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Right To Education: प्राइवेट स्कूलों को सरकार नहीं कर रही भुगतान, कहीं वंचित न रहे जाएं 'शिक्षा के अधिकार' से बच्चे

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Published : Feb 17, 2023, 2:54 PM IST

राइट टू एजुकेशन के तहत निजी स्कूलों में प्री प्राइमरी और कक्षा एक में दाखिला के लिए एक बार फिर से आवेदन शुर हो गई है. लेकिन इस बीच प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन में सरकार ने दो साल से फीस के भुगतान को लेकर नाराजगी जताई है.

Right to Education
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गोरखपुरः शिक्षा का अधिकार (राइट टू एजुकेशन) को लेकर तमाम दावे करने वाली प्रदेश सरकार विद्यालयों में बच्चों के फीस का भुगतान नहीं कर रही है. जिले में पिछले 2 सालों में स्कूलों का बेसिक शिक्षा विभाग पर करीब 8 करोड़ 40 लाख रुपये बकाया हो गया है. जिले में कुल 239 स्कूलों में हजारों बच्चों का दाखिल हुआ. लेकिन इनकी फीस स्कूलों को नहीं मिली और इसी बीच एक बार फिर नया शिक्षा सत्र शुरू होने जा रहा है. ऐसे में बकाया फीस के भुगतान के लिए स्कूलों ने बेसिक शिक्षा विभाग पर दबाव बनाया है. स्कूल संचालक भुगतान न होने की स्थिति में बच्चों का दाखिला नहीं लेने की बात कह रहे हैं.

दरअसल बेसिक शिक्षा विभाग के निर्देश पर निजी स्कूलों में आरटीई के तहत प्री प्राइमरी और कक्षा एक में दाखिला दिया जाता है. इसमें 25% दाखिला आरटीई (राइट टू एजुकेशन) के तहत दिए जाने का प्रावधान है. दाखिला होने के बाद विद्यार्थियों के आठवीं तक की शिक्षा आरटीई के तहत ही होती है. शिक्षा विभाग प्रति विद्यार्थी अधिकतम 450 रुपये प्रति माह के हिसाब से करीब 5 हजार 400 सालाना फीस स्कूलों को भेजता है, जो एक ही बार में सत्र समाप्त होने के बाद स्कूलों के खाते में भेजी जाती है.

फिलाहल स्थिति हकीकत से एकदम उलट है. एक तरफ शैक्षणिक सत्र 2022-23 समाप्त होने को है तो वहीं अभी तक सत्र 2020-21और 2021-22 की प्रतिपूर्ति विद्यालयों को नहीं मिली है. यही नहीं कुछ विद्यालय तो ऐसे हैं जो करीब 4 साल से अपने बकाए की रकम का इंतजार कर रहे हैं. शासन से स्कूलों की पूर्ति के बजाय सिर्फ आश्वासन दिया जा रहा है. जिले के बेसिक शिक्षा अधिकारी रमेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि बकाया भुगतान को लेकर प्रयास हुआ है. उम्मीद है कि 31 मार्च तक बजट प्राप्त हो जाएगा. स्कूलों को भुगतान की प्रक्रिया भी शुरू हो जाएगी. कोविड-19 में कुछ परिस्थितियां बदली, जिससे यह विलंब हुआ है. लेकिन भुगतान होगा.

वहीं, प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन के अध्यक्ष अजय शाही ने कहा कि करीब तीन साल से इसका भुगतान स्कूलों को नहीं होना, सिस्टम की उदासीनता और लापरवाही को दर्शाता है. लगभग हर स्कूल इस संबंध में कई बार पत्राचार कर चुके हैं. लेकिन अभी भी एक रुपये का भुगतान नहीं हो रहा. वर्ष 2011 में आरटीई लागू होने के बाद से ही 450 रुपये प्रति छात्र, प्रति माह निर्धारित है. आज के समय के हिसाब से इसमें वृद्धि जरूरी है. एसोसिएशन प्रदेश और जिला स्तर पर लगातार इसकी मांग करता रहा लेकिन सुनवाई नहीं हो रही.

प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन के अध्यक्ष ने कहा कि कोरोना काल में तो कई स्कूल संकट के दौर से गुजरे. कुछ बंदी के कगार पर आ गये. इधर एक बार फिर नए सत्र में भी आरटीई के तहत निजी स्कूलों में प्री प्राइमरी और कक्षा 1 में प्रवेश के लिए आवेदन की प्रक्रिया 6 फरवरी से शुरू हो गई है. पहले चरण में योग्य छात्रों के अभिभावकों को 28 फरवरी तक ऑनलाइन आवेदन करना होगा. 1 से 10 मार्च तक आवेदन पत्रों का सत्यापन कर उसे लॉक किया जाएगा. 12 मार्च को लॉटरी निकाली जाएगी और आवंटित विद्यालय में 4 अप्रैल को प्रवेश मिलेगा. लेकिन इस बीच में पिछला भुगतान नहीं होने से स्कूल प्रबंधन में नाराजगी है. उन्होंने कहा कि अगर दाखिले से पहले उन्हें भुगतान नहीं होता है तो वह दाखिला लेने की प्रक्रिया को अपने यहां रोक सकते हैं.

