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अधिकारी पी रहे बोतलबंद पानी, आंगनबाड़ी के बच्चों को सादा भी नसीब नहीं

गोरखपुर जिले में 4172 आंगनबाड़ी केंद्र हैं. इनमें से आधे से अधिक केंद्रों पर पानी और शौचालय की व्यवस्था नहीं है. ऐसे में यहां पढ़ने वाले बच्चों को पोषण सामग्री तो मिल जाती है, लेकिन पयेजल और शौचालय की सुविधा नसीब नहीं हो रही है.

आंगनबाड़ी के बच्चे.
आंगनबाड़ी के बच्चे.
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Published : Mar 4, 2021, 2:19 PM IST

Updated : Mar 4, 2021, 5:29 PM IST

गोरखपुरः बच्चे देश के भविष्य होते हैं, लेकिन इस भविष्य की चिंता में सरकार काफी पीछे नजर आ रही है. बात करें प्रदेश में संचालित होने वाले आंगनबाड़ी केंद्रों की तो यहां पर कोई भी ऐसी सुविधा नजर नहीं आती, जो बच्चों के साथ आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को सहूलियत देती हो.

आंगनबाड़ी के बच्चों को नहीं मिल रहा पानी.

पानी और शौचालय की गंभीर समस्या
खास बात यह है कि जिस भी सरकारी और गैर सरकारी स्थान पर यह सेंटर चलाए जाते हैं वहां पर न तो शुद्ध पानी पीने की व्यवस्था है और न ही शौचालय. ऐसे में व्यवस्था पर सवाल उठना लाजमी है. यह सेंटर ग्राम पंचायतों, प्राथमिक स्कूलों के परिसर के अलावा किराये के भवन में भी चलते हैं, जहां पानी और शौचालय की व्यवस्था नहीं है.

किराए पर भी चल रहे सेंटर
जिले में कुल आंगनबाड़ी सेंटरों की संख्या 4172 है, जिसमें 404 विभागीय भवन में संचालित होते हैं. 921 केंद्र पंचायत भवन में संचालित होते हैं तो 2222 केंद्र प्राथमिक स्कूलों के परिसर में. इसके अलावा शहरी क्षेत्र में कुल 625 केंद्र किराये के मकान में चलते हैं. जिसके लिए सरकार 750 रुपये किराया भी देती है. इन सेंटरों पर पानी के साथ शौचालय जैसी व्यवस्था की पड़ताल के लिए जब ईटीवी भारत की टीम निकली तो हालात बहुत दयनीय थी.

पोषण सामग्री बांट रही सरकार
जंगल सिकरी पंचायत भवन के आंगनबाड़ी केंद्र पर बच्चों और अभिभावकों के बीच बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग की योजनाओं के तहत पुष्टाहार, दूध, घी तो बटता मिला लेकिन पानी का कोई इंतजाम नहीं दिखा. पंचायत भवन का इंडिया मार्का भी खराब था. इसके अलावा हैंडपंप के पास गड्ढे में एकत्रित गंदा पानी जलजनित बीमारियों को दावत देता मिला. यहां की आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, अभिभावक सभी ने इन दोनों समस्याओं पर खुलकर बोला. उन्होंने कहा कि कोरोना की महामारी में वह अपने घर से गरम पानी लेकर आती हैं. शौचालय तो उनके सामने बड़ी समस्या है, लेकिन इस ओर किसी का भी ध्यान नहीं है.

यह भी पढ़ेंः-नर्तकी के साथ सामूहिक दुष्कर्म, लापरवाही बरतने पर पुलिसकर्मियों पर गिरी गाज

लोगों ने उठाया सवाल
इस समस्या पर सामाजिक कार्यों से जुटे हुए लोगों ने कहा कि केंद्र की हो या प्रदेश की सरकार जल, स्वच्छता और शौचालय समेत तमाम योजनाएं चला रही हैं. फिर ऐसी जगहों पर वह पानी, शौचालय की व्यवस्था क्यों नहीं कर रहीं जहां मासूम और गरीब घर के बच्चे पढ़ने और पोषाहार पाने जाते हैं. यही नहीं उनकी देखभाल करने वाली महिलाएं हैं.

सभी केंद्रों तक पेयजल पहुंचाने का किया वादा
इस संबंध में जिले के कार्यक्रम अधिकारी से बात की गई तो उन्होंने कहा कि जो आंगनबाड़ी केंद्र किराये के भवन में चल रहे हैं, वहां पानी मिल जाता है. प्राथमिक स्कूलों और पंचायत भवन में जो उनके केंद्र हैं वहां के पानी से काम चला लेते हैं. हां, यह जरूर है कि तमाम केंद्र इन दोनों सुविधाओं से वंचित हैं. उन्होंने कहा कि सरकार की हर घर नल योजना के तहत अगले 100 दिनों में इन सभी केंद्रों को पानी की सुविधा मिल जाएगी. रही बात शौचालय की तो उसके लिए जिला पंचायत राज अधिकारी से बात करके इसका स्थाई हल निकाला जाएगा.

