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आजादी का अमृत महोत्सवः गोरखपुर में दस हजार तिरंगे वितरित करेगा सेवा भारती संगठन - गोरखपुर की खबरें

गोरखपुर में आजादी के अमृत महोत्सव के रूप में मनाने के लिए हर घर तिरंगा पहुंचाने के अभियान में सेवा भारती संगठन महिला कार्यकर्ताओं के माध्यम से 10 हजार तिरंगे झंडे तैयार कर रहा है.

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आजादी के अमृत महोत्सव पर सेवा भारती संगठन टीम तैयार कर रही है दस हजार तिरंगा झंडा
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Published : Aug 7, 2022, 3:46 PM IST

गोरखपुरः देश की आजादी के 75वें वर्ष को अमृत महोत्सव (azadi ka amrit mahotsav) के रूप में मनाया जा रहा है. गोरखपुर में सेवा भारती संगठन अपने महिला कार्यकर्ताओं के माध्यम से करीब 10 हजार तिरंगे झंडे को तैयार करा रहा है. जिसे वह घर-घर पहुंचाने के लक्ष्य पर काम कर रहा है. इस दौरान हर घर तिरंगा को प्रमुखता देकर केंद्र और प्रदेश की सरकार अभियान को पूरा करने के लिए भी लोगों की मदद कर रही है. सरकारी महकमे से लेकर स्वयंसेवी संस्थाओं और भारतीय जनता पार्टी, संघ के कई अनुषांगिक संगठन तिरंगे झंडे की सिलाई-कटाई में पूरी शिद्दत से जुटे हुए हैं.

बता दें कि सेवा भारती संगठन ने गोरखपुर के कुल 5 केंद्रों पर सैकड़ों महिलाएं झंडों को तैयार करने में लगी हुई हैं. यहां कुछ सिलाई और कुछ कटिंग करते हुई महिलाओंं की सक्रियता देखी जा सकती है. शहर के दाउदपुर और हुमायूंपर क्षेत्र में यह कार्य बड़े पैमाने पर किया जा रहा है. जिसकी निगरानी सेवा भारती विभाग प्रमुख विंध्याचल कर रहे हैं. इस कार्य में पुनीत पांडेय भी उनको सहयोग दे रहे हैं.

गोरखपुर में जोर-शोर से चल रही आजादी के अमृत महोत्सव की तैयारियां.

ईटीवी भारत ने तिरंगे की सिलाई कटाई करने वाली महिलाओं से जब बात किया, तो इन महिलाओं ने कहा कि हर घर तिरंगा अभियान से उनके मन के अंदर उत्साह और उमंग भरा हुआ है. यही वजह है कि वह अपने घर का कामकाज निपटाकर इस कार्य में जुटी हुई हैं. इन झंडों को तैयार करना और हर घर तिरंगे पहुंचाकर अभियान को उत्सव का माहौल बना देना ही एक बड़े मिशन जैसा है. जिसमें महिलाएं भी अपना योगदान दे रही हैं.

यह भी पढ़ें-बरेली में 20 लाख का नकली कॉस्मेटिक बरामद, चार गिरफ्तार

आपको बता दें कि सेवा भारती संगठन द्वारा तैयार किए जा रहे तिरंगे झंडे 20×30 इंच के माप में बनाए जा रहे हैं. यहां झंडे बनाने में मानक का पूरा ध्यान रखा जा रहा है. इसके अलावा संगठन ने निर्णय लिया है, कि तिरंगे झंडे को बांटने और वितरण करने के दौरान लगी हुई डडां के साथ प्राप्तकर्ता से 26 रुपये भी वसूले जाएंगे. एक तरफ जहां लोगों के अंदर राष्ट्रीयता और आजादी के रणबांकुरे को याद करने का माध्यम बनेगा. वहीं, सामान्य मूल्य पर बिक्री से झंडे के उत्पादन में आने वाला खर्च भी निकल जाएगा.

ऐसी ही जरूरी और विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करें ईटीवी भारत ऐप

गोरखपुरः देश की आजादी के 75वें वर्ष को अमृत महोत्सव (azadi ka amrit mahotsav) के रूप में मनाया जा रहा है. गोरखपुर में सेवा भारती संगठन अपने महिला कार्यकर्ताओं के माध्यम से करीब 10 हजार तिरंगे झंडे को तैयार करा रहा है. जिसे वह घर-घर पहुंचाने के लक्ष्य पर काम कर रहा है. इस दौरान हर घर तिरंगा को प्रमुखता देकर केंद्र और प्रदेश की सरकार अभियान को पूरा करने के लिए भी लोगों की मदद कर रही है. सरकारी महकमे से लेकर स्वयंसेवी संस्थाओं और भारतीय जनता पार्टी, संघ के कई अनुषांगिक संगठन तिरंगे झंडे की सिलाई-कटाई में पूरी शिद्दत से जुटे हुए हैं.

बता दें कि सेवा भारती संगठन ने गोरखपुर के कुल 5 केंद्रों पर सैकड़ों महिलाएं झंडों को तैयार करने में लगी हुई हैं. यहां कुछ सिलाई और कुछ कटिंग करते हुई महिलाओंं की सक्रियता देखी जा सकती है. शहर के दाउदपुर और हुमायूंपर क्षेत्र में यह कार्य बड़े पैमाने पर किया जा रहा है. जिसकी निगरानी सेवा भारती विभाग प्रमुख विंध्याचल कर रहे हैं. इस कार्य में पुनीत पांडेय भी उनको सहयोग दे रहे हैं.

गोरखपुर में जोर-शोर से चल रही आजादी के अमृत महोत्सव की तैयारियां.

ईटीवी भारत ने तिरंगे की सिलाई कटाई करने वाली महिलाओं से जब बात किया, तो इन महिलाओं ने कहा कि हर घर तिरंगा अभियान से उनके मन के अंदर उत्साह और उमंग भरा हुआ है. यही वजह है कि वह अपने घर का कामकाज निपटाकर इस कार्य में जुटी हुई हैं. इन झंडों को तैयार करना और हर घर तिरंगे पहुंचाकर अभियान को उत्सव का माहौल बना देना ही एक बड़े मिशन जैसा है. जिसमें महिलाएं भी अपना योगदान दे रही हैं.

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आपको बता दें कि सेवा भारती संगठन द्वारा तैयार किए जा रहे तिरंगे झंडे 20×30 इंच के माप में बनाए जा रहे हैं. यहां झंडे बनाने में मानक का पूरा ध्यान रखा जा रहा है. इसके अलावा संगठन ने निर्णय लिया है, कि तिरंगे झंडे को बांटने और वितरण करने के दौरान लगी हुई डडां के साथ प्राप्तकर्ता से 26 रुपये भी वसूले जाएंगे. एक तरफ जहां लोगों के अंदर राष्ट्रीयता और आजादी के रणबांकुरे को याद करने का माध्यम बनेगा. वहीं, सामान्य मूल्य पर बिक्री से झंडे के उत्पादन में आने वाला खर्च भी निकल जाएगा.

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