ये भी पढ़ेंः Kanpur Dehat में नहीं होता मडौली कांड, अगर बीजेपी सांसद की शिकायत पर होती कार्रवाई

गोरखपुरः शिक्षा का अधिकार (राइट टू एजुकेशन) को लेकर तमाम दावे करने वाली प्रदेश सरकार विद्यालयों में बच्चों के फीस का भुगतान नहीं कर रही है. जिले में पिछले 2 सालों में स्कूलों का बेसिक शिक्षा विभाग पर करीब 8 करोड़ 40 लाख रुपये बकाया हो गया है. जिले में कुल 239 स्कूलों में हजारों बच्चों का दाखिल हुआ. लेकिन इनकी फीस स्कूलों को नहीं मिली और इसी बीच एक बार फिर नया शिक्षा सत्र शुरू होने जा रहा है. ऐसे में बकाया फीस के भुगतान के लिए स्कूलों ने बेसिक शिक्षा विभाग पर दबाव बनाया है. स्कूल संचालक भुगतान न होने की स्थिति में बच्चों का दाखिला नहीं लेने की बात कह रहे हैं.

दरअसल बेसिक शिक्षा विभाग के निर्देश पर निजी स्कूलों में आरटीई के तहत प्री प्राइमरी और कक्षा एक में दाखिला दिया जाता है. इसमें 25% दाखिला आरटीई (राइट टू एजुकेशन) के तहत दिए जाने का प्रावधान है. दाखिला होने के बाद विद्यार्थियों के आठवीं तक की शिक्षा आरटीई के तहत ही होती है. शिक्षा विभाग प्रति विद्यार्थी अधिकतम 450 रुपये प्रति माह के हिसाब से करीब 5 हजार 400 सालाना फीस स्कूलों को भेजता है, जो एक ही बार में सत्र समाप्त होने के बाद स्कूलों के खाते में भेजी जाती है.

फिलाहल स्थिति हकीकत से एकदम उलट है. एक तरफ शैक्षणिक सत्र 2022-23 समाप्त होने को है तो वहीं अभी तक सत्र 2020-21और 2021-22 की प्रतिपूर्ति विद्यालयों को नहीं मिली है. यही नहीं कुछ विद्यालय तो ऐसे हैं जो करीब 4 साल से अपने बकाए की रकम का इंतजार कर रहे हैं. शासन से स्कूलों की पूर्ति के बजाय सिर्फ आश्वासन दिया जा रहा है. जिले के बेसिक शिक्षा अधिकारी रमेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि बकाया भुगतान को लेकर प्रयास हुआ है. उम्मीद है कि 31 मार्च तक बजट प्राप्त हो जाएगा. स्कूलों को भुगतान की प्रक्रिया भी शुरू हो जाएगी. कोविड-19 में कुछ परिस्थितियां बदली, जिससे यह विलंब हुआ है. लेकिन भुगतान होगा.

वहीं, प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन के अध्यक्ष अजय शाही ने कहा कि करीब तीन साल से इसका भुगतान स्कूलों को नहीं होना, सिस्टम की उदासीनता और लापरवाही को दर्शाता है. लगभग हर स्कूल इस संबंध में कई बार पत्राचार कर चुके हैं. लेकिन अभी भी एक रुपये का भुगतान नहीं हो रहा. वर्ष 2011 में आरटीई लागू होने के बाद से ही 450 रुपये प्रति छात्र, प्रति माह निर्धारित है. आज के समय के हिसाब से इसमें वृद्धि जरूरी है. एसोसिएशन प्रदेश और जिला स्तर पर लगातार इसकी मांग करता रहा लेकिन सुनवाई नहीं हो रही.

प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन के अध्यक्ष ने कहा कि कोरोना काल में तो कई स्कूल संकट के दौर से गुजरे. कुछ बंदी के कगार पर आ गये. इधर एक बार फिर नए सत्र में भी आरटीई के तहत निजी स्कूलों में प्री प्राइमरी और कक्षा 1 में प्रवेश के लिए आवेदन की प्रक्रिया 6 फरवरी से शुरू हो गई है. पहले चरण में योग्य छात्रों के अभिभावकों को 28 फरवरी तक ऑनलाइन आवेदन करना होगा. 1 से 10 मार्च तक आवेदन पत्रों का सत्यापन कर उसे लॉक किया जाएगा. 12 मार्च को लॉटरी निकाली जाएगी और आवंटित विद्यालय में 4 अप्रैल को प्रवेश मिलेगा. लेकिन इस बीच में पिछला भुगतान नहीं होने से स्कूल प्रबंधन में नाराजगी है. उन्होंने कहा कि अगर दाखिले से पहले उन्हें भुगतान नहीं होता है तो वह दाखिला लेने की प्रक्रिया को अपने यहां रोक सकते हैं.

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