गोरखपुरः नवजात बच्चों को सांस लेने और सांस की तकलीफ दूर करने में गोरखपुर का जिला महिला अस्पताल भी सक्षम हो गया है. सालों से इस अस्पताल को जिस मशीन की आवश्यकता थी, वो अब यहां पर लगाई जायेगी. जिसे रेस्पिरेटर मशीन के नाम से जाना जाता है. इसके लग जाने के बाद अब नवजात बच्चों की जिंदगी जहां सुरक्षित रहेगी वहीं माना जा रहा है कि ये मशीन प्रसव पीड़ा से जूझने वाली महिलाओं के तनाव को भी जांचने-परखने में सहयोग प्रदान करेगी.
कुछ बच्चे जन्म के तत्काल बाद सांस नहीं ले पाते हैं. जिसकी वजह से उनके शरीर में कोई प्रतिक्रिया नहीं होती है. ये स्थिति डॉक्टर समेत बच्चों के परिजन के लिए बड़ी परेशानी की वजह बनती है. अब बच्चों के परिजनों को ऐसे बच्चों को लेकर प्राइवेट अस्पतालों की दौड़ भी नहीं लगानी पड़ेगी.
जो बच्चे जन्म के तत्काल बाद सांस नहीं ले पाते थे, तो पहले उन्हें डॉक्टर अंगु बैग के जरिये ऑक्सीजन देने की कोशिश करते थे. इसके अलावा सीने पर पंप करके उसमें प्राण वायु लाने का प्रयास करते थे. लेकिन रेस्पिरेटर मशीन आने के बाद अब ये प्रक्रिया आसान हो गई है. हालांकि इस मशीन की कीमत बहुत ज्यादा नहीं है. ये मात्र 9 लाख रुपये की है. मशीन अब अस्पताल में लग चुकी है. लेकिन इसके न लग पाने से जहां ऐसे बच्चों की समस्या को दूर करने में डॉक्टर भी असहाय होते थे. वहीं अस्पताल की सुविधा पर भी एक बड़ा सवाल था.
अस्पताल प्रशासन फिलहाल इस मशीन को स्थापित कर इसे क्रियाशील बना दिया है. लेकिन उनकी इच्छा इसका लोकार्पण मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के हाथों कराने की थी. माना जा रहा है कि सीएम योगी आदित्यनाथ इस मशीन को देखने जरूर आएंगे. जिला महिला अस्पताल के एसआईसी एनके श्रीवास्तव का कहना है कि अब इस मशीन के लग जाने के बाद नवजात का इलाज आसान होगा. जन्म के बाद उत्पन्न होने वाली सांस लेने की समस्या दूर की जा सकेगी. उन्होंने कहाकि अगर वो महीने में किसी एक बच्चे की भी जान इस मशीन की वजह से बचा लेते हैं, तो इसका लगना बड़ी सफलता का विषय होगा.
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हालांकि ये मशीन गोरखपुर में करीब 6 महीने पहले ही आ चुकी थी. लेकिन इसकी जरूरत जिला महिला अस्पताल को थी. ये जिला अस्पताल में करीब छह महीने से धूल फांक रही थी. समस्याओं के बीच जब इसकी आवश्यकता की चर्चा हुई तो आनन-फानन में दोनों अस्पतालों के बीच तालमेल स्थापित करते हुए इसको जिला महिला अस्पताल के लेबर रूम में स्थापित किया गया है. जहां प्रसव पीड़ा झेलने वाली महिलाएं जब बच्चे को जन्म देने के लिए पहुंचेंगी तो जन्म के तत्काल बाद नवजात बच्चे की सांस का परीक्षण हो सकेगा. जिससे बच्चे का जीवन तो सुरक्षित होगा ही बच्चों के परिजन भी मानसिक तनाव और परेशानियों से बच सकेंगे.
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