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इन कोचों में नहीं है महिला व दिव्यांगों की आरक्षित सीटें, समस्याओं का सफर तय कर रहे यात्री

स्टेशन पर मौजूद सुरक्षाकर्मी महिलाओं और दिव्यांगों को प्राथमिकता तो जरूर दे रहे हैं, लेकिन रेलवे की इतनी बड़ी लापरवाही से सैकड़ों महिलाएं और दिव्यांग आहत हैं.

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Published : Mar 31, 2019, 3:30 PM IST

गोरखपुर: पूर्वोत्तर रेलवे जहां यात्रियों की सहूलियत के लिए सुविधाएं बढ़ा रहा है, वहीं जनरल बोगियों में यात्रा करने वाली महिलाओं और दिव्यांगजनों की समस्याएं और बढ़ गई हैं. नए एलएचबी कोचों में आरक्षण की सुविधा समाप्त कर दी गई है. सामान्य यात्रियों की तरह ही इन्हें भी जनरल बोगियों में ठूस-ठूसकर यात्रा करनी पड़ रही है.

विश्व के सबसे लंबे प्लेटफार्म संख्या दो पर गोद में बच्चा और कंधे पर बैग लिए महिलाएं दौड़ रही हैं, उनकी समझ में नहीं आ रहा है कि आखिर महिला बोगी कहां लगी है. एक बार आगे से पीछे तक जाने में ही पसीना छूट जाता है, थकान महसूस होने लगती है. महिलाओं ने बच्चों को नीचे उतार और फिर उंगली पकड़ कर दौड़ लगाती दिखती है, इसके बाद भी महिला बोगी नहीं मिलती. वहीं दिव्यांग के परिजन भी दिव्यांगों को सीट मुहैया कराने के लिए एलएचबी कोच में चलकर दिव्यांग आरक्षण सीट खोजते नजर आते हैं, लेकिन उनके हाथ भी मायूसी ही लगती है क्योंकि नए एलएचबी कोचों में यह सुविधा है ही नहीं.

गोरखधाम की नई रैक में 22 कोच से अधिक नहीं लग सकते हैं, ऐसे में रेलवे ने जनरल की दो बोगियों को कम कर दिया है. इसके अलावा एसएलआर में महिला बोगी भी हट गई है, फिलहाल अधिकारियों की मानें तो यात्रियों की इस गंभीर समस्या से रेलवे प्रशासन को अवगत करा दिया गया है और जल्द ही नए कोचों में यह सुविधा उपलब्ध होगी. बड़ा सवाल यह है कि आपातकालीन स्थिति में अगर किसी महिला और दिव्यांग को यात्रा करनी है तो उसे भी सामान्य यात्रियों की तरह जनरल बोगियों में ठूस कर यात्रा करना पड़ेगा.

यात्री कमला ने बताया कि उसे इमरजेंसी में दिल्ली जाना है और स्टेशन पर आकर जब ट्रेन लगी तो उसने देखा कि महिला बोगी इस ट्रेन में है ही नहीं. हताश निराश होकर वह एक किनारे खड़ी हो गई, कुछ समझ में नहीं आ रहा कि दिल्ली तक का सफर कैसे तय करें.

कोचों में नहीं हैं महिला व दिव्यांगों की आरक्षित सीटें.

दिव्यांग सुरेश दिल्ली जाने के लिए घर से निकले, लेकिन गोरखधाम एक्सप्रेस के नए बोगियों में दिव्यांगों के लिए कोई भी आरक्षित सीट नहीं होने से काफी हताश और निराश हैं. किसी तरह वह भी जनरल बोगी में सामान्य यात्रियों की तरह यात्रा करने को मजबूर हैं.

सुरक्षा में मौजूद आरपीएफ इंस्पेक्टर रणजीत ने बताया कि गोरखधाम एक्सप्रेस की नई रैकों में महिलाओं और दिव्यांगों के लिए आरक्षित सीटें नहीं होने से काफी समस्याएं हो रही हैं. रोजाना सैकड़ों की संख्या में दिव्यांग और महिलाएं दिल्ली का सफर तय करते हैं, हम महिला और दिव्यांगों को सीट मुहैया करा रहे हैं. वहीं इस गंभीर समस्या से रेलवे बोर्ड और संबंधित अधिकारियों को अवगत करा दिया गया है, जल्द ही इस समस्या से निपटारा मिल जाएगा.

मुख्य जनसंपर्क अधिकारी संजय यादव ने बताया कि गोरखधाम की नई रैकों में महिला और दिव्यांगों के लिए आरक्षित सीट नहीं होने की समस्या को खत्म करने के लिए हम लोगों ने रेलवे बोर्ड को अवगत करा दिया है, जल्द ही जो नई रैके आएंगी, उसमें यह व्यवस्था सुनिश्चित की जाएगी.

