गोरखपुर: जिले में भ्रष्टाचार के खिलाफ जिलाधिकारी विजय किरण आनंद ने कार्रवाई तेज कर दी है. पिछले दिनों जिले के रजिस्ट्री और आरटीओ कार्यालय में व्याप्त भ्रष्टाचार की पुष्टि होने के बाद जहां उन्होंने 12 कर्मचारियों और अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की है. वहीं, कुछ अन्य जो चिह्नित हुए हैं, उनकी गिरफ्तारी के लिए डीएम के निर्देश पर रजिस्ट्री कार्यालय और आरटीओ दफ्तर पर पुलिस की छापेमारी बुधवार को हुई है.
गोरखपुर रजिस्ट्री दफ्तर (Gorakhpur Registry Office) और आरटीओ पर भ्रष्टाचार के मामले (Corruption cases on RTO) में शिकंजा कसता जा रहा है. जिलाधिकारी द्वारा कराए गए स्टिंग के मामले में एफआईआर दर्ज करने के बाद 12 लोगों पर मुकदमा दर्ज हुआ है. सीओ कैंट और फॉरेंसिक टीम के साथ भारी पुलिस बुधवार को रजिस्ट्री कार्यालय पहुंची तो हंगामा मच गया.
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इस मामले में तीन लोगों की पहले ही गिरफ्तारी हो चुकी है. बाकी आरोपियों की सरगर्मी से पुलिस को तलाश है. इस मामले में डीएम सख्त है. उन्होंने कहा कि आरोपी सरेंडर नहीं किए तो मकान की कुर्की होगी. गैंगेस्टर की कार्रवाई भी होगी. दरअसल जिलाधिकारी को रजिस्ट्री कार्यालय में जमीनों की खरीद-फरोख्त में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार की शिकायत मिल रही थी.
दलालों के साथ मिलकर अधिकारी कमीशन बाजी का खेल जमकर चला रहे थे. यही हाल जिले के आरटीओ कार्यालय में भी था. यहां गाड़ियों का लाइसेंस बनवाने से लेकर फिटनेस सर्टिफिकेट जारी करने में भी बड़े स्तर पर भ्रष्टाचार कायम था. डीएम ने इसकी जांच और स्टिंग करने की जिम्मेदारी तहसीलदार सदर को दिया था, इसमें इसकी पुष्टि हुई है. 12 कर्मचारियों और अधिकारियों भ्रष्टाचार की पुष्टि होने के बाद कार्रवाई भी शुरू हो गई है. तीन गिरफ्तार जेल भेज दिए गए हैं जिनकी गिरफ्तारी नहीं हुई है. पुलिस उसके लिए छापेमारी कर रही है.
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