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गोरखपुर: प्रमुख सचिव आवास विकास योजनाओं से हैं अंजान - सड़क निर्माण के लिए तोड़े गए मकान

यूपी के गोरखपुर में असुरन चौक से मेडिकल कॉलेज होते हुए महराजगंज तक फोर लेन की सड़क बनाई जा रही है. इसके तहत मकानों को तोड़ा गया है. वहीं तोडे़ गए मकान और बकाया 70 करोड़ रुपये के मुआवजे के बारे में प्रमुख सचिव आवास और जिले के नोडल अधिकारी दीपक कुमार को कोई जानकारी ही नहीं है.

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प्रमुख सचिव आवास दीपक कुमार.
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Published : Jan 25, 2020, 3:28 AM IST

गोरखपुरः बिना मुआवजा दिए तोड़े गए तमाम मकानों के संदर्भ में बाकी मुआवजे की जानकारी उत्तर प्रदेश के प्रमुख सचिव आवास एवं शहरी विकास दीपक कुमार को नहीं है. दीपक कुमार गोरखपुर के नोडल अफसर भी हैं और जिले में चलाई जा रही विकास योजनाओं के संदर्भ में जानकारी करना, उसकी निगरानी और प्रगति रिपोर्ट जानना उनके दायित्व का हिस्सा है. प्रमुख सचिव को शहर में असुरन चौक से मेडिकल कॉलेज होते हुए महराजगंज तक बनाई जा रही फोर लेन की सड़क में तोड़े गए मकान और बकाया 70 करोड़ रुपये के मुआवजे की न कोई जानकारी है और न ही उन्हें जिले के अधिकारियों ने इससे अवगत कराया है.

नोडल अधिकारी को तोडे़ गए मकानों की नहीं है जानकारी.

प्रमुख सचिव शुक्रवार को गोरखपुर में थे और यहां चलाई जा रही विकास योजनाओं की समीक्षा बैठक जिला स्तरीय अधिकारियों के साथ की. इसके बाद मीडिया से मुखातिब हुए तो सवालों का सही जवाब देने से बचते रहे. उन्होंने कहा कि यह मुख्यमंत्री का शहर है. वह जो कहते हैं और उनकी जो प्राथमिकताएं हैं, वही काम करने वह भी आए हैं. जब मुआवजे के संदर्भ में उनसे सवाल किया गया तो वह हैरान हो गए. उन्होंने कहा कि इसकी उन्हें जानकारी नहीं है. वहीं मुआवजा न पाने से असुरन रोड पर रहने वाले लोग दुखी हैं. गोरखपुर में करोड़ों की योजनाएं चल रहीं हैं और चारों तरफ विकास का काम हो रहा है. इससे शहर में सुविधाओं के बढ़ने की उम्मीद है तो कई तरह की समस्याएं भी पैदा हो रही हैं.

गोरखपुरः बिना मुआवजा दिए तोड़े गए तमाम मकानों के संदर्भ में बाकी मुआवजे की जानकारी उत्तर प्रदेश के प्रमुख सचिव आवास एवं शहरी विकास दीपक कुमार को नहीं है. दीपक कुमार गोरखपुर के नोडल अफसर भी हैं और जिले में चलाई जा रही विकास योजनाओं के संदर्भ में जानकारी करना, उसकी निगरानी और प्रगति रिपोर्ट जानना उनके दायित्व का हिस्सा है. प्रमुख सचिव को शहर में असुरन चौक से मेडिकल कॉलेज होते हुए महराजगंज तक बनाई जा रही फोर लेन की सड़क में तोड़े गए मकान और बकाया 70 करोड़ रुपये के मुआवजे की न कोई जानकारी है और न ही उन्हें जिले के अधिकारियों ने इससे अवगत कराया है.

नोडल अधिकारी को तोडे़ गए मकानों की नहीं है जानकारी.

