गोरखपुर: जिले में पर्यटकों को आकर्षित करने वाला और मुंबई के जुहू चौपाटी की तर्ज पर विकसित रामगढ़ ताल अब प्रदेश का पहला वेटलैंड होगा. इसके नोटिफिकेशन के साथ ही रामगढ़ ताल के 500 मीटर के दायरे में आने वाले करीब 10 हजार मकानों के टूटने का खतरा फिलहाल टल गया है. इसमें जीडीए की कॉलोनियों के करीब 5 हजार मकान भी शामिल हैं.
बता दें, एनजीटी की ओर से गठित हाई पावर कमेटी ने पिछले साल रामगढ़ ताल के 500 मीटर के दायरे को वेटलैंड बताते हुए निर्माण को ध्वस्त करने के लिए सिफारिश की थी. वहीं गोरखपुर विकास प्राधिकरण अर्थात (जीडीए) ने दलील दी थी कि ताल के 50 मीटर दायरे में निर्माण पर प्रतिबंध है, क्योंकि वह वेटलैंड का दायरा है.
फिलहाल एनजीटी में मामला अभी लंबित है. वहीं जीडीए भी वन विभाग की तरफ से रामगढ़ ताल के वेटलैंड एरिया के फाइनल नोटिफिकेशन का बेसब्री से इंतजार कर रहा है. प्राधिकरण अब नोटिफिकेशन को ग्राउंड बनाकर एनजीटी में अपना पक्ष रखेगा. रामगढ़ ताल को प्रदेश का पहला वेटलैंड घोषित करने के पीछे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की खास पहल हुई है. इसके पीछे का कारण है कि रामगढ़ ताल को उसके मूर्तरूप को बनाए रखने के साथ ही जलीय जीव और वन संपदा को संरक्षण किया जा सकेगा. साथ ही यही प्रक्रिया रामगढ़ ताल के अस्तित्व को जहां बचाएगी, वहीं इसके 50 मीटर के दायरे के बाहर बन चुके 5000 से ज्यादा मकानों को भी ध्वस्त होने से बचा ले जाएगी. वेटलैंड मैनेजमेंट एक्ट 2017 की जब घोषणा हुई, तो इसके तहत वेटलैंड तय करने का अधिकार राज्य सरकार के पास आ गया था और इसी एक्ट का उपयोग करके योगी सरकार ने रामगढ़ ताल को प्रदेश का पहला वेटलैंड घोषित किया है. ताल का हो रहा विकास आज लोगों के आकर्षण का केंद्र बन चुका है.
वेटलैंड घोषित होने के बाद रामगढ़ ताल के किनारे बसे लोगों को राहत मिलती दिखाई दे रही है. लंबे प्रयासों के बाद योगी आदित्यनाथ ने इसे राष्ट्रीय झील संरक्षण योजना में शामिल भी कराया था. मुख्यमंत्री बनने के बाद योगी ने न केवल रामगढ़ ताल के सौंदर्यीकरण कराने में तेजी दिखाई, बल्कि नया सवेरा, स्पोर्ट्स एक्टिविटी समेत ताल के इर्द-गिर्द कई तरह के परियोजनाएं शुरू कराकर इसे मुंबई के जुहू चौपाटी और नरीमन प्वाइंट से बेहतर पर्यटन का केंद्र बनाया जाने का निर्देश अधिकारियों को दिया है. इसपर काम चल रहा है.