गोरखपुर: जिले में सरयू और राप्ती समेत अन्य नदियों ने तबाही मचानी शुरू कर दी है. गुरुवार को 32 नए गांव बाढ़ से प्रभावित हो गए हैं. इनमें 24 गांव पूरी तरह से पानी से घिर गए हैं. बाढ़ से करीब 12 हजार से अधिक की आबादी प्रभावित हो गई है. नदियों के बढ़ते जलस्तर से ग्रामीण डरे हुए हैं. प्रशासन की लापरवाही से लोग बेहद नाराज नजर आ रहे हैं.
पिछले 48 घंटे में सरयू नदी के जलस्तर में रिकॉर्ड 51 सेंटीमीटर की बढ़ोतरी हुई है. वह खतरे के निशान से 59 सेंटीमीटर ऊपर बह रही है. नदी के बढ़ते जलस्तर को देखते हुए सिंचाई विभाग ने सभी तटबंधों की निगरानी बढ़ा दी है. राप्ती नदी का भी जलस्तर बढ़ने का भी क्रम जारी है, हालांकि वह खतरे के निशान से 49 सेंटीमीटर नीचे बह रही है.
चिंतित हैं किसान
एहतियात के तौर पर चोरमा और तरकुलानी रेग्युलेटर को बंद करने का निर्देश दिया गया है. राप्ती नदी के किनारे बसे विहुआ, जगदीशपुर, पण्डितपुर, छपरा, सूबेदारनगर माझा, भटपुरवा, कोइलीखाल समेत 24 गांव पानी से घिरे हुए हैं. इन गांव में धान और मक्के की फसल पूरी तरह नष्ट हो गई है, जिससे किसान चिंतित हैं.
जिला प्रशासन ने पानी हटने के बाद नुकसान के आकलन की बात कही है. बाढ़ पीड़ितों का कहना है कि नेता, अधिकारियों का खूब दावा है, लेकिन बाढ़ के समय प्रशासन से कोई राहत नहीं मिली है.
बाढ चौकियों को किया गया क्रियाशील
बाढ़ को देखते हुए 86 बाढ़ चौकियों को क्रियाशील कर दिया गया है और 73 बाढ़ चौकियों का विवरण बाढ़ कार्य योजना 2020 पोर्टल पर जिला प्रशासन ने अपलोड कर दिया है. इस दौरान एकीकृत कोविड कमांड और बाढ़ कंट्रोल रूम की स्थापना कर दी गई है. 40 नाव पंचायती राज विभाग के माध्यम से खरीदी गई है. जिसमें से 12 नाव सहजनवा तहसील को भेजी गई है. 30 बड़ी नाव अयोध्या से मंगाई गई है.
प्रशासन बांट रहा राहत सामग्री
इस दौरान जिला प्रशासन बाढ़ पीड़ितों में जो राहत सामग्री वितरित कर रहा है, उसकी कीमत करीब 1365 रुपये प्रति पैकेट पड़ रही है. जिसमें 17 प्रकार की जरूरी खाद्य सामग्री, केरोसिन ऑयल, क्लोरीन की टेबलेट और नहाने का साबुन तक मौजूद है.