गोरखपुर: पर्यटन के नक्शे पर गोरखपुर जिले को एक बड़ी पहचान देने वाले रामगढ़ ताल को प्रदेश का पहला वेटलैंड बनने का भी तोहफा मिला है. इसके लिए वन विभाग की तरफ से प्रारंभिक नोटिफिकेशन भी जारी कर दिया गया है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के ऑफिस ने भी ट्वीट कर इस पर खुशी जाहिर की है.
तकनीकी परीक्षण और लोगों की आपत्तियों को सुनने का 15 दिन का मौका वन विभाग ने दिया है, जिसके बाद यह झील एक नए स्वरूप को धारण करेगी. इस फैसले के बाद 500 मीटर के दायरे में बने मकानों के टूटने से बचने की उम्मीद भी बढ़ गई है.
जैव विविधता को मिलेगा संरक्षण
प्रारंभिक नोटिफिकेशन के अनुसार 737 हेक्टेयर में फैले रामगढ़ ताल के ज्यादातर हिस्से में 50 मीटर तक निर्माण पर प्रतिबंध है. कुछ इलाकों में 80 से 120 मीटर तक प्रतिबंध है. अब रामगढ़ ताल को वेटलैंड घोषित किए जाने का जो सबसे बड़ा लाभ होगा, वह यह है कि यह अपने मूल स्वरूप में बना रहेगा. आसपास के भूगर्भ जल का स्तर भी सुधरेगा और इससे जैव विविधता को संरक्षण और संवर्धन भी मिलेगा.
पर्यावरण की दृष्टि से बड़ा फैसला
जिले के डीएफओ अविनाश कुमार ने कहा कि 15 जून को रामगढ़ ताल वेटलैंड का प्रारंभिक गजट नोटिफिकेशन किया गया है. कुछ आपत्ति और जांच के बाद यह पूरी तौर से वेटलैंड की श्रेणी में आ जाएगा, जिसके बाद इसमें खतरनाक किस्म के कचरे, पॉलिथीन, ठोस कचरा और बायोग्रेडीबल वस्तुएं नहीं फेंकी जा सकेंगी. उन्होंने कहा कि यह पर्यावरण की दृष्टि से भी बड़ा फैसला है.
क्या होता है वेटलैंड
दलदली या नमी वाले भूमि क्षेत्र को वेटलैंड कहा जाता है. इसके कई लाभ हैं. यह जल को प्रदूषण से मुक्त बनाता है और इस क्षेत्र में बराबर पानी भरा होता है. यह प्राकृतिक रूप से निर्मित क्षेत्र होता है, जिसकी गहराई करीब 6 मीटर से ज्यादा होती है। प्रत्येक वेटलैंड का अपना पारिस्थितिकी तंत्र होता है, जिसमें जल जीवों, पक्षी और प्राणियों का निवास होता है.
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वेटलैंड के जल संरक्षण और जल प्रबंधन के पीछे यही उद्देश्य होता है कि जल की प्रचुरता बनी रहे और इससे जलीय जीवों और पर्यावरण को कोई नुकसान न पहुंचे. फिलहाल गोरखपुर के खाते में यह एक बड़ी उपलब्धि दर्ज हो रही है तो इसके आसपास बसे लोगों को भी कई तरह की राहत मिलने वाली है.