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गोरखपुर: जानलेवा बना गोरखपुर-वाराणसी मार्ग

गोरखपुर से वाराणसी के बीच बनाई जा रही फोरलेन सड़क की स्थिति बेहद खराब है. सड़कों पर बड़े गड्ढे और उसमें भरे पानी ने लोगों के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी हैं. इसका शिलान्यास 8 सितंबर 2016 को सांसद रहे योगी आदित्यनाथ की पहल पर केंद्रीय सड़क और परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने किया था.

गोरखपुर-वाराणसी मार्ग
गोरखपुर-वाराणसी मार्ग
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Published : Jul 17, 2020, 3:04 PM IST

गोरखपुर: प्रदेश सरकार गड्ढे मुक्त सड़कों के चाहे जितने दावे कर ले, लेकिन उनके सारे दावों की पोल खोलती नजर आ रही हैं यह गड्ढे युक्त सड़कें. जनपद से वाराणसी के बीच बनाई जा रही फोरलेन सड़क का हाल बेहद खराब है. इसमें इतने गड्ढे हैं कि न तो उन्हें गिना जा सकता है और न ही इसे नजरअंदाज करके चला जा सकता है. गड्ढे इतने बड़े-बड़े हैं कि क्षमतावान ट्रकों के पहिए भी कछुए की गति से इस सड़क पर चलते हैं और थोड़ी भी लापरवाही जान लेवा हो सकती है.

गोरखपुर-वाराणसी मार्ग.
2016 में हुआ था शिलान्यास
दरअसल सांसद रहते हुए योगी आदित्यनाथ की पहल पर 8 सितंबर 2016 को केंद्रीय सड़क और परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने इस सड़क का शिलान्यास किया था. जो चार साल बीतने पर भी पूर्ण नहीं हो पाया है और इसके मौजूदा हालात आपके सामने हैं.
NHAI को मिली है देखरेख की जिम्मेदारी
गोरखपुर-वाराणसी मार्ग को एनएच-29 का दर्जा प्राप्त है. इसकी देख-रेख एनएचएआई कर रहा है और इसके निर्माण की जिम्मेदारी जयप्रकाश एसोसिएट को दी गई है. NHAI को जनपद डिवीजन में 131 किलोमीटर की सड़क बनाना है, जिस पर 18 सौ करोड़ रुपए खर्च होने हैं. इसमें जिले की सीमा करीब 65 किलोमीटर की आती है. गड्ढों की भरमार लिए इस सड़क के 65 किलोमीटर की यात्रा को मौजूदा समय में करीब 4 घंटे में लोग तय कर रहे हैं. हालत यह कि रोडवेज बस ड्राइवर इस मार्ग से जाना ही नहीं चाहते.
निर्माण कार्य अधूरा
वहीं इस मार्ग से दिन भर में करीब 35 सौ बड़ी-छोटी गाड़ियां गुजरती हैं, तो दो पहिया वाहन भी हजारों की संख्या में गुजरते हैं. इसके बावजूद इन सड़क के निर्माण पर कार्यदायी संस्था से लेकर शासन-प्रशासन गंभीर नहीं है. यही वजह है कि 4 सालों में भी यह सड़क प्रशासन की अनदेखी का शिकार रही और अभी तक इसका निर्माण कार्य पूरा नहीं हो सका.
परिस्थितियों के कारण नहीं हो पाया निर्माण
एनएचएआई के परियोजना प्रबंधक इसके लिए काम करने वाली संस्था जयप्रकाश एसोसिएट्स की फाइनेंसियल प्रॉब्लम को पहली कड़ी बताते हैं. इसकी वजह से कार्य लेट हुआ और शुरू हुआ तो बारिश, मुआवजा और लॉकडाउन जैसी परिस्थितियां इस मार्ग के निर्माण में ग्रहण बन गईं. उन्होंने कहा कि सड़क में जो भी गड्ढे होते हैं उन्हें तत्काल भराने का कार्य किया जाता है, लेकिन विपरीत परिस्थितियों से ही इसका निर्माण गति नहीं पकड़ पा रहा.
जिले की सीमा में निर्माणाधीन इस फोरलेन के प्रोजेक्ट में 60 मीटर से ज्यादा के 4 बड़े पुल और 12 छोटे पुल बनाए जाएंगे. इसमें एक व्हेकिल अंडरपास भी होगा. सितंबर 2016 में इस प्रोजेक्ट की कुल लागत गोरखपुर से वाराणसी तक 2738 करोड़ रुपए थी जो मौजूदा समय में बढ़कर 3 हजार करोड़ से ऊपर हो गई है. अभी भी इस सड़क के किनारों से मुआवजा पाए लोगों का कब्जा नहीं हटा है, जो बताता है कि इसके निर्माण को लेकर कार्यदायी संस्था और प्रशासन कितना गंभीर है.