गोरखपुरः बच्चे देश के भविष्य होते हैं, लेकिन इस भविष्य की चिंता में सरकार काफी पीछे नजर आ रही है. बात करें प्रदेश में संचालित होने वाले आंगनबाड़ी केंद्रों की तो यहां पर कोई भी ऐसी सुविधा नजर नहीं आती, जो बच्चों के साथ आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को सहूलियत देती हो.

आंगनबाड़ी के बच्चों को नहीं मिल रहा पानी.

पानी और शौचालय की गंभीर समस्या
खास बात यह है कि जिस भी सरकारी और गैर सरकारी स्थान पर यह सेंटर चलाए जाते हैं वहां पर न तो शुद्ध पानी पीने की व्यवस्था है और न ही शौचालय. ऐसे में व्यवस्था पर सवाल उठना लाजमी है. यह सेंटर ग्राम पंचायतों, प्राथमिक स्कूलों के परिसर के अलावा किराये के भवन में भी चलते हैं, जहां पानी और शौचालय की व्यवस्था नहीं है.

किराए पर भी चल रहे सेंटर
जिले में कुल आंगनबाड़ी सेंटरों की संख्या 4172 है, जिसमें 404 विभागीय भवन में संचालित होते हैं. 921 केंद्र पंचायत भवन में संचालित होते हैं तो 2222 केंद्र प्राथमिक स्कूलों के परिसर में. इसके अलावा शहरी क्षेत्र में कुल 625 केंद्र किराये के मकान में चलते हैं. जिसके लिए सरकार 750 रुपये किराया भी देती है. इन सेंटरों पर पानी के साथ शौचालय जैसी व्यवस्था की पड़ताल के लिए जब ईटीवी भारत की टीम निकली तो हालात बहुत दयनीय थी.

पोषण सामग्री बांट रही सरकार
जंगल सिकरी पंचायत भवन के आंगनबाड़ी केंद्र पर बच्चों और अभिभावकों के बीच बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग की योजनाओं के तहत पुष्टाहार, दूध, घी तो बटता मिला लेकिन पानी का कोई इंतजाम नहीं दिखा. पंचायत भवन का इंडिया मार्का भी खराब था. इसके अलावा हैंडपंप के पास गड्ढे में एकत्रित गंदा पानी जलजनित बीमारियों को दावत देता मिला. यहां की आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, अभिभावक सभी ने इन दोनों समस्याओं पर खुलकर बोला. उन्होंने कहा कि कोरोना की महामारी में वह अपने घर से गरम पानी लेकर आती हैं. शौचालय तो उनके सामने बड़ी समस्या है, लेकिन इस ओर किसी का भी ध्यान नहीं है.

यह भी पढ़ेंः-नर्तकी के साथ सामूहिक दुष्कर्म, लापरवाही बरतने पर पुलिसकर्मियों पर गिरी गाज

लोगों ने उठाया सवाल
इस समस्या पर सामाजिक कार्यों से जुटे हुए लोगों ने कहा कि केंद्र की हो या प्रदेश की सरकार जल, स्वच्छता और शौचालय समेत तमाम योजनाएं चला रही हैं. फिर ऐसी जगहों पर वह पानी, शौचालय की व्यवस्था क्यों नहीं कर रहीं जहां मासूम और गरीब घर के बच्चे पढ़ने और पोषाहार पाने जाते हैं. यही नहीं उनकी देखभाल करने वाली महिलाएं हैं.

सभी केंद्रों तक पेयजल पहुंचाने का किया वादा
इस संबंध में जिले के कार्यक्रम अधिकारी से बात की गई तो उन्होंने कहा कि जो आंगनबाड़ी केंद्र किराये के भवन में चल रहे हैं, वहां पानी मिल जाता है. प्राथमिक स्कूलों और पंचायत भवन में जो उनके केंद्र हैं वहां के पानी से काम चला लेते हैं. हां, यह जरूर है कि तमाम केंद्र इन दोनों सुविधाओं से वंचित हैं. उन्होंने कहा कि सरकार की हर घर नल योजना के तहत अगले 100 दिनों में इन सभी केंद्रों को पानी की सुविधा मिल जाएगी. रही बात शौचालय की तो उसके लिए जिला पंचायत राज अधिकारी से बात करके इसका स्थाई हल निकाला जाएगा.

Last Updated : Mar 4, 2021, 5:29 PM IST
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