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गोरखपुर: रेलवे की पटरियां अब खुद बताएंगी अपनी हालत, दुर्घटनाओं लगेगा विराम!

उत्तर प्रदेश में अब नई तकनीक के जरिए रेलवे ट्रैक के मेंटेनेंस का काम किया जाएगा. इससे दुर्घटनाओं को रोकने में काफी हद तक कामयाबी मिलेगी.

दुर्घटनाओं को रोकने में अब रेलवे होगा कामयाब.
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Published : Sep 30, 2019, 6:54 PM IST

गोरखपुर: पटरियों के चटकने, टूटने या फिर कोई अन्य समस्या होने पर दुर्घटनाओं को रोकने में अब रेलवे काफी कामयाब होगा. रेलवे में डिजाइन और रिचार्च तैयार करने वाली संस्था आरडीएसओ (रिसर्च डिजाइन एन्ड स्टैण्डर्ड ऑर्गनाइजेशन) ने एक ऐसी नई तकनीक बनाई है. एक ट्रैक से दूसरे ट्रैक तक रिकॉर्डिंग कार चलाई जाएगी. इस दौरान ट्रैक से सिस्टम को डाटा मिलता जाएगा और पता चलेगा कि कौन से ट्रैक को मेंटेनेंस की जरुरत है.

दुर्घटनाओं को रोकने में अब रेलवे होगा कामयाब.

दुर्घटनाओं को रोकने में अब रेलवे होगा कामयाब

  • यह परिवर्तन आरडीएसओ में अपने ट्रैक टेस्ट सिस्टम में बदलाव करके किया है.
  • पटरियों के चटकने और खिंचाव हो जाने और स्लीपर में किसी भी प्रकार की गड़बड़ी की समस्या काफी हद तक दूर हो जाएगी.
  • रेलवे के सीपीआरओ पंकज कुमार सिंह की माने तो वर्तमान में व्यवस्था दो साल पर चलाई जाती थी, लेकिन अब इस नए सिस्टम के तहत इसे अनवरत रूप दिया जा सकेगा.
  • इससे ट्रैक मेंटेनेंस में भी राहत मिलेगी और पटरियों के ठीक होने से हादसों पर भी रोक लगेगी.

इसे भी पढ़ें:- ये लखनऊ पुलिस है भइया: सिपाही का वसूली करते हुए वीडियो वायरल, दो सस्पेंड

गोरखपुर: पटरियों के चटकने, टूटने या फिर कोई अन्य समस्या होने पर दुर्घटनाओं को रोकने में अब रेलवे काफी कामयाब होगा. रेलवे में डिजाइन और रिचार्च तैयार करने वाली संस्था आरडीएसओ (रिसर्च डिजाइन एन्ड स्टैण्डर्ड ऑर्गनाइजेशन) ने एक ऐसी नई तकनीक बनाई है. एक ट्रैक से दूसरे ट्रैक तक रिकॉर्डिंग कार चलाई जाएगी. इस दौरान ट्रैक से सिस्टम को डाटा मिलता जाएगा और पता चलेगा कि कौन से ट्रैक को मेंटेनेंस की जरुरत है.

दुर्घटनाओं को रोकने में अब रेलवे होगा कामयाब.

दुर्घटनाओं को रोकने में अब रेलवे होगा कामयाब

  • यह परिवर्तन आरडीएसओ में अपने ट्रैक टेस्ट सिस्टम में बदलाव करके किया है.
  • पटरियों के चटकने और खिंचाव हो जाने और स्लीपर में किसी भी प्रकार की गड़बड़ी की समस्या काफी हद तक दूर हो जाएगी.
  • रेलवे के सीपीआरओ पंकज कुमार सिंह की माने तो वर्तमान में व्यवस्था दो साल पर चलाई जाती थी, लेकिन अब इस नए सिस्टम के तहत इसे अनवरत रूप दिया जा सकेगा.
  • इससे ट्रैक मेंटेनेंस में भी राहत मिलेगी और पटरियों के ठीक होने से हादसों पर भी रोक लगेगी.

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Intro:गोरखपुर। रेलवे में पटरियों के चटकने, टूटने या फिर अन्य किसी समस्या के आने से अब दुर्घटनाओं को रोकने में रेलवे काफी कामयाब होगा। रेलवे में डिजाइन और रिचार्च तैयार करने वाली संस्था आरडीएसओ( रिसर्च डिजाइन एन्ड स्टैण्डर्ड ऑर्गनाइजेशन) ने एक ऐसी नई तकनीक ईजाद किया है जिसमें ट्रैक से एक ट्रैक रिकॉर्डिंग कार चलाई जाएगी। इस दौरान ट्रैक से सिस्टम को डाटा मिलता जाएगा, जिसके अध्ययन करने से पता चलेगा कि ट्रैक के मेंटिनेंस की जरूरत क्या है।

नोट--कम्प्लीट पैकेज, वॉइस ओवर अटैच है। पीटीसी भी।


Body:यह परिवर्तन आरडीएसओ में अपने ट्रैक टेस्ट सिस्टम में बदलाव करके किया है जिससे पटवारियों के चटकने खिंचाव हो जाने और स्लीपर में किसी भी प्रकार की गड़बड़ी की समस्या काफी हद तक दूर हो जाएगी रेलवे के सीपीआरओ पंकज कुमार सिंह की माने तो वर्तमान में व्यवस्था 2 साल पर चलाई जाती थी लेकिन अब इस नए सिस्टम के तहत इसे अनवरत रूप दिया जा सकेगा जिससे ट्रैक मेंटेनेंस में भी राहत मिलेगी तो पटेलों की ठीक होने से हादसों पर भी रोक लगेगी उन्होंने बताया कि आरडीएसओ का यह प्रयास रेलवे में संरक्षा की ओर एक नया और बेहतरीन कदम है।

बाइट--पंकज कुमार सिंह, सीपीआरओ, एनईआर


Conclusion:आरडीएसओ के प्रयास से पूर्वोत्तर रेलवे में शुरू होने जा रहे हैं ट्रैक रिकॉर्डिंग सिस्टम से सुरक्षा और सरंक्षा से जुड़े लोग बेहद उत्साहित हैं। दो साल पहले से रेलवे में चल रही इस प्रकार की योजना में यह नया सुधार नया परिवर्तन लाएगा। सीपीआरओ की माने तो ट्रैक पर दिनों दिन ट्रेनों का दबाव बढ़ रहा है। ऊपर से ट्रेनों की स्पीड और समय से पहुचाने की कोशिश में ट्रैक की ही महती भूमिका है। यही वजह है कि इन जरूरतों को पूरा करने में ट्रैक पूरी मजबूती से खड़ा रहे उसकी पड़ताल के लिए टीआरएस सिस्टम लागू करने जा रहा है।

क्लोजिंग पीटीसी
मुकेश पाण्डेय
Etv भारत, गोरखपुर
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