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गोरखपुर: इबादतों में गुजरा रमजान का तीसरा जुमा

गोरखपुर में तीसरे जुमे की नमाज रोजदार अकीदतमंदों ने सिर झुका कर पढ़ी. हर एक सजदा रब को राजी करने के लिए किया. शहर से लेकर गांव तक की हर छोटी बड़ी मस्जिदों में अकीदतमंदों ने जुमा की नमाज अदा किया और अपने रब को राजी करने की कोशिश की. इसके साथ ईद की तैयारियां प्रारम्भ हो गईं.

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Published : May 25, 2019, 3:28 AM IST

इबादतों में गुजरा रमजान का तीसरा जुमा

गोरखपुर: अरबी कैलेंडर के मुताबिक रमजान का महीना दूनिया भर में सबसे पवित्र माना जाता है. जुमा का दिन हफ्ता की ईद माना जाता है. हर सप्ताह में जुमा की नमाज अदायगी के लिए खास तैयारियां की जाती है. इस महीने का तीसरा जुमा भीषण गर्मी के दौर से गुजरा. इसके बावजूद भी रोजदारों के हौसले बुलंद रहे. क्षेत्र की विभिन्न मस्जिदों में अकीदतमंदों की भारी भीड़ देखने को मिला.

इबादतों में गुजरा रमजान का तीसरा जुमा

रमजान का महीना, सबसे पवित्र महीना:

  • माह ए रमजान का मुकद्दश महीना बरतकतों से भरा है अल्लाह अपने बंदों पर नेमतों की बारिश करता है.
  • इस महीने का तीसरा जुमा भीषण गर्मी के दौर से गुजरा.
  • भीषण गर्मी के बावजूद भी रोजदारों के हौसले बुलंद रहे.
  • क्षेत्र की विभिन्न मस्जिदों में अकीदतमंदों की भारी भीड़ देखने को मिला.
  • बाजारों में रौनक बरकार रही रोजदारों ने जरुरत के सामानों की जमकर खरीदी की.
  • मुस्लिम धर्म गुरु हाफिज बदरुद्दीन अंसारी ने बताया कि यह महीना बरकत का महीना है.
  • हाफिज बदरुद्दीन अंसारी ने कहा जो इस्लाम धर्म का संदेश है वही संदेश सभी धर्मों का संदेश है.

रमजान करीम के महीने में मुस्लिम समुदाय बुरे कामों को छोड़ कर सुफियाना रास्ता अख्तियार कर लेता है. तन मन धन से परवरदिगार की इबादत में मशगूल हो जाता है. मुस्लिम धर्म गुरु बताते है कि जुमा का दिन सप्ताह का ईद होता है. इस दिन नाम ए जुमा पढने की तैयारी सुबह से ही की जाती है.

गोरखपुर: अरबी कैलेंडर के मुताबिक रमजान का महीना दूनिया भर में सबसे पवित्र माना जाता है. जुमा का दिन हफ्ता की ईद माना जाता है. हर सप्ताह में जुमा की नमाज अदायगी के लिए खास तैयारियां की जाती है. इस महीने का तीसरा जुमा भीषण गर्मी के दौर से गुजरा. इसके बावजूद भी रोजदारों के हौसले बुलंद रहे. क्षेत्र की विभिन्न मस्जिदों में अकीदतमंदों की भारी भीड़ देखने को मिला.

इबादतों में गुजरा रमजान का तीसरा जुमा

रमजान का महीना, सबसे पवित्र महीना:

  • माह ए रमजान का मुकद्दश महीना बरतकतों से भरा है अल्लाह अपने बंदों पर नेमतों की बारिश करता है.
  • इस महीने का तीसरा जुमा भीषण गर्मी के दौर से गुजरा.
  • भीषण गर्मी के बावजूद भी रोजदारों के हौसले बुलंद रहे.
  • क्षेत्र की विभिन्न मस्जिदों में अकीदतमंदों की भारी भीड़ देखने को मिला.
  • बाजारों में रौनक बरकार रही रोजदारों ने जरुरत के सामानों की जमकर खरीदी की.
  • मुस्लिम धर्म गुरु हाफिज बदरुद्दीन अंसारी ने बताया कि यह महीना बरकत का महीना है.
  • हाफिज बदरुद्दीन अंसारी ने कहा जो इस्लाम धर्म का संदेश है वही संदेश सभी धर्मों का संदेश है.

