गोरखपुर: जिले में नवरात्रि में मां दुर्गा की भव्य प्रतिमाएं तैयार करने के साथ ही उन्हें स्थापित करने का काफी प्रचलन रहा है. नौ दिन तक लोग मां की मूर्तियां स्थापित कर पूरे विधि-विधान के साथ विधिवत पूजा-अर्चना करते हैं, लेकिन कोरोना महामारी ने इस बार जहां मूर्तियों का साइज छोटा कर दिया है तो वहीं आमदनी घटने से कलाकारों में भी काफी निराशा है.
मूर्तियां स्थापित करने की अनुमति नहीं
वैश्विक महामारी के बीच शारदीय नवरात्र भी इस बार दूसरे त्योहारों की तरह ही फीका ही होने वाला है. क्योंकि इस बार सार्वजनिक स्थलों पर किसी भी प्रकार की मूर्तियां स्थापित करने की अनुमति नहीं दी गई है. यही वजह है कि कलाकारों के चेहरे पर निराशा साफ दिखाई दे रही है, जिन भव्य प्रतिमाओं को पांच से छह हजार रुपये में तैयार कर 12 से 15 हजार रुपये में बेच रहे थे और दो से ढाई लाख रुपये की आमदनी एक सीजन में कमा लेते थे. वहीं इस बार उन्हें छोटी प्रतिमा तैयार करने में ढाई से तीन हजार रुपये की लागत के बाद पांच से छह हजार रुपये में ही बेचना पड़ेगा.
घोष कंपनी चौक के रहने वाले महेश कुमार वर्मा मूर्तिकला के माध्यम से अपना और अपने परिवार का जीवकोपार्जन चलाते हैं. ऐसे में नवरात्र को देखते हुए मूर्तियों का ढांचा तैयार कर उनमें मिट्टी लेपन का कार्य कर रहे महेश बताते हैं कि इस बार शासन ने सार्वजनिक रूप से किसी भी तरह के आयोजन की अनुमति नहीं दी है. इसलिए वे छोटी प्रतिमा ही तैयार कर रहे हैं. इस बार उन्हें काफी निराशा हाथ लगी है. हर बार दो से ढाई लाख रुपये सीजन में कमा कर पूरे साल उसी से अपना खर्चा चलाते थे, लेकिन इस बार बामुश्किल 40 से 50 हजार रुपये कमाने की उम्मीद है. वैश्विक महामारी के कारण मूर्तियों की साइज काफी हद तक छोटी हो गई है. ये मूर्तियां घरों में स्थापित कर पूजा-पाठ करने के उद्देश्य से बनाई जा रही हैं.
मूर्ति खरीदने आए धनेश ने बताया कि वैश्विक महामारी कोरोनावायरस को देखते हुए छोटी मूर्ति इस बार स्थापित की जाएगी. पहले हम लोग भव्य पंडाल में बड़ी मूर्ति की स्थापना करते थे, लेकिन शासन-प्रशासन की मनाही के साथ ही सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए छोटी मूर्ति स्थापित की जाएगी. छोटी मूर्तियों के दाम भी लगभग बड़ी मूर्तियों के बराबर ही हैं. साथ ही छोटी मूर्तियां स्थापित करके हम कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करते हुए पूजा-पाठ कर सकते हैं.