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गोरखपुर: पांच सालों में कौशल विकास के महज 20 फीसदी प्रशिक्षुओं को मिला रोजगार

उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में कौशल विकास योजना को बढ़ावा देने के लिए सीएम योगी जोर-शोर से जुटे हैं. इसके बावजूद कौशल विकास योजना से पिछले पांच सालों में 20 फीसदी प्रशिक्षुओं को ही रोजगार मिल सका है.

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प्रशिक्षुओं को नहीं मिल रहा है रोजगार.
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Published : Jan 21, 2020, 6:25 PM IST

गोरखपुर: युवाओं को ज्यादा से ज्यादा रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने के लिए शुरू की गई प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना जिले में दम तोड़ती नजर आ रही है. प्रधानमंत्री की इस अति महत्वाकांक्षी योजना के पिछले 5 सालों के रिकॉर्ड पर नजर डालें तो प्रशिक्षण हासिल करने वाले 80 फीसदी युवाओं को नौकरी नहीं मिल सकी है.

प्रशिक्षुओं को नहीं मिल रहा है रोजगार.

वहीं स्वरोजगार के लिए जाने वाले युवाओं की संख्या 18 फीसदी पर ही सिमट कर रह गई है. यह स्थिति तब है जब कौशल विकास को बढ़ावा देने में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर मुख्यमंत्री तक जोर-शोर से जुटे हैं.

रोजगार और स्वरोजगार से नहीं जुड़े प्रशिक्षणार्थी
वर्ष 2019-20 का प्रशिक्षण अभी एक-दो सेंटर पर ही शुरू हो सका है, जबकि मार्च में शैक्षिक सत्र भी खत्म हो जाएगा. जो पुराने प्रशिक्षणार्थी हैं वह विभिन्न सेंटरों में प्रशिक्षण लेते देखे जा सकते हैं, लेकिन रोजगार और स्वरोजगार से इन्हें अभी नहीं जोड़ा जा सका है. शासन की ओर से कौशल विकास के लिए एक वर्ष का जो भौतिक लक्ष्य निर्धारित किया गया है, उसमें बमुश्किल ही आधी सीटें भर रही हैं.

प्रशिक्षण लेने वालों में नहीं दिखाई दे रही रुचि
साल दर साल केंद्रों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है. मगर यहां प्रशिक्षण लेने वालों में रुचि नहीं दिखाई दे रही है, जिससे सीटें खाली जा रही हैं. इस योजना के तहत मोबाइल रिपेयरिंग, कॉल सेंटर वर्किंग, सिलाई-कढ़ाई, कारपेंटर से लेकर विदेश जाने से पहले की जाने वाली तैयारियों का ज्ञान प्रशिक्षुओं को कराया जाता है, लेकिन जो परिणाम है वह भविष्य के लिए अच्छा संकेत नहीं दे रहे.

सफलता के आंकड़े फेल
जिले में सफलता के आंकड़े का साल 2014-15 में कुल लक्ष्य 3512 का था, जिसमें 1522 अभ्यर्थियों ने प्रशिक्षण हासिल किया और रोजगार मिला सिर्फ 200 अभ्यर्थियों को. 2015-16 में 2579 के सापेक्ष 1638 लोगों ने प्रशिक्षण लिया और रोजगार मिला 377 अभ्यर्थियों को. इसी प्रकार 2016-17 में 1725 के सापेक्ष 1460 का पंजीकरण हुआ और रोजगार पाए 286 अभ्यर्थी.

2017-18 में 3777 के सापेक्ष 2083 को प्रशिक्षण मिला, लेकिन रोजगार 550 के हिस्से आया. ऐसे ही 2018-19 में 3139 के सापेक्ष 3072 लोगों ने प्रशिक्षण लिया और रोजगार मिला 627 अभ्यर्थियों को. साल 2019-20 में इस वर्ष 3553 युवाओं को इस योजना के तहत प्रशिक्षण देना था, सेंटर में अभी तक 50 का ही पंजीयन हो पाया है.

