ष की करते हैं पूजा
महर्षि पाराशर ज्योतिष संस्थान के विद्वान ज्योतिषी पंडित राकेश पाण्डेय के अनुसार, शास्त्रों में इसे अश्वत्थ प्रदक्षिणा व्रत की संज्ञा भी दी गई है. अश्वत्थ यानि पीपल वृक्ष. इस दिन विवाहित स्त्रियां पीपल के वृक्ष की जड़ में दूध, जल, पुष्प, अक्षत, चन्दन इत्यादि चढ़ाती हैं और वृक्ष के चारों ओर 'ॐ नमोः नारायणाय' मंत्र से 108 बार पीला या श्वेत धागा लपेट कर परिक्रमा करती हैं. सोमवती अमावस्या के दिन पीपल और बरगद के वृक्ष की पूजा करने से पितृ दोष की शान्ति होती है.

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पवित्र नदियों में स्नान का भी है विशेष महत्व

इस दिन पवित्र नदियों में स्नान का भी विशेष महत्व है. कहा जाता है कि महाभारत में भीष्म ने युधिष्ठिर को इस दिन का महत्व समझाते हुए कहा था कि इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने वाला मनुष्य समृद्ध, स्वस्थ्य और सभी दुखों से मुक्त होगा. ऐसा भी माना जाता है की गंगा स्नान करने से पितरों की आत्माओं को शान्ति मिलती है. सोमवती अमावस्या को दूध की खीर बनाकर पितरों को अर्पित करने से भी पितृ दोष में कमी होती है.

इसके अलावा प्रत्येक अमावस्या को एक ब्राह्मण को भोजन कराने और दक्षिणा वस्त्र भेंट करने से भी पितृ दोष कम होता है. सोमवती अमावस्या के दिन भगवान शिव की पूजा करने से भी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं.

सुहाग की रक्षा के लिए महिलाएं करती हैं पूजा
सोमवती अमावस्या पर स्त्रियां अपने सुहाग की रक्षा और आयु की वृद्धि के लिए पीपल के पेड़ की पूजा करती हैं. पीपल के वृक्ष को स्पर्श करने मात्र से पाप कट जाते हैं और परिक्रमा करने से आयु बढ़ती है. व्यक्ति मानसिक तनाव से मुक्त हो जाता है. अमावस्या के पर्व पर अपने पितरों के निमित्त पीपल का वृक्ष लगाने से सुख-सौभाग्य, सन्तान पुत्र, धन की प्राप्ति होती है. साथ ही पारिवारिक क्लेश समाप्त होते हैं और समस्त मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है.

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