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हाथ धुलने में गोरखपुरिये आगे, साबुन-सैनिटाइजर के बाजार में बूम

गोरखपुर के लोग हाथ धुलने और जान बचाने की कोशिश में साबुन और सैनिटाइजर की भरपूर खरीदारी कर रहे हैं. सबसे ज्यादा उछाल सैनेटाइजर के कारोबार में आया है. कभी सिर्फ भालोटिया दवा मार्केट में बिकने वाला यह उत्पाद अब ज्यादातर दुकानों पर बिक रहा है.

सैनिटाइजर बिक्री
सैनिटाइजर बिक्री
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Published : Nov 7, 2020, 7:01 PM IST

गोरखपुरः कोरोना महामारी जहां लोगों के लिए मुसीबत बनकर आई, वहीं साबुन-सैनिटाइजर जैसे कारोबार के लिए यह वरदान साबित हो गई. गोरखपुर में इन उत्पादों के कारोबार का आंकड़ा इस महामारी की वजह से 10 से 20 गुना तक बढ़ चुका है. हर महीने करीब 11 करोड़ से ज्यादा का साबुन और सैनिटाइजर बिक रहा है. इस बढ़ोतरी में डॉक्टरों और विशेषज्ञों की सलाह का भी बड़ा असर है, जिससे लोग हाथ साफ करने के प्रति संजीदा हुए तो यह व्यापार बूम कर गया.

पहले 8 से 10 लाख था कारोबार
कोरोना से पहले जिले में 8 से 10 लाख रुपये का सैनिटाइजर का कारोबार होता था. इसकी ज्यादातर आपूर्ति अस्पतालों को होती थी. आम नागरिकों का इससे कोई वास्ता नहीं था, लेकिन मार्च में कोरोनावायरस ने दस्तक क्या दिया यह कारोबार अचानक ही उछल पड़ा. डिमांड के अनुसार सप्लाई प्रभावित होने लगी. दवा विक्रेता समिति और शासन के प्रयास से यह लोगों को सुलभ हुआ.

साबुन के कारोबार में उछाल.

साबुन-हैंडवॉश का कारोबार 7 करोड़ पार
इस बीच साबुन और हैंडवॉश का कारोबार करीब 7 करोड़ 50 लाख का हर महीने हो गया. वहीं सैनेटाइजर का कारोबार 10 से 20 फीसदी बढ़ गया. अब जबकि कोरोना केस में कमी देखी जा रही है तो भी इस उत्पाद के बिक्री और कारोबार में कोई खास कमी नहीं देखी जा रही है.

प्रशासन रहा सख्त
जिले का स्वास्थ्य महकमा इस दौरान साबुन और सैनिटाइजर के कारोबार पर नजर रखे हुए था, जिससे लोगों को डुप्लीकेट माल की सप्लाई न हो सके. मुख्य चिकित्सा अधिकारी एसके तिवारी कहते हैं कि जब किसी भी चीज की नीड ज्यादा हो जाती है तो उसका उत्पादन और मार्केट दोनों बढ़ जाता है. जैसा कि कोरोना काल में हैंडवाश, साबुन, सैनिटाइजर और अन्य उपयोगी सामानों में देखा गया.

एफएमसीजी के लिए आपदा बना अवसर
गोरखपुर में पहले की अपेक्षा इन उत्पादों की मांग करीब 8 गुना बढ़ी है. सिर्फ हैंडवॉश का कारोबार 4 करोड़ से अधिक का हर महीने हो गया और तीन करोड़ से ज्यादा का कारोबार साबुन का हो गया है. सैनिटाइजर तो अब दवा की दुकान से निकल कर जनरल मर्चेंट की दुकानों तक पहुंच गया है. कहा जाए तो वास्तव में आपदा को अवसर मिलता इस व्यापार में दिखा है, जिसमें मुनाफा और व्यापार का आंकड़ा तय करना भी मुश्किल हो गया है.

गोरखपुरः कोरोना महामारी जहां लोगों के लिए मुसीबत बनकर आई, वहीं साबुन-सैनिटाइजर जैसे कारोबार के लिए यह वरदान साबित हो गई. गोरखपुर में इन उत्पादों के कारोबार का आंकड़ा इस महामारी की वजह से 10 से 20 गुना तक बढ़ चुका है. हर महीने करीब 11 करोड़ से ज्यादा का साबुन और सैनिटाइजर बिक रहा है. इस बढ़ोतरी में डॉक्टरों और विशेषज्ञों की सलाह का भी बड़ा असर है, जिससे लोग हाथ साफ करने के प्रति संजीदा हुए तो यह व्यापार बूम कर गया.

पहले 8 से 10 लाख था कारोबार
कोरोना से पहले जिले में 8 से 10 लाख रुपये का सैनिटाइजर का कारोबार होता था. इसकी ज्यादातर आपूर्ति अस्पतालों को होती थी. आम नागरिकों का इससे कोई वास्ता नहीं था, लेकिन मार्च में कोरोनावायरस ने दस्तक क्या दिया यह कारोबार अचानक ही उछल पड़ा. डिमांड के अनुसार सप्लाई प्रभावित होने लगी. दवा विक्रेता समिति और शासन के प्रयास से यह लोगों को सुलभ हुआ.

साबुन के कारोबार में उछाल.

साबुन-हैंडवॉश का कारोबार 7 करोड़ पार
इस बीच साबुन और हैंडवॉश का कारोबार करीब 7 करोड़ 50 लाख का हर महीने हो गया. वहीं सैनेटाइजर का कारोबार 10 से 20 फीसदी बढ़ गया. अब जबकि कोरोना केस में कमी देखी जा रही है तो भी इस उत्पाद के बिक्री और कारोबार में कोई खास कमी नहीं देखी जा रही है.

प्रशासन रहा सख्त
जिले का स्वास्थ्य महकमा इस दौरान साबुन और सैनिटाइजर के कारोबार पर नजर रखे हुए था, जिससे लोगों को डुप्लीकेट माल की सप्लाई न हो सके. मुख्य चिकित्सा अधिकारी एसके तिवारी कहते हैं कि जब किसी भी चीज की नीड ज्यादा हो जाती है तो उसका उत्पादन और मार्केट दोनों बढ़ जाता है. जैसा कि कोरोना काल में हैंडवाश, साबुन, सैनिटाइजर और अन्य उपयोगी सामानों में देखा गया.

एफएमसीजी के लिए आपदा बना अवसर
गोरखपुर में पहले की अपेक्षा इन उत्पादों की मांग करीब 8 गुना बढ़ी है. सिर्फ हैंडवॉश का कारोबार 4 करोड़ से अधिक का हर महीने हो गया और तीन करोड़ से ज्यादा का कारोबार साबुन का हो गया है. सैनिटाइजर तो अब दवा की दुकान से निकल कर जनरल मर्चेंट की दुकानों तक पहुंच गया है. कहा जाए तो वास्तव में आपदा को अवसर मिलता इस व्यापार में दिखा है, जिसमें मुनाफा और व्यापार का आंकड़ा तय करना भी मुश्किल हो गया है.

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