गोरखपुरः तकनीकी कितनी भी विकसित हो जाए, लेकिन चोरी करने वाले उसका तोड़ खोज ही लेते हैं. गोरखपुर में एक ऐसी ही बड़ी चोरी का खुलासा आरटीआई से हुआ है. जिसे रोक पाने का दावा प्रदेश की योगी सरकार बड़ी मजबूती से करती है. लेकिन खाद्यान से जुड़ी इस चोरी से ये बात साफ हो गई है कि चोरों के आगे सिस्टम बेबस है. जिले में पिछले 3 सालों में 34 हजार 451 क्विंटल सरकारी चावल सात राइस मिलर हड़प कर गए. इसके साथ ही एक करोड़ रुपये से ज्यादा की रकम का गेहूं भी बेच डाला. लेकिन अभी तक उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई.
आरटीआई के खुलासे से ये मामला सार्वजनिक हुआ है. अधिकारियों और शासन में बैठे लोग हरकत में आ गए हैं. सरकारी चावल हड़प जाने का यह मामला वर्ष 2017-18, 2018-19 और 2019-20 का है. जब गोरखपुर जिले में 293 धान क्रय केंद्र बनाए गए थे. यह सभी केंद्र यूपीपीसीएफ के थे. जिनका चावल बना कर सरकारी गोदामों में भेजने की जिम्मेदारी गोरखपुर के अलग-अलग राइस मिलरों को मिली थी. धान कुटाई से जो चावल निकला, उसे मिलरों ने गायब करना शुरू कर दिया. जबकि नियमानुसार कुटाई से निकले 67 फीसदी चावल को सरकारी गोदामों तक पहुंचाना होता है. लेकिन ऐसा नहीं किया गया. मामला शासन तक पहुंचा तो इसकी जांच सहकारिता विभाग के चार अफसरों ने किया. इन अफसरों ने 239 क्रय केंद्रों की जगह 38 क्रय केंद्रों के धान की खरीद और मिलों को भेजे गए स्टाक की जांच किया. जिससे घोटाला सामने आ गया.
जिसमें पता चला की गोरखपुर के अलग-अलग मिलरों ने तैयार किया करीब 34 हजार 451 क्विंटल चावल गोदाम को भेजा ही नहीं है. अफसरों ने इनके खिलाफ रिपोर्ट भी तैयार की. लेकिन कोई प्रभावी कार्रवाई नहीं हुई और रिपोर्ट दबा दी गई. अब आरटीआई के बाद कोहराम मचा है.
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लेकिन घोटाले के 11 महीने से ज्यादा का समय बीत जाने के बाद भी अभी कोई सख्त कार्रवाई नहीं हुई है. आरटीआई एक्टिविस्ट संजय मिश्रा ने ईटीवी भारत से कहा कि उनका काम जनता के धन की लूट उजागर करना था. लुटेरे और आरोपी की पहचान हो चुकी है. अगर कार्रवाई अभी भी शासन स्तर पर नहीं होती है तो अधिकारियों और शासन की मंशा कैसी है यह आसानी से समझा जा सकता है. वहीं इस मामले में गोरखपुर के सहायक आयुक्त और सहायक निबंधक सहकारिता सुनील कुमार गुप्ता ने कहा है कि इस मामले में तहसील स्तर से वसूली होनी है. सबसे बड़े बकायेदार की जमीन कुर्क कर दी गई है. जल्द ही नीलामी की कार्रवाई होगी. इसके साथ ही तत्कालीन जिला प्रबंधक शैलेश कुमार को पीसीएम मुख्यालय लखनऊ से संबद्ध कर दिया गया है. उन्होंने कहा है कि सरकारी संसाधन को लूटने वाले बख्शे नहीं जाएंगे.