रमजान करीम के महीने में मुस्लिम समुदाय बुरे कामों को छोड़ कर सुफियाना रास्ता अख्तियार कर लेता है. तन मन धन से परवरदिगार की इबादत में मशगूल हो जाता है. मुस्लिम धर्म गुरु बताते है कि जुमा का दिन सप्ताह का ईद होता है. इस दिन नाम ए जुमा पढने की तैयारी सुबह से ही की जाती है.

Intro:माह ए रमजान का मुकद्दश महीना बरतकतों से भरा है अल्लाह अपने बंदों पर नेयमतों की बारिश करता है. इस मुकद्दश महीने के तीसरे जुमे की नमाज रोजदार अकीदतमंदों ने सिर झुका कर पढ़ी. हर एक सजदा रब को राजी करने के लिए किया. शहर से लेकर गांव तक की हर छोटी बड़ी मस्जिदों में अकीदतमंदों ने जुमा की नमाज अदा किया और अपने रब को राजी करने की कोशिश की. इसके साथ ईद की तैयारियां प्रारम्भ हो गई.

गोरखपुर पिपराइचः अरबी कैलेंडर के मुताबिक रमजान का महीना दूनिया भर में सबसे पवित्र माना जाता है. जुमा का दिन हफ्ता की ईद माना जाता है. हर सप्ताह में जुमा की नमाज अदायगी के लिए खास तैयारियां की जाती है. इस महीने का तीसरा जुमा भीषण गर्मी के दौर से गुजरा. इसके बावजूद भी रोजदारों के हौसले बुलंद रहे. क्षेत्र की विभिन्न मस्जिदों में अकीदतमंदों की भारी भीड़ देखने को मिला. बाजारों में रौनक बरकार रही रोजदारों ने जरुरत के सामानों की जमकर खरीदी की.Body:रमजान करीम के महीने में मुस्लिम समुदाय बुरे कामों को छोड़ कर सुफियाना रास्ता अख्तियार कर लेता है. तन मन धन से परवरदिगार की इबादत में मशगूल हो जाता है. मुस्लिम धर्म गुरु बताते है कि जुमा का दिन सप्ताह का ईद होता है. इस दिन नाम ए जुमा पढने की तैयारी सुबह से ही की जाती है.

जनपद के बैलों निवासी मुस्लिम धर्म गुरु हाफिज बदरुद्दीन अन्सारी ने बताया कि यह महीना बरकत का महिना है कि इस महिने में गीबत और चुगली करने से बना चाहिए गन्दगी बातों को सुनने से परहेज करना चाहिए. कुरआन की तिलावत करनी चाहिए. नेक कामों का इस्लाह करना चाहिए. अधिक से अधिक इबादत करनी चाहिए. Conclusion:मुस्लिम धर्म गुरु श्री अन्सारी ने कहा जो इस्लाम धर्म का संदेश है वही संदेश सभी धर्मों का संदेश है. जैसे झूठ बोलना पाप, गीबत करना पाप, जेना यानी बलात्कार करना हराम, चुगली करना हराम, जुआ खेलना हराम, इन सब बातों से पता चलता है कि मजहबे इस्लाम का जो संदेश है वही संदेश सारे मजहबों का संदेश है. देखा जाय तो सभी धर्मों के संदेश एक जैसा है. तो सभी भाईयों को चाहिए कि सब लोग एक होकर रहें. बुरी चीजों से हमे और को नफरत करना चाहिए. न कि किसी इन्सान को इन्सान से नफरत करना चाहिए. न ही किसी इन्सान को इन्सान से अदावत (दुश्मनी) करनी चाहिए. हमें दुश्मनी करनी है तो जेना से बगावत करें दुश्मनी करनी है तो चोर से दुश्मनी करें. हमे किसी से नफरत करनी है तो शराबी से जुआरी से करें. बुरे कामों से बचना चाहिए और उन लोगों के बीच रहकर अच्छी संदेश नेकी की संदेश देना चाहिए.




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