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अब थानों में रखी बेशकीमती मूर्तियों को संग्रहालय में मिलेगी जगह

राजकीय बौद्ध संग्रहालय के उपनिदेशक और गोरखपुर जोन के एडीजी के संयुक्त पहल पर विभिन्न पुलिस थानों के मालखाने में सालों से कैद रहने वाली बेशकीमती और अष्टधातु की मूर्तियों को अब नई जिंदगी और पहचान मिलने वाली है.

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बेशकीमती मूर्तियों को संग्रहालय में मिलेगी जगह
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Published : May 14, 2022, 6:55 PM IST

गोरखपुरः राजकीय बौद्ध संग्रहालय (State Buddhist Museum) के उपनिदेशक और गोरखपुर जोन के एडीजी के संयुक्त पहल पर विभिन्न पुलिस थानों के मालखाने में सालों से कैद रहने वाली बेशकीमती और अष्टधातु की मूर्तियों को अब नई जिंदगी और पहचान मिलने वाली है. इन मूर्तियों को थानों के मालखाने से निकालकर बौद्ध संग्रहालय में सुरक्षित रखा जायेगा. यही नहीं इन्हें संभालने के साथ उनके महत्व और रखरखाव पर भी संग्रहालय विशेष ध्यान देगा.

सबसे बड़ी बात ये है कि इस तरह की पहल पूरे देश में गोरखपुर से शुरू हुई है. जबकि बहुत पहले ऐसा करने के लिए तमिलनाडु और उड़ीसा हाई कोर्ट का एक निर्देश जारी भी हुआ था. गोरखपुर का राजकीय बौद्ध संग्रहालय इन मूर्तियों का न सिर्फ संग्रह दाता बनेगा, बल्कि इसके ऐतिहासिक कालखंड के साथ इससे जुड़ी शोध की सभी वस्तुओं को उपलब्ध कराकर शोध से जुड़े विद्यार्थियों को भी लाभ पहुंचाने का काम करेगा.

बेशकीमती मूर्तियों को संग्रहालय में मिलेगी जगह

थानों के मालखाने में कैद रहने वाली ये बेशकीमती मूर्तियां विभिन्न धर्म स्थलों, मंदिरों से चोरी की हुई है. जो काफी पुरानी और ऐतिहासिक धरोहर की श्रेणी में आती है. ये बहुमूल्य है. अंतरराष्ट्रीय बाजार में इनकी कीमत लाखों-करोड़ों में आंकी जाती है. लेकिन मालखाने में कैद रहने की वजह से इनका रखरखाव प्रभावित हो रहा था. इनकी उपयोगिता लोगों के सामने नहीं आ पा रही थी. ऐसे में कोर्ट के डायरेक्शन में ये बातें साफ थी कि पुलिस कस्टडी में रहने वाली उन मूर्तियों को संग्रहालय जैसी जगहों पर रखा जाये, जो सभी तरह के विवादों और कानूनी प्रक्रियाओं से मुक्त हो चुकी हैं.

जिसके बाद गोरखपुर बौद्ध संग्रहालय के उपनिदेशक डॉक्टर मनोज गौतम और गोरखपुर जोन के एडीजी पुलिस अखिल कुमार ने इस विषय पर आपसी तालमेल बनाते हुए काम किये, जिसका नतीजा ये हुआ कि गोरखपुर ही नहीं महाराजगंज, आजमगढ़, बस्ती जैसे जिलों के कई थानों से बेशकीमती मूर्तियां अब संग्रहालय में लाई जा चुकी हैं. इस मामले में डॉक्टर गौतम ने कहा कि और भी मूर्तियों को लाने की प्रक्रिया निरंतर चल रही है. जिस तरह एडीजी जोन ने इस काम को अंजाम देने में सहयोग किया है, उसका बड़ा लाभ समाज और इतिहास को जानने वालों को मिलेगा. ये शोध के विद्यार्थियों के लिए उपयोगी होंगी. ये बड़ी बात होगी. एडीजी जोन ने भी कहा कि इन मूर्तियों को मालखाने में रखने का कोई मतलब नहीं था. समय के साथ ये अपने स्वरूप को खो रही थीं. ये गंदगी के बीच में थी. संग्रहालय में जब ये साफ सफाई के साथ स्थापित होंगी तो इनका महत्व अपने आप बढ़ जायेगा. लोगों को ऐतिहासिक विरासत को देखने पहचानने का असवर मिलेगा.

इसे भी पढ़ें- ज्ञानवापी विवाद: आज पश्चिमी गेट से तहखाने तक सर्वे पूरा, कल मस्जिद के ऊपरी कमरों का सर्वेक्षण

पूर्वी उत्तर प्रदेश में गोरखपुर परिक्षेत्र जैन और बौद्ध धर्म का प्रमुख स्थल तो है ही इसके साथ ही मौर्य, शुंग, कुषाण और गुप्त साम्राज्य का भी ये अभिन्न अंग रहा है. बौद्ध धर्म के उद्भव और विकास का हृदय स्थल होने के नाते मालखाने से बरामद तमाम मूर्तियां इस काल से जुड़ी हुई हैं. वहीं मध्यकालीन नृत्य अष्टभुजी गणेश की प्रतिमा, कुबेर, शिव, सरस्वती, बुद्ध, विष्णु, उमा महेश्वर जैसी मूर्तियों से भी ये संग्रहालय पटा पड़ा है. बौद्ध संग्रहालय और गोरखपुर पुलिस जिस प्रयास में लगी है. उसका आने वाले समय में और बेहतर परिणाम देखने को मिलेगा.