गोरखपुर: पूर्वोत्तर रेलवे जहां यात्रियों की सहूलियत के लिए सुविधाएं बढ़ा रहा है, वहीं जनरल बोगियों में यात्रा करने वाली महिलाओं और दिव्यांगजनों की समस्याएं और बढ़ गई हैं. नए एलएचबी कोचों में आरक्षण की सुविधा समाप्त कर दी गई है. सामान्य यात्रियों की तरह ही इन्हें भी जनरल बोगियों में ठूस-ठूसकर यात्रा करनी पड़ रही है.

विश्व के सबसे लंबे प्लेटफार्म संख्या दो पर गोद में बच्चा और कंधे पर बैग लिए महिलाएं दौड़ रही हैं, उनकी समझ में नहीं आ रहा है कि आखिर महिला बोगी कहां लगी है. एक बार आगे से पीछे तक जाने में ही पसीना छूट जाता है, थकान महसूस होने लगती है. महिलाओं ने बच्चों को नीचे उतार और फिर उंगली पकड़ कर दौड़ लगाती दिखती है, इसके बाद भी महिला बोगी नहीं मिलती. वहीं दिव्यांग के परिजन भी दिव्यांगों को सीट मुहैया कराने के लिए एलएचबी कोच में चलकर दिव्यांग आरक्षण सीट खोजते नजर आते हैं, लेकिन उनके हाथ भी मायूसी ही लगती है क्योंकि नए एलएचबी कोचों में यह सुविधा है ही नहीं.

गोरखधाम की नई रैक में 22 कोच से अधिक नहीं लग सकते हैं, ऐसे में रेलवे ने जनरल की दो बोगियों को कम कर दिया है. इसके अलावा एसएलआर में महिला बोगी भी हट गई है, फिलहाल अधिकारियों की मानें तो यात्रियों की इस गंभीर समस्या से रेलवे प्रशासन को अवगत करा दिया गया है और जल्द ही नए कोचों में यह सुविधा उपलब्ध होगी. बड़ा सवाल यह है कि आपातकालीन स्थिति में अगर किसी महिला और दिव्यांग को यात्रा करनी है तो उसे भी सामान्य यात्रियों की तरह जनरल बोगियों में ठूस कर यात्रा करना पड़ेगा.

यात्री कमला ने बताया कि उसे इमरजेंसी में दिल्ली जाना है और स्टेशन पर आकर जब ट्रेन लगी तो उसने देखा कि महिला बोगी इस ट्रेन में है ही नहीं. हताश निराश होकर वह एक किनारे खड़ी हो गई, कुछ समझ में नहीं आ रहा कि दिल्ली तक का सफर कैसे तय करें.

कोचों में नहीं हैं महिला व दिव्यांगों की आरक्षित सीटें.

दिव्यांग सुरेश दिल्ली जाने के लिए घर से निकले, लेकिन गोरखधाम एक्सप्रेस के नए बोगियों में दिव्यांगों के लिए कोई भी आरक्षित सीट नहीं होने से काफी हताश और निराश हैं. किसी तरह वह भी जनरल बोगी में सामान्य यात्रियों की तरह यात्रा करने को मजबूर हैं.

सुरक्षा में मौजूद आरपीएफ इंस्पेक्टर रणजीत ने बताया कि गोरखधाम एक्सप्रेस की नई रैकों में महिलाओं और दिव्यांगों के लिए आरक्षित सीटें नहीं होने से काफी समस्याएं हो रही हैं. रोजाना सैकड़ों की संख्या में दिव्यांग और महिलाएं दिल्ली का सफर तय करते हैं, हम महिला और दिव्यांगों को सीट मुहैया करा रहे हैं. वहीं इस गंभीर समस्या से रेलवे बोर्ड और संबंधित अधिकारियों को अवगत करा दिया गया है, जल्द ही इस समस्या से निपटारा मिल जाएगा.

मुख्य जनसंपर्क अधिकारी संजय यादव ने बताया कि गोरखधाम की नई रैकों में महिला और दिव्यांगों के लिए आरक्षित सीट नहीं होने की समस्या को खत्म करने के लिए हम लोगों ने रेलवे बोर्ड को अवगत करा दिया है, जल्द ही जो नई रैके आएंगी, उसमें यह व्यवस्था सुनिश्चित की जाएगी.

Intro:गोरखपुर। पूर्वोत्तर रेलवे जहां यात्रियों की सहूलियत के लिए सुविधाएं बढ़ा रहा है, वहीं जनरल बोगियों ने यात्रा करने वाली महिलाओं और दिव्यांगजनों की समस्याएं और बढ़ गई है। नए एलएचबी कोचों में आरक्षण की सुविधा समाप्त कर दी गई है और सामान यात्रियों की तरह ही इन्हें भी जनरल बोगियों में ठूस-ठूसकर यात्रा करनी पड़ रही है। ऐसे में स्टेशन पर मौजूद सुरक्षाकर्मी महिलाओं और दिव्यांगों को प्राथमिकता तो जरूर दे रहे हैं लेकिन रेलवे की इतनी बड़ी लापरवाही से सैकड़ों महिलाएं और दिव्यांग आहत हैं।