प्रमुख सचिव शुक्रवार को गोरखपुर में थे और यहां चलाई जा रही विकास योजनाओं की समीक्षा बैठक जिला स्तरीय अधिकारियों के साथ की. इसके बाद मीडिया से मुखातिब हुए तो सवालों का सही जवाब देने से बचते रहे. उन्होंने कहा कि यह मुख्यमंत्री का शहर है. वह जो कहते हैं और उनकी जो प्राथमिकताएं हैं, वही काम करने वह भी आए हैं. जब मुआवजे के संदर्भ में उनसे सवाल किया गया तो वह हैरान हो गए. उन्होंने कहा कि इसकी उन्हें जानकारी नहीं है. वहीं मुआवजा न पाने से असुरन रोड पर रहने वाले लोग दुखी हैं. गोरखपुर में करोड़ों की योजनाएं चल रहीं हैं और चारों तरफ विकास का काम हो रहा है. इससे शहर में सुविधाओं के बढ़ने की उम्मीद है तो कई तरह की समस्याएं भी पैदा हो रही हैं.

Intro:गोरखपुर। बिना मुआवजा दिए तोड़े गए गोरखपुर के तमाम मकानों के संदर्भ में बाकी मुआवजे की जानकारी उत्तर प्रदेश के प्रमुख सचिव आवास एवं शहरी विकास दीपक कुमार को नहीं है। दीपक कुमार गोरखपुर के नोडल अफसर भी हैं और जिले में चलाई जा रही विकास योजनाओं के संदर्भ में जानकारी करना, उसकी निगरानी और प्रगति रिपोर्ट जानना उनके दायित्व का हिस्सा है। लेकिन प्रमुख सचिव को शहर में असुरन चौक से मेडिकल कॉलेज होते हुए महाराजगंज को बनाई जा रही फोर लेन की सड़क में तोड़े गए मकान और बकाया 70 करोड रुपए के मुआवजे की न कोई जानकारी है और ना ही उन्हें जिले के अधिकारियों ने इससे अवगत कराया है। ऐसे में पीड़ितों को मुआवजा मिलना कहां से संभव हो पाएगा।

नोट--रेडी टू फ्लैश, वॉइस ओवर अटैच है।


Body:प्रमुख सचिव शुक्रवार को गोरखपुर में थे और यहां चलाई जा रही विकास योजनाओं की समीक्षा बैठक भी जिला स्तरीय अधिकारियों के साथ किए। इसके बाद जब वह बाहर निकले और मीडिया से मुखातिब हुए तो सवालों का सही जवाब देने से बचते रहे। उन्होंने कहा कि यह मुख्यमंत्री का शहर है। वह जो कहते हैं और उनकी जो प्राथमिकताएं है आप सभी जानते हैं। वही काम करने वह भी आए हैं। लेकिन जब मुआवजे के संदर्भ में उनसे सवाल किया गया तो वह हैरान हो गए। उन्होंने कहा कि इसकी उन्हें जानकारी नहीं है। मीडिया से अब उन्हें जानकारी मिली है तो इस संदर्भ को वह दिखवाएंगे। वहीं मुआवजा न पाने से असुरन रोड के लोग दुखी हैं।

बाइट-दीपक कुमार, प्रमुख सचिव, आवास एवं शहरी विकास
बाइट-शमशाद आलम, पीड़ित


Conclusion:गोरखपुर में करोड़ों की योजनाएं चल रहीं हैं और चारों तरफ विकास का काम हो रहा है। इससे शहर में सुविधाओं के बढ़ने की उम्मीद है तो कई तरह की समस्याएं भी पैदा हो रही हैं। लेकिन जिला स्तरीय अधिकारी नोडल अफसर को सही जानकारी नहीं दे रहे हैं। जिसकी बानगी है कि मुआवजे के संदर्भ में बाकी 70 करोड़ के के बारे में प्रमुख सचिव को कोई जानकारी नहीं दी गई। जिसको पाने के इंतजार में बैठे लोगों को राहत मिलती। वहीं सरकार की बिगड़ी हुई छवि भी भी सुधरती, पर अधिकारी अपनी गर्दन ही बचाने में लगे रहे।

मुकेश पाण्डेय
Etv भारत, गोरखपुर
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