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गोरखपुर: मुफ्त मिट्टी गूथने की मशीन, चाक और भट्टी देने के फैसले से खिले कुम्हारों के चेहरे - गोरखपुर के कुम्हार

यूपी के गोरखपुर में मुफ्त चाक और मिट्टी गूथने की मशीनों को पाने के बाद जिले के शिल्पकारों के चेहरे खुशी से खिल गए हैं. शिल्पकारों का कहना है कि इससे उनके पुस्तैनी हुनर को एक नया रंग मिलेगा.

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खिले कुम्हारों के चेहरे.
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Published : Sep 15, 2020, 7:22 PM IST

गोरखपुर: प्रदेश की योगी सरकार द्वारा मुफ्त चाक की मशीन, मिट्टी गूथने की मशीन और भट्टी देने के बाद जिले के कुम्हारों के चेहरे खिल गए हैं. इसके साथ ही प्रदेश सरकार ने पहले प्लास्टिक एवं थर्माकोल के कप-प्लेट की बिक्री पर प्रतिबंध लगाया. प्रदेश सरकार ने शिल्पकारों के मद्देनजर माटी और शिल्प कला उद्योग बोर्ड का गठन किया. अब इस नई पहल ने कुम्हारों के पुस्तैनी धंधे में रौनक की उम्मीद ला दी है. शिल्पकार इससे स्वरोजगार के साथ अपनी आर्थिक आमदनी भी बढ़ा सकेंगे.

चाक मशीन मिलने के बाद खिले कुम्हारों के चेहरे.
आग में लाल मिट्टी को पकाकर उससे तरह तरह के बर्तन, कलाकृतियां, मूर्तियां और सजावटी सामान बनाने की कला टेराकोटा भारत के कई हिस्सों में जानी मानी हस्तकलाओं में से एक है. चार दशक पहले उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले में कुम्हारों ने टेराकोटा के बर्तन व सजावटी सामान बनाना शुरू किया. इस कला ने यहां के स्थानीय कुम्हारों को एक नया रोजगार दिया है. विश्व में अपनी कला के लिए अलग पहचान रखने वाली गोरखपुर की मिट्टी की हस्तकला से दूर होती अगली पीढ़ी को भी जोड़ने के प्रयास शुरू हो गए हैं.आपको बता दें कि बेजोड़ हस्तकला और मिट्टी की कलाकृतियों के लिए मशहूर गोरखपुर के औरंगाबाद गांव के टेराकोटा (मिट्टी के खिलौने) कारीगरों ने भले ही देश-विदेश में नाम कमाया हो, लेकिन संसाधनों के अभाव से उनका मोह कम हो रहा है. वजह है, मेहनत अधिक और मेहनताना कम. इसी कारण ये टेराकोटा के शिल्पकार अपने पुस्तैनी हुनर से दूर हो रहे थे, लेकिन प्रदेश सरकार की इस पहल से इनको संजीवनी मिल गयी, जिससे शिल्पकार पुस्तैनी हुनर को नया रंग देने में नए संसाधनों के साथ जी जान से जुट गए हैं.इन टेराकोटा शिल्पकारों की देश-विदेश में पहचान बढ़ाने के साथ ही कुम्हारों की दिक्कतों को दूर करने के प्रयास भी शुरू हो गए हैं. प्रदेश सरकार ने इसे 'वन डिस्ट्रिक्ट, वन प्रोडक्ट' के तहत गोरखपुर से शामिल भी किया है, जिससे प्रदेश के शिल्पकारों की आमदनी बढ़ सके.

गोरखपुर: प्रदेश की योगी सरकार द्वारा मुफ्त चाक की मशीन, मिट्टी गूथने की मशीन और भट्टी देने के बाद जिले के कुम्हारों के चेहरे खिल गए हैं. इसके साथ ही प्रदेश सरकार ने पहले प्लास्टिक एवं थर्माकोल के कप-प्लेट की बिक्री पर प्रतिबंध लगाया. प्रदेश सरकार ने शिल्पकारों के मद्देनजर माटी और शिल्प कला उद्योग बोर्ड का गठन किया. अब इस नई पहल ने कुम्हारों के पुस्तैनी धंधे में रौनक की उम्मीद ला दी है. शिल्पकार इससे स्वरोजगार के साथ अपनी आर्थिक आमदनी भी बढ़ा सकेंगे.

चाक मशीन मिलने के बाद खिले कुम्हारों के चेहरे.
आग में लाल मिट्टी को पकाकर उससे तरह तरह के बर्तन, कलाकृतियां, मूर्तियां और सजावटी सामान बनाने की कला टेराकोटा भारत के कई हिस्सों में जानी मानी हस्तकलाओं में से एक है. चार दशक पहले उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले में कुम्हारों ने टेराकोटा के बर्तन व सजावटी सामान बनाना शुरू किया. इस कला ने यहां के स्थानीय कुम्हारों को एक नया रोजगार दिया है. विश्व में अपनी कला के लिए अलग पहचान रखने वाली गोरखपुर की मिट्टी की हस्तकला से दूर होती अगली पीढ़ी को भी जोड़ने के प्रयास शुरू हो गए हैं.आपको बता दें कि बेजोड़ हस्तकला और मिट्टी की कलाकृतियों के लिए मशहूर गोरखपुर के औरंगाबाद गांव के टेराकोटा (मिट्टी के खिलौने) कारीगरों ने भले ही देश-विदेश में नाम कमाया हो, लेकिन संसाधनों के अभाव से उनका मोह कम हो रहा है. वजह है, मेहनत अधिक और मेहनताना कम. इसी कारण ये टेराकोटा के शिल्पकार अपने पुस्तैनी हुनर से दूर हो रहे थे, लेकिन प्रदेश सरकार की इस पहल से इनको संजीवनी मिल गयी, जिससे शिल्पकार पुस्तैनी हुनर को नया रंग देने में नए संसाधनों के साथ जी जान से जुट गए हैं.इन टेराकोटा शिल्पकारों की देश-विदेश में पहचान बढ़ाने के साथ ही कुम्हारों की दिक्कतों को दूर करने के प्रयास भी शुरू हो गए हैं. प्रदेश सरकार ने इसे 'वन डिस्ट्रिक्ट, वन प्रोडक्ट' के तहत गोरखपुर से शामिल भी किया है, जिससे प्रदेश के शिल्पकारों की आमदनी बढ़ सके.
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