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योगी की इस योजना से बहुरने लगे हैं कुम्हारों के दिन

उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में दस्तकारों को 'एक जिला, एक उत्पाद' योजना से काफी फायदा मिल रहा है. इस योजना से लोगों को उनके पुश्तैनी कुम्हारी कला को बढ़ावा मिल रहा है.

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'एक जिला, एक उत्पाद' योजना से कुम्हारी दस्तकारों को मिल रहा फायदा.
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Published : Dec 25, 2019, 11:36 AM IST

गोरखपुर: जिले की प्रसिद्ध कुम्हारी कला को 'एक जिला, एक उत्पाद' से काफी फायदा मिलना शुरू हो गया है. दिया, शोलैम्प, झूमर, हाथी-घोड़ा समेत कई सजावट के सामान को बनाने वाले दस्तकारों को काफी फायदा मिल रहा है. विश्व पटल पर अपनी कुम्हारी कला से देश का नाम रोशन करने वाले टेराकोटा औरंगाबाद (गोरखपुर) के दस्तकारों के दिन अब बहुरने लगे हैं.

'एक जिला, एक उत्पाद' योजना से कुम्हारी दस्तकारों को मिल रहा फायदा.


दस्तकारों को इस योजना का लाभ इस कदर मिल रहा कि उनके हाथों से बनी नक्काशी रोजगार के खुशबू से महक उठी है. गोरखपुर के शिल्पियों को पहली बार आधुनिक सुविधाओं का लाभ मिल रहा है. उनकी पुश्तैनी कला से उनके रोजगार में इजाफा होने के आसार बढ़ने लगे हैं.

पहली बार हुआ माटी बोर्ड का गठन
जिले में पहली बार माटी कला बोर्ड का गठन किया गया है. यहां पर लाखों रुपया खर्च करके दुसरी आधुनिक भठ्ठी लगाई गई है. आधुनिक भठ्ठी लगने से दस्तकारों को धुंआ धक्कड़ से तो छुटकारा मिलेगा ही, वहीं प्रदूषण से भी निजात मिलेगा. साथ ही समय के साथ ईंधन का भरपूर बचत होगा. आधुनिक भठ्ठी से किसी मौसम में मिट्टी के बर्तन को कम खर्च में फायर ब्रिक्स सहयोग से बेहतर पकाया जायेगा.

औरंगाबाद के एक दिवसीय कार्यक्रम में खादी ग्राम उद्योग बोर्ड के प्रमुख सचिव नवीन सहगल और माटी कला बोर्ड के अध्यक्ष धर्मवीर प्रजापति ने हिस्सा लिया था. दस्तकारी कला से जुड़े औरंगाबाद के आस-पड़ोस गांव के प्रतिभागी हस्त शिल्पियों से रुबरु होकर उनकी समस्याओं को संज्ञान मे लिया था. इसके निराकरण और उनके रोजगार को बढ़ावा देने के खातिर हर मुमकिन कोशिश करने का भरोसा भी दिया था. हस्त शिल्पियों ने प्रमुख सचिव से पगमील (मिट्टी गूदने वाली मशीन) आधुनिक भट्टी, इलेक्ट्रॉनिक चाक आदि की डिमांड किया था.

दो भठ्ठी बनाई गई
प्रदेश सरकार ने जनपद में दो आधुनिक भठ्ठी स्वीकृत की है. पहली भठ्ठी टेराकोटा औरंगाबाद में स्थित लक्ष्मी स्वयं सहायता समूह के वर्कशॉप पर करीब (2,42,000) रुपये खर्च कर निर्माण कराया. वहीं दूसरी भठ्ठी पड़ोसी गांव लगड़ी गुलरिहा में लगाईं गई.


