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गोरखपुर में खतरे के निशान से ऊपर नदियां, 63 गांवों में आवागमन बाधित - गोरखपुर में बाढ़

उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले में नदियां खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं. बाढ़ के कारण 63 गांवों का आवागमन बाधित हो चुका है. ग्रामीण ऊंचे स्थानों पर आसरा ले चुके हैं.

खतरे के निशान के ऊपर नदियां
खतरे के निशान के ऊपर नदियां.
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Published : Jul 27, 2020, 2:28 PM IST

गोरखपुर: जिले में नदियां खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं. राप्ती नदी प्रतिदिन 6.25 मिलीमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से बढ़ रही है. नदियां कई इलाकों में कटान भी कर रही हैं. इसके अलावा रोहिन, कुआनो तीनों नदियों ने मिलकर जो भयंकर रुख अख्तियार किया है, इसके चलते 63 गांव में आवागमन बंद हो गया है. बाढ़ से 30 गांव घिर गए हैं. गांव में आने-जाने के लिए लोग छोटी-छोटी नाव का सहारा ले रहे हैं. वहीं शनिवार और रविवार को गोरखपुर दौरे पर रहे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी बाढ़ प्रभावित गांव का हवाई सर्वेक्षण किया. इस दौरान उन्होंने बांधों की निगरानी के साथ पानी से घिरे गांवों और यहां के लोगों को हर संभव मदद देने का निर्देश अधिकारियों को दिया है.

खतरे के निशान के ऊपर नदियां.
नदियों का पानी अपने आगोश में गांव के बड़े हिस्से को लेता जा रहा है और तमाम मकान पानी से घिर चुके हैं. ग्रामीणों की सहायता के लिए जिला प्रशासन ने 86 बाढ़ चौकियों के अलावा 126 नावों को भी लगाया है, लेकिन फिर भी इंतजाम नाकाफी साबित हो रहे हैं. पानी से गांव के घिर जाने और बांधों पर होते दबाव को देखते हुए ग्रामीण आसपास के इलाकों में और मंदिरों पर अपना ठिकाना बना कर समय काट रहे हैं. इस दौरान उन्हें अपने पशुओं की भी चिंता सता रही है.

राप्ती नदी ने अपनी बढ़त की वजह से निर्माणाधीन घाट को पूरी तरह से डुबो दिया है. यहां काम में लगाई गई मशीनें भी पानी में डूब गई हैं, जिसे ठेकेदार से लेकर काम में जुटे हुए लोग परेशान हो चुके हैं. वहीं जिलाधिकारी के विजेंद्र पांडियन ने कहा है कि बंधों की निगरानी और बाढ़ से बचाव के लिए ड्रोन कैमरे का भी प्रयोग किया जा रहा है. हर स्थिति पर पूरी नजर जिला प्रशासन ने बनाए रखा है.

करीब चार साल बाद राप्ती नदी एक बार फिर विकराल रूप लेकर बंधों से टकरा रही है. यही वजह है कि जिन लोगों ने साल 1998 की बाढ़ और 2016-17 में हुई तबाही और परेशानी को देखा है, उनके चेहरे से हवाइयां उड़ी हुई हैं. साल 1998 की प्रलयंकारी बाढ़ में राप्ती नदी का जलस्तर 77.54 मीटर था और मौजूदा समय में भी नदी 76.07 मीटर के रिकॉर्ड स्तर पर बह रही है. यही वजह है कि लोग डरे और सहमे हैं. बाढ़ के पानी से गिरे हर गांव को चार- चार नावें जिला प्रशासन ने उपलब्ध कराया है. लेकिन उसके सामने चुनौती इस बात की है कि वह 460 किलोमीटर की दूरी में बह रही इन नदियों के 66 बंधों की निगरानी कैसे करें, जिससे किसी भी अनहोनी को टाला जा सके. जनहानि को भी रोका जा सके.

गोरखपुर: जिले में नदियां खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं. राप्ती नदी प्रतिदिन 6.25 मिलीमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से बढ़ रही है. नदियां कई इलाकों में कटान भी कर रही हैं. इसके अलावा रोहिन, कुआनो तीनों नदियों ने मिलकर जो भयंकर रुख अख्तियार किया है, इसके चलते 63 गांव में आवागमन बंद हो गया है. बाढ़ से 30 गांव घिर गए हैं. गांव में आने-जाने के लिए लोग छोटी-छोटी नाव का सहारा ले रहे हैं. वहीं शनिवार और रविवार को गोरखपुर दौरे पर रहे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी बाढ़ प्रभावित गांव का हवाई सर्वेक्षण किया. इस दौरान उन्होंने बांधों की निगरानी के साथ पानी से घिरे गांवों और यहां के लोगों को हर संभव मदद देने का निर्देश अधिकारियों को दिया है.

खतरे के निशान के ऊपर नदियां.
नदियों का पानी अपने आगोश में गांव के बड़े हिस्से को लेता जा रहा है और तमाम मकान पानी से घिर चुके हैं. ग्रामीणों की सहायता के लिए जिला प्रशासन ने 86 बाढ़ चौकियों के अलावा 126 नावों को भी लगाया है, लेकिन फिर भी इंतजाम नाकाफी साबित हो रहे हैं. पानी से गांव के घिर जाने और बांधों पर होते दबाव को देखते हुए ग्रामीण आसपास के इलाकों में और मंदिरों पर अपना ठिकाना बना कर समय काट रहे हैं. इस दौरान उन्हें अपने पशुओं की भी चिंता सता रही है.

राप्ती नदी ने अपनी बढ़त की वजह से निर्माणाधीन घाट को पूरी तरह से डुबो दिया है. यहां काम में लगाई गई मशीनें भी पानी में डूब गई हैं, जिसे ठेकेदार से लेकर काम में जुटे हुए लोग परेशान हो चुके हैं. वहीं जिलाधिकारी के विजेंद्र पांडियन ने कहा है कि बंधों की निगरानी और बाढ़ से बचाव के लिए ड्रोन कैमरे का भी प्रयोग किया जा रहा है. हर स्थिति पर पूरी नजर जिला प्रशासन ने बनाए रखा है.

करीब चार साल बाद राप्ती नदी एक बार फिर विकराल रूप लेकर बंधों से टकरा रही है. यही वजह है कि जिन लोगों ने साल 1998 की बाढ़ और 2016-17 में हुई तबाही और परेशानी को देखा है, उनके चेहरे से हवाइयां उड़ी हुई हैं. साल 1998 की प्रलयंकारी बाढ़ में राप्ती नदी का जलस्तर 77.54 मीटर था और मौजूदा समय में भी नदी 76.07 मीटर के रिकॉर्ड स्तर पर बह रही है. यही वजह है कि लोग डरे और सहमे हैं. बाढ़ के पानी से गिरे हर गांव को चार- चार नावें जिला प्रशासन ने उपलब्ध कराया है. लेकिन उसके सामने चुनौती इस बात की है कि वह 460 किलोमीटर की दूरी में बह रही इन नदियों के 66 बंधों की निगरानी कैसे करें, जिससे किसी भी अनहोनी को टाला जा सके. जनहानि को भी रोका जा सके.

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