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गोरखपुरः राजकीय बौद्ध संग्रहालय (State Buddhist Museum) के उपनिदेशक और गोरखपुर जोन के एडीजी के संयुक्त पहल पर विभिन्न पुलिस थानों के मालखाने में सालों से कैद रहने वाली बेशकीमती और अष्टधातु की मूर्तियों को अब नई जिंदगी और पहचान मिलने वाली है. इन मूर्तियों को थानों के मालखाने से निकालकर बौद्ध संग्रहालय में सुरक्षित रखा जायेगा. यही नहीं इन्हें संभालने के साथ उनके महत्व और रखरखाव पर भी संग्रहालय विशेष ध्यान देगा.

सबसे बड़ी बात ये है कि इस तरह की पहल पूरे देश में गोरखपुर से शुरू हुई है. जबकि बहुत पहले ऐसा करने के लिए तमिलनाडु और उड़ीसा हाई कोर्ट का एक निर्देश जारी भी हुआ था. गोरखपुर का राजकीय बौद्ध संग्रहालय इन मूर्तियों का न सिर्फ संग्रह दाता बनेगा, बल्कि इसके ऐतिहासिक कालखंड के साथ इससे जुड़ी शोध की सभी वस्तुओं को उपलब्ध कराकर शोध से जुड़े विद्यार्थियों को भी लाभ पहुंचाने का काम करेगा.

बेशकीमती मूर्तियों को संग्रहालय में मिलेगी जगह

थानों के मालखाने में कैद रहने वाली ये बेशकीमती मूर्तियां विभिन्न धर्म स्थलों, मंदिरों से चोरी की हुई है. जो काफी पुरानी और ऐतिहासिक धरोहर की श्रेणी में आती है. ये बहुमूल्य है. अंतरराष्ट्रीय बाजार में इनकी कीमत लाखों-करोड़ों में आंकी जाती है. लेकिन मालखाने में कैद रहने की वजह से इनका रखरखाव प्रभावित हो रहा था. इनकी उपयोगिता लोगों के सामने नहीं आ पा रही थी. ऐसे में कोर्ट के डायरेक्शन में ये बातें साफ थी कि पुलिस कस्टडी में रहने वाली उन मूर्तियों को संग्रहालय जैसी जगहों पर रखा जाये, जो सभी तरह के विवादों और कानूनी प्रक्रियाओं से मुक्त हो चुकी हैं.

जिसके बाद गोरखपुर बौद्ध संग्रहालय के उपनिदेशक डॉक्टर मनोज गौतम और गोरखपुर जोन के एडीजी पुलिस अखिल कुमार ने इस विषय पर आपसी तालमेल बनाते हुए काम किये, जिसका नतीजा ये हुआ कि गोरखपुर ही नहीं महाराजगंज, आजमगढ़, बस्ती जैसे जिलों के कई थानों से बेशकीमती मूर्तियां अब संग्रहालय में लाई जा चुकी हैं. इस मामले में डॉक्टर गौतम ने कहा कि और भी मूर्तियों को लाने की प्रक्रिया निरंतर चल रही है. जिस तरह एडीजी जोन ने इस काम को अंजाम देने में सहयोग किया है, उसका बड़ा लाभ समाज और इतिहास को जानने वालों को मिलेगा. ये शोध के विद्यार्थियों के लिए उपयोगी होंगी. ये बड़ी बात होगी. एडीजी जोन ने भी कहा कि इन मूर्तियों को मालखाने में रखने का कोई मतलब नहीं था. समय के साथ ये अपने स्वरूप को खो रही थीं. ये गंदगी के बीच में थी. संग्रहालय में जब ये साफ सफाई के साथ स्थापित होंगी तो इनका महत्व अपने आप बढ़ जायेगा. लोगों को ऐतिहासिक विरासत को देखने पहचानने का असवर मिलेगा.

इसे भी पढ़ें- ज्ञानवापी विवाद: आज पश्चिमी गेट से तहखाने तक सर्वे पूरा, कल मस्जिद के ऊपरी कमरों का सर्वेक्षण

पूर्वी उत्तर प्रदेश में गोरखपुर परिक्षेत्र जैन और बौद्ध धर्म का प्रमुख स्थल तो है ही इसके साथ ही मौर्य, शुंग, कुषाण और गुप्त साम्राज्य का भी ये अभिन्न अंग रहा है. बौद्ध धर्म के उद्भव और विकास का हृदय स्थल होने के नाते मालखाने से बरामद तमाम मूर्तियां इस काल से जुड़ी हुई हैं. वहीं मध्यकालीन नृत्य अष्टभुजी गणेश की प्रतिमा, कुबेर, शिव, सरस्वती, बुद्ध, विष्णु, उमा महेश्वर जैसी मूर्तियों से भी ये संग्रहालय पटा पड़ा है. बौद्ध संग्रहालय और गोरखपुर पुलिस जिस प्रयास में लगी है. उसका आने वाले समय में और बेहतर परिणाम देखने को मिलेगा.

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