इसे भी पढ़ें-गोरखपुर विश्वविद्यालय में चित्रकला प्रदर्शनी का आयोजन, तीन कलाकृतियों का किया गया चयन

गोरखपुर: युवाओं को ज्यादा से ज्यादा रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने के लिए शुरू की गई प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना जिले में दम तोड़ती नजर आ रही है. प्रधानमंत्री की इस अति महत्वाकांक्षी योजना के पिछले 5 सालों के रिकॉर्ड पर नजर डालें तो प्रशिक्षण हासिल करने वाले 80 फीसदी युवाओं को नौकरी नहीं मिल सकी है.

प्रशिक्षुओं को नहीं मिल रहा है रोजगार.

वहीं स्वरोजगार के लिए जाने वाले युवाओं की संख्या 18 फीसदी पर ही सिमट कर रह गई है. यह स्थिति तब है जब कौशल विकास को बढ़ावा देने में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर मुख्यमंत्री तक जोर-शोर से जुटे हैं.

रोजगार और स्वरोजगार से नहीं जुड़े प्रशिक्षणार्थी
वर्ष 2019-20 का प्रशिक्षण अभी एक-दो सेंटर पर ही शुरू हो सका है, जबकि मार्च में शैक्षिक सत्र भी खत्म हो जाएगा. जो पुराने प्रशिक्षणार्थी हैं वह विभिन्न सेंटरों में प्रशिक्षण लेते देखे जा सकते हैं, लेकिन रोजगार और स्वरोजगार से इन्हें अभी नहीं जोड़ा जा सका है. शासन की ओर से कौशल विकास के लिए एक वर्ष का जो भौतिक लक्ष्य निर्धारित किया गया है, उसमें बमुश्किल ही आधी सीटें भर रही हैं.

प्रशिक्षण लेने वालों में नहीं दिखाई दे रही रुचि
साल दर साल केंद्रों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है. मगर यहां प्रशिक्षण लेने वालों में रुचि नहीं दिखाई दे रही है, जिससे सीटें खाली जा रही हैं. इस योजना के तहत मोबाइल रिपेयरिंग, कॉल सेंटर वर्किंग, सिलाई-कढ़ाई, कारपेंटर से लेकर विदेश जाने से पहले की जाने वाली तैयारियों का ज्ञान प्रशिक्षुओं को कराया जाता है, लेकिन जो परिणाम है वह भविष्य के लिए अच्छा संकेत नहीं दे रहे.

सफलता के आंकड़े फेल
जिले में सफलता के आंकड़े का साल 2014-15 में कुल लक्ष्य 3512 का था, जिसमें 1522 अभ्यर्थियों ने प्रशिक्षण हासिल किया और रोजगार मिला सिर्फ 200 अभ्यर्थियों को. 2015-16 में 2579 के सापेक्ष 1638 लोगों ने प्रशिक्षण लिया और रोजगार मिला 377 अभ्यर्थियों को. इसी प्रकार 2016-17 में 1725 के सापेक्ष 1460 का पंजीकरण हुआ और रोजगार पाए 286 अभ्यर्थी.

2017-18 में 3777 के सापेक्ष 2083 को प्रशिक्षण मिला, लेकिन रोजगार 550 के हिस्से आया. ऐसे ही 2018-19 में 3139 के सापेक्ष 3072 लोगों ने प्रशिक्षण लिया और रोजगार मिला 627 अभ्यर्थियों को. साल 2019-20 में इस वर्ष 3553 युवाओं को इस योजना के तहत प्रशिक्षण देना था, सेंटर में अभी तक 50 का ही पंजीयन हो पाया है.

