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गोरखपुर: जिले में 400 प्राथमिक स्कूल भवन होंगे ध्वस्त

सीएम योगी आदित्यनाथ के शहर गोरखपुर में प्राथमिक शिक्षा की व्यवस्था पटरी पर लौटती नहीं दिख रही है. जिन स्कूलों में बच्चों को शिक्षा दी जानी है, उनके भवन जर्जर हो चुके हैं. बीएसए ने इन जर्जर भवन को ध्वस्त करने के लिए निदेशालय और शासन को पत्राचार किया है.

जल्द ध्वस्त किए जाएंगे जर्जर भवन.
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Published : Aug 3, 2019, 12:39 PM IST

गोरखपुर: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के शहर में भी प्राथमिक शिक्षा की व्यवस्था पटरी पर नहीं आ रही है. स्कूल खुले एक महीने से ऊपर का समय बीत चुका है, लेकिन अभी भी तमाम स्कूलों में बच्चों को जूते-मोजे नहीं मिल सके हैं. वहीं 400 ऐसे स्कूलों के भवन हैं, जो पढ़ने लायक नहीं है. यह पूरी तरह से जर्जर हो चुके हैं और हादसे को दावत दे रहे हैं.

जल्द ध्वस्त किए जाएंगे जर्जर भवन.

जल्द ध्वस्त किए जाएंगे जर्जर भवन

  • बेसिक शिक्षा अधिकारी भूपेंद्र नारायण सिंह ने इन स्कूलों के बच्चों को नजदीक के दूसरे स्कूलों में शिफ्ट करते हुए पढ़ाने का आदेश शिक्षकों को दिया है.
  • जहां कहीं व्यवस्था नहीं बन पा रही है, वहां किराए पर भी भवन लेकर स्कूल को संचालित करने की बात बीएसए ने कही है.
  • जिन चार सौ स्कूलों की हालत खस्ता है, उनके भवन काफी पुराने हो चुके हैं.
  • बारिश के समय में जर्जर भवन टपकते थे.
  • जर्जर भवनों के प्लास्टर टूटकर गिरने की घटना कई बार सामने आ चुकी थी.
  • बीएसए ने इन स्कूलों की रिपोर्ट संकलित करते हुए इन्हें ध्वस्त करने की प्रक्रिया को आगे बढ़ाते हुए निदेशालय और शासन को पत्राचार कर दिया है.

गोरखपुर: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के शहर में भी प्राथमिक शिक्षा की व्यवस्था पटरी पर नहीं आ रही है. स्कूल खुले एक महीने से ऊपर का समय बीत चुका है, लेकिन अभी भी तमाम स्कूलों में बच्चों को जूते-मोजे नहीं मिल सके हैं. वहीं 400 ऐसे स्कूलों के भवन हैं, जो पढ़ने लायक नहीं है. यह पूरी तरह से जर्जर हो चुके हैं और हादसे को दावत दे रहे हैं.

जल्द ध्वस्त किए जाएंगे जर्जर भवन.

जल्द ध्वस्त किए जाएंगे जर्जर भवन

  • बेसिक शिक्षा अधिकारी भूपेंद्र नारायण सिंह ने इन स्कूलों के बच्चों को नजदीक के दूसरे स्कूलों में शिफ्ट करते हुए पढ़ाने का आदेश शिक्षकों को दिया है.
  • जहां कहीं व्यवस्था नहीं बन पा रही है, वहां किराए पर भी भवन लेकर स्कूल को संचालित करने की बात बीएसए ने कही है.
  • जिन चार सौ स्कूलों की हालत खस्ता है, उनके भवन काफी पुराने हो चुके हैं.
  • बारिश के समय में जर्जर भवन टपकते थे.
  • जर्जर भवनों के प्लास्टर टूटकर गिरने की घटना कई बार सामने आ चुकी थी.
  • बीएसए ने इन स्कूलों की रिपोर्ट संकलित करते हुए इन्हें ध्वस्त करने की प्रक्रिया को आगे बढ़ाते हुए निदेशालय और शासन को पत्राचार कर दिया है.
Intro:गोरखपुर। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के शहर में भी प्राथमिक शिक्षा की व्यवस्था पटरी पर नहीं आ रही है।स्कूल खुले 1 महीने से ऊपर का समय बीत चुका है लेकिन अभी भी जहां तमाम स्कूलों में बच्चों को जूते- मोजे नहीं मिल सके हैं तो वही 400 ऐसे स्कूलों के भवन है जो पढ़ने लायक नहीं है। यह पूरी तरह से जर्जर हो चुके हैं और हादसे को दावत दे रहे हैं। यही वजह है कि बीएसए ने इन स्कूलों की रिपोर्ट संकलित करते हुए इन्हें ध्वस्त करने की प्रक्रिया को आगे बढ़ाते हुए निदेशालय और शासन को पत्राचार कर दिया है। जिसकी अनुति मिलने के साथ ध्वस्तीकरण कभी भी शुरू हो सकता है।

नोट--कम्प्लीट पैकेज, वॉइस ओवर अटैच है।


Body:इन स्कूलों में पहले से पढ़ते चले जा रहे बच्चे अब अगली कक्षा में प्रवेश कर चुके हैं। लिहाजा इन्हें पढ़ाया जाना भी अनिवार्य है। ऐसी स्थिति में बेसिक शिक्षा अधिकारी भूपेंद्र नारायण सिंह ने इन स्कूलों के बच्चों को नजदीक के दूसरे स्कूलों में शिफ्ट करते हुए पढ़ाने का आदेश शिक्षकों को दिया है तो जहां कहीं व्यवस्था नहीं बन पा रही है वहां किराए पर भी भवन लेकर स्कूल को संचालित करने की बात कही है। जिन चार सौ स्कूलों की हालत खस्ता है उनके भवन काफी पुराने हो चुके थे और बारिश के समय में भी यह टपकते थे तो इनके प्लास्टर टूटकर गिरने की घटना कई बार सामने आ चुकी थी। जिसको देखते हुए बीएसए ने सतर्कता बरतते हुए ध्वस्तीकरण की प्रक्रिया को आगे बढ़ाया है।

बाइट--बीएन सिंह, बेसिक शिक्षा अधिकारी, गोरखपुर


Conclusion:बेसिक शिक्षा की व्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए खूब कवायद हो रही है। स्कूल चलो अभियान से लेकर रैलियां निकाली जा रही। लेकिन मौजूदा दौर को देखते हुए स्कूलों में जो संसाधन होने चाहिए सरकार उन पर जोर नहीं दे रही है। यही वजह है कि इन स्कूलों की अव्यवस्था और असफलता की वजह से जगह-जगह कुकुमत्ते जैसे पब्लिक खुल रहे हैं और ना चाहते हुए भी बच्चे पढ़ाने को अभिभावक मजबूर हो रहे हैं। एक साथ इतने सारे भवनों की जर्जर होने की रिपोर्ट और उनके ध्वस्तीकरण की प्रक्रिया जब भी चले लेकिन एक बात तो तय है कि जब तक इनका निर्माण नहीं हो जाता यहां से जुड़े हुए बच्चों और अभिभावकों की परेशानी बढ़नी तय है। यही वजह है कि स्थानीय जनप्रतिनिधि भी इस बात को मानते हैं कि उनसे स्कूलों की दशा सुधारने में जो मदद हो सके वह करने को तैयार है।

बाइट--स्थानीय पार्षद, पिपराइच नगर पंचायत

क्लोजिंग पीटीसी
मुकेश पाण्डेय
Etv भारत, गोरखपुर
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