Body:गोरखपुर से दिल्ली जाने वाली प्रमुख ट्रेन गोरखधाम मे नए एलएचबी कोच लगने के बाद दो जनरल भोगियों के साथ महिला कोच और दिव्यांग सीटें गायब हैं। ऐसे में महिला और दिव्यांगो का सफर कांटो भरा हो गया है, एक तरफ पूर्वोत्तर रेलवे महिला और दिव्यांगों के प्रति संजीदा तो जरूर है लेकिन इतनी बड़ी लापरवाही से रोज सफर करने वाली महिलाएं और दिव्यांग काफी आहत हैं।

विश्व के सबसे लंबे प्लेटफार्म संख्या दो पर गोद में बच्चा और कंधे पर बैग लिए महिलाएं दौड़ रही हैं, उनकी समझ में नहीं आ रहा है कि आखिर महिला बोगी कहां लगी है। एक बार आगे से पीछे तक जाने मैं ही पसीना छूट जाता है, थकान महसूस होने लगती है। महिलाओं ने बच्चों को नीचे उतार और फिर उंगली पकड़ कर दौड़ लगाती दिखती है, इसके बाद भी महिला बोगी नहीं मिलती। वहीं दिव्यांग के परिजन भी दिव्यांगों को सीट मुहैया कराने के लिए एलएचबी कोच में चलकर दिव्यांग आरक्षण सीट खोजते नजर आते हैं, लेकिन उनके हाथ भी मायूसी ही लगती है क्योंकि नए एलएचबी कोचों में यह सुविधा है ही नहीं।

गोरखधाम की नई रैक में 22 कोच से अधिक नहीं लग सकता है, ऐसे में रेलवे ने जनरल की दो बोगियों को कम कर दिया है। इसके अलावा एसएलआर में महिला बोगी भी हट गई है, फिलहाल अधिकारियों की मानें तो यात्रियों की इस गंभीर समस्या से रेलवे प्रशासन को अवगत करा दिया गया है और जल्द ही नए कोचों में यह सुविधा उपलब्ध होगी। लेकिन बड़ा सवाल यह है कि आपातकालीन स्थिति में अगर किसी महिला और दिव्यांग को यात्रा करना है तो उसे भी सामान्य यात्रियों की तरह जनरल बोगियों में ठूस कर यात्रा करना पड़ेगा।


Conclusion:यात्री कमला ने बताया कि उसे इमरजेंसी में दिल्ली जाना है और स्टेशन पर आकर जब ट्रेन लगी तो उसने देखा कि महिला बोगी इस ट्रेन में है ही नहीं। हताश निराश होकर वह एक किनारे खड़ी हो गई, कुछ समझ में नहीं आ रहा कि दिल्ली तक का सफर कैसे तय करें।

बाइट - कमला, यात्री

वहीं वंदना सिंह बताती है कि उन्हें परिवार के साथ गोरखधाम एक्सप्रेस से दिल्ली जाना है, घंटों लाइन में खड़े होकर टिकट लेने के बाद जब ट्रेन लगी है तो उसमें महिला आरक्षित बोगी को हटा दिया गया है। आखिरकार महिलाएं इतनी लंबी दूरी की यात्रा कैसे तय करेंगी, इस बारे में रेलवे प्रशासन को गंभीरता से सोचना होगा।

बाइट - वंदना सिंह, यात्री

दिव्यांग सुरेश दिल्ली जाने के लिए घर से निकले, लेकिन गोरखधाम एक्सप्रेस के नए बोगियों में दिव्यांगों के लिए कोई भी आरक्षित सीट नहीं होने से काफी हताश और निराश हैं। किसी तरह वह भी जनरल बोगी में सामान यात्रियों की तरह यात्रा करने को मजबूर हैं।

बाइट - सुरेश, दिव्यांग यात्री

वहीं सुरक्षा में मौजूद आरपीएफ इंस्पेक्टर रणजीत ने बताया कि गोरखधाम एक्सप्रेस की नई रैकों में महिलाओं और दिव्यांगों के लिए आरक्षित सीटें नहीं होने से काफी समस्याएं हो रही हैं। रोजाना सैकड़ों की संख्या में दिव्यांग और महिलाएं दिल्ली का सफर तय करते हैं, हम महिला और दिव्यांगों को सीट मुहैया करा रहे हैं। वही इस गंभीर समस्या से रेलवे बोर्ड और संबंधित अधिकारियों को अवगत करा दिया गया है, जल्दी यह समस्या खत्म कर दी जाएगी।

बाइट - रणजीत, आरपीएफ इंस्पेक्टर

मुख्य जनसंपर्क अधिकारी संजय यादव ने बताया कि गोरखधाम की नई रैकों में महिला और दिव्यांगों के लिए आरक्षित सीट नहीं होने की समस्या को खत्म करने के लिए हम लोगों ने रेलवे बोर्ड को अवगत करा दिया है, जल्द ही जो नई रैके आएंगी, उसमें यह व्यवस्था सुनिश्चित की जाएगी।

बाइट - संजय यादव, सीपीआरओ



निखिलेश प्रताप
गोरखपुर
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