गोरखपुरः सनातन संस्कृति को साहित्य के माध्यम से संरक्षित करने वाली विश्व प्रसिद्ध संस्था गीता प्रेस अपने शताब्दी वर्ष में कई अहम मुकाम हासिल किए हैं. जो धर्म ग्रंथों के प्रकाशन से लेकर, प्रमाणिकता और सिद्धांत पर यह अटल रही है. यही इसका स्वर्णिम काल बन गया. इसके शताब्दी वर्ष समारोह का आयोजन वर्ष 2022 में शुरू हुआ था. जिसका आगाज तत्कालीन राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद के हाथों से हुआ था. अब इसका समापन अवसर भी आ गया, जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में 7 जुलाई को होगा.
वर्ष 1923 में स्थापित गीता प्रेस के शताब्दी वर्ष समारोह का औपचारिक शुभारंभ पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 4 जून 2022 को किया था. अब 7 जुलाई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मुख्य आतिथ्य में गीता प्रेस के शताब्दी वर्ष का समापन समारोह होने जा रहा है. खास बात यह भी है कि नरेंद्र मोदी गीता प्रेस आने वाले देश के पहले प्रधानमंत्री भी होंगे. गीता प्रेस प्रबंधन से जुड़े डॉक्टर लालमणि तिवारी और ट्रस्टी देवीदयाल अग्रवाल कहते हैं कि निश्चित रूप से प्रधानमंत्री के तौर पर नरेंद्र मोदी का गीता प्रेस आना पूरे गीता प्रेस परिवार और ट्रस्ट के लिए बड़े ही उत्साह का विषय है. परिसर में पीएम के कदम रखते ही उनका स्वागत गीता प्रेस परिवार की तरफ से किया जाएगा. इसके बाद पीएम लीला चित्र मंदिर का अवलोकन करेंगे.
लालमणि तिवारी ने बताया कि इस दौरान गीता प्रेस प्रबंधन और ट्रस्टी के साथ उनकी कुछ देर की मुलाकात और बातचीत होगी. फिर वह मंच पर आएंगे. जहां उनका सम्मान ट्रस्ट की तरफ से किया जाएगा. स्वागत भाषण होगा और फिर प्रधानमंत्री के उद्बोधन से इस आयोजन में आमंत्रित, 400 विशिष्ट अतिथि लाभान्वित होंगे. जो गीता प्रेस के लिए गौरवमई और इतिहास का विषय बनेगा. देश का कोई पहला प्रधानमंत्री उनके परिसर से सनातन धर्म और धार्मिक पुस्तकों की छपाई के इस बड़े केंद्र से नव सिर्फ कुछ लोगों को संबोधित करेंगे बल्कि यह संदेश पूरी दुनिया को समाचार माध्यमों के माध्यम से जाएगा.
लालमणि तिवारी ने बताया कि शताब्दी समारोह के उद्घाटन समारोह में पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने गीता प्रेस का भ्रमण किया था. उन्होंने यहां के लीलाचित्र मंदिर का अवलोकन करने के बाद आर्ट पेपर पर छपी श्रीरामचरितमानस के विशेष अंक और गीता तत्व विवेचनी का विमोचन भी किया था. तब श्री कोविंद ने कहा था कि गीता प्रेस एक सामान्य प्रिंटिंग प्रेस नहीं, बल्कि समाज का मार्गदर्शन करने वाला साहित्य का मंदिर है. सनातन धर्म और संस्कृति को बचाए रखने में इसकी भूमिका मंदिरों और तीर्थ स्थलों जितनी ही महत्वपूर्ण है.
पीएम मोदी के दौरे को लेकर तिवारी ने कहा कि 7 जुलाई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मुख्य आतिथ्य में गीता प्रेस के शताब्दी वर्ष का समापन समारोह होने जा रहा है. गीता प्रेस में वह आर्ट पेपर पर मुद्रित श्री शिव महापुराण के विशिष्ट अंक (रंगीन, चित्रमय) का भी विमोचन करेंगे. प्रधानमंत्री के आगमन को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के मार्गदर्शन में प्रशासन के स्तर से सभी तैयारियां लगभग पूरी हो चुकी हैं. धार्मिक और आध्यात्मिक पुस्तकों के प्रकाशन के लिहाज से गीता प्रेस विश्व की सबसे बड़ी प्रकाशन संस्था है. घर-घर में श्रीरामचरितमानस और श्रीमद्भागवत ग्रंथों को पहुंचाने का श्रेय गीता प्रेस को ही जाता है.
उन्होंने बताया कि गीता प्रेस की स्थापना 1923 में किराए के भवन में सेठ जयदयाल गोयंदका ने की थी. हनुमान प्रसाद पोद्दार के गीता प्रेस से जुड़ने और कल्याण पत्रिका का प्रकाशन शुरू होने के साथ ही इसकी ख्याति उत्तरोत्तर वैश्विक होती गई. स्थापना काल से अब तक 92 करोड़ से अधिक पुस्तकों का प्रकाशन गीता प्रेस की तरफ से किया जा चुका है. गीता प्रेस की स्थापना के बाद से यहां विशिष्ट जनों आना होता रहता है. यदि सत्ता व्यवस्था के शीर्ष को देखें तो अब तक दो राष्ट्रपति यहां आ चुके हैं. 1955 में देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद यहां आए थे. तब उन्होंने यहां स्थित विश्व प्रसिद्ध लीला चित्र मंदिर और गीता प्रेस के मुख्य द्वार का लोकार्पण किया था. उल्लेखनीय है कि लीला चित्र मंदिर में श्रीमद्भागवत गीता के 18 अध्याय दीवारों पर लिखे गए हैं.
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