इसे भी पढ़ें-गोरखपुर विश्वविद्यालय में चित्रकला प्रदर्शनी का आयोजन, तीन कलाकृतियों का किया गया चयन

Intro:गोरखपुर। युवाओं को ज्यादा से ज्यादा रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने के लिए शुरू की गई प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना गोरखपुर में दम तोड़ती नजर आ रही है। प्रधानमंत्री की इस अति महत्वाकांक्षी योजना के जिले में पिछले 5 सालों के रिकॉर्ड पर नजर डालें तो प्रशिक्षण हासिल करने वाले 80 फ़ीसदी युवाओं को नौकरी नहीं मिल सकी है। वहीं स्वरोजगार के लिए जाने वाले युवाओं की संख्या 18 फ़ीसदी पर ही सिमट कर रह गई है। यह स्थिति तब है जब कौशल विकास को बढ़ावा देने में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर मुख्यमंत्री भी जोर शोर से जुटे हैं।

नोट--रेडी टू फ्लैश पैकेज... voice ओवर अटैच। Special स्टोरी


Body:वर्ष 2019-20 का प्रशिक्षण अभी एक-दो सेंटर पर ही शुरू हो सका है। जबकि मार्च में शैक्षिक सत्र भी खत्म हो जाएगा। जो पुराने प्रशिक्षणार्थी हैं वह विभिन्न सेंटरों में प्रशिक्षण लेते देखे जा सकते हैं लेकिन रोजगार और स्वरोजगार से इन्हें अभी नहीं जोड़ा जा सका है। शासन की ओर से कौशल विकास के लिए 1 वर्ष का जो भौतिक लक्ष्य निर्धारित किया गया है उसमें बमुश्किल ही आधी सीटें भर रही हैं। साल दर साल केंद्रों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है मगर यहां प्रशिक्षण लेने वालों की रुचि नहीं दिखाई दे रही जिससे सीटें खाली जा रही हैं। इस योजना के तहत मोबाइल रिपेयरिंग, कॉल सेंटर वर्किंग, सिलाई- कढ़ाई, कारपेंटर से लेकर विदेश जाने से पहले की जाने वाली तैयारियों का ज्ञान प्रशिक्षुओं को कराया जाता है। लेकिन जो परिणाम है वह भविष्य के लिए अच्छा संकेत नहीं दे रहे। कौशल विकास के जिला मैनेजर कहते हैं कि करीब तीन हजार प्रशिक्षुओं में से 900 को ही रोजगार से जोड़ा जा सका है। जबकि इन सेंटरों में आने वाले प्रशिक्षु इस उम्मीद से ही आते हैं कि अब उनके लिए रोजगार का अवसर खुलेगा और बेरोजगारी दूर होगा।

बाइट-- कौशलेंद्र, जिला प्रबंधक, कौशल विकास मिशन
बाइट- स्वेता, प्रशिक्षु
बाइट-अमन कुमार, प्रशिक्षु


Conclusion:अब कौशल विकास के गोरखपुर में सफलता के आंकड़ों पर नजर डालते हैं।साल 2014-15 में कुल लक्ष्य 3512 का था। जिसमें 1522 अभ्यर्थियों ने प्रशिक्षण हासिल किया और रोजगार मिला सिर्फ 200 को। 2015-16 में 2579 के सापेक्ष 1638 लोगों ने प्रशिक्षण लिया और रोजगार मिला 377 को। इसी प्रकार 2016-17 में 1725 के सापेक्ष 1460 का पंजीकरण हुआ और रोजगार पाए 286। 2017-18 में 3777 के सापेक्ष 2083 को प्रशिक्षण मिला लेकिन रोजगार 550 के हिस्से आया। ऐसे ही 2018-19 में 3139 के सापेक्ष 3072 लोगों ने प्रशिक्षण लिया और रोजगार मिला 627 को। साल 2019-20 की बात करें तो इस वर्ष 3553 युवाओं को इस योजना के तहत प्रशिक्षण देना था लेकिन सेंटर में अभी तक 50 का ही पंजीयन हो पाया है। रोजगार पाना तो इनके लिए अभी दूर की कौड़ी है। लेकिन सेंटर संचालक अपनी सफलता का ढोल पीटना फिर भी बंद नहीं कर रहे।

बाइट--राहुल मणि, कौशल विकास केंद्र संचालक

क्लोजिंग पीटीसी...
मुकेश पाण्डेय
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