गोरखपुर: प्रदेश सरकार गड्ढे मुक्त सड़कों के चाहे जितने दावे कर ले, लेकिन उनके सारे दावों की पोल खोलती नजर आ रही हैं यह गड्ढे युक्त सड़कें. जनपद से वाराणसी के बीच बनाई जा रही फोरलेन सड़क का हाल बेहद खराब है. इसमें इतने गड्ढे हैं कि न तो उन्हें गिना जा सकता है और न ही इसे नजरअंदाज करके चला जा सकता है. गड्ढे इतने बड़े-बड़े हैं कि क्षमतावान ट्रकों के पहिए भी कछुए की गति से इस सड़क पर चलते हैं और थोड़ी भी लापरवाही जान लेवा हो सकती है.

गोरखपुर-वाराणसी मार्ग.
2016 में हुआ था शिलान्यास
दरअसल सांसद रहते हुए योगी आदित्यनाथ की पहल पर 8 सितंबर 2016 को केंद्रीय सड़क और परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने इस सड़क का शिलान्यास किया था. जो चार साल बीतने पर भी पूर्ण नहीं हो पाया है और इसके मौजूदा हालात आपके सामने हैं.
NHAI को मिली है देखरेख की जिम्मेदारी
गोरखपुर-वाराणसी मार्ग को एनएच-29 का दर्जा प्राप्त है. इसकी देख-रेख एनएचएआई कर रहा है और इसके निर्माण की जिम्मेदारी जयप्रकाश एसोसिएट को दी गई है. NHAI को जनपद डिवीजन में 131 किलोमीटर की सड़क बनाना है, जिस पर 18 सौ करोड़ रुपए खर्च होने हैं. इसमें जिले की सीमा करीब 65 किलोमीटर की आती है. गड्ढों की भरमार लिए इस सड़क के 65 किलोमीटर की यात्रा को मौजूदा समय में करीब 4 घंटे में लोग तय कर रहे हैं. हालत यह कि रोडवेज बस ड्राइवर इस मार्ग से जाना ही नहीं चाहते.
निर्माण कार्य अधूरा
वहीं इस मार्ग से दिन भर में करीब 35 सौ बड़ी-छोटी गाड़ियां गुजरती हैं, तो दो पहिया वाहन भी हजारों की संख्या में गुजरते हैं. इसके बावजूद इन सड़क के निर्माण पर कार्यदायी संस्था से लेकर शासन-प्रशासन गंभीर नहीं है. यही वजह है कि 4 सालों में भी यह सड़क प्रशासन की अनदेखी का शिकार रही और अभी तक इसका निर्माण कार्य पूरा नहीं हो सका.
परिस्थितियों के कारण नहीं हो पाया निर्माण
एनएचएआई के परियोजना प्रबंधक इसके लिए काम करने वाली संस्था जयप्रकाश एसोसिएट्स की फाइनेंसियल प्रॉब्लम को पहली कड़ी बताते हैं. इसकी वजह से कार्य लेट हुआ और शुरू हुआ तो बारिश, मुआवजा और लॉकडाउन जैसी परिस्थितियां इस मार्ग के निर्माण में ग्रहण बन गईं. उन्होंने कहा कि सड़क में जो भी गड्ढे होते हैं उन्हें तत्काल भराने का कार्य किया जाता है, लेकिन विपरीत परिस्थितियों से ही इसका निर्माण गति नहीं पकड़ पा रहा.
जिले की सीमा में निर्माणाधीन इस फोरलेन के प्रोजेक्ट में 60 मीटर से ज्यादा के 4 बड़े पुल और 12 छोटे पुल बनाए जाएंगे. इसमें एक व्हेकिल अंडरपास भी होगा. सितंबर 2016 में इस प्रोजेक्ट की कुल लागत गोरखपुर से वाराणसी तक 2738 करोड़ रुपए थी जो मौजूदा समय में बढ़कर 3 हजार करोड़ से ऊपर हो गई है. अभी भी इस सड़क के किनारों से मुआवजा पाए लोगों का कब्जा नहीं हटा है, जो बताता है कि इसके निर्माण को लेकर कार्यदायी संस्था और प्रशासन कितना गंभीर है.
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