कम ईधन में पकेगा ज्यादा माल

ग्राम उद्योग अधिकारी बताते हैं कि आधुनिक भठ्ठी लोहे की मोटी चादर से बनी हुई है. चारों तरफ से फायर ब्रिक्स लगाए गए हैं. परंपरागत भठ्ठी में लकड़ी और कंडा का ईंधन अधिक खर्च होता था, जिसकी अपेक्षा आधुनिक भट्टी में थोड़ी सी लकड़ी इस्तेमाल करके फायर ब्रिक्स की मदद से आकृतियां बेहतर ढंग से पकेगी. लोहे की चादर और चिमनी की व्यवस्था उसमें इसलिए की गई है कि मजबूती के साथ-साथ वर्षा होने पर भी कोई फर्क नहीं पड़ेगा. इसे खुले आसमान के नीचे और किसी मौसम में जाड़ा, गर्मी, बरसात में कच्चा माल पकाया जाएगा.

देश-विदेश से आते हैं थोक खरीदार
गोरखपुर के टेराकोटा औरंगाबाद की कलाकृति दुनिया भर में मशहूर है. दस्तकारों को कलाकृतियों को बेचने के लिए कहीं और नहीं जाना पड़ता है. थोक क्रेता पड़ोसी देश नेपाल और देश-प्रदेश के नामचीन जगहों से खुद ही चल कर यहां आते हैं और थोक भाव में खरीद-फरोख्त करके गाड़ियां भर-भर कर ले जाते हैं.

दस्तकारों को योजना के अन्तर्गत क्या लाभ मिला
गोरखपुर मण्डल के परीक्षेत्रीय ग्राम उद्योग अधिकारी नरेंद्र प्रसाद मौर्य ने बताया कि जब से माटी कला बोर्ड के जरिये टूल किड्स वितरण कार्यक्रम शुरू किया गया, तब से 40 कारीगरों को इलेक्ट्रॉनिक चाक वितरण किया गया. इस वर्ष 19-20 में शासन की ओर से 75 चाक वितरण करने का लक्ष्य रखा गया है, जिसमें 5 की आपूर्ति हुई है. शेष भविष्य में शीघ्र आपूर्ति होने की सम्भावना है.

गोरखपुर: जिले की प्रसिद्ध कुम्हारी कला को 'एक जिला, एक उत्पाद' से काफी फायदा मिलना शुरू हो गया है. दिया, शोलैम्प, झूमर, हाथी-घोड़ा समेत कई सजावट के सामान को बनाने वाले दस्तकारों को काफी फायदा मिल रहा है. विश्व पटल पर अपनी कुम्हारी कला से देश का नाम रोशन करने वाले टेराकोटा औरंगाबाद (गोरखपुर) के दस्तकारों के दिन अब बहुरने लगे हैं.

'एक जिला, एक उत्पाद' योजना से कुम्हारी दस्तकारों को मिल रहा फायदा.


दस्तकारों को इस योजना का लाभ इस कदर मिल रहा कि उनके हाथों से बनी नक्काशी रोजगार के खुशबू से महक उठी है. गोरखपुर के शिल्पियों को पहली बार आधुनिक सुविधाओं का लाभ मिल रहा है. उनकी पुश्तैनी कला से उनके रोजगार में इजाफा होने के आसार बढ़ने लगे हैं.

पहली बार हुआ माटी बोर्ड का गठन
जिले में पहली बार माटी कला बोर्ड का गठन किया गया है. यहां पर लाखों रुपया खर्च करके दुसरी आधुनिक भठ्ठी लगाई गई है. आधुनिक भठ्ठी लगने से दस्तकारों को धुंआ धक्कड़ से तो छुटकारा मिलेगा ही, वहीं प्रदूषण से भी निजात मिलेगा. साथ ही समय के साथ ईंधन का भरपूर बचत होगा. आधुनिक भठ्ठी से किसी मौसम में मिट्टी के बर्तन को कम खर्च में फायर ब्रिक्स सहयोग से बेहतर पकाया जायेगा.

औरंगाबाद के एक दिवसीय कार्यक्रम में खादी ग्राम उद्योग बोर्ड के प्रमुख सचिव नवीन सहगल और माटी कला बोर्ड के अध्यक्ष धर्मवीर प्रजापति ने हिस्सा लिया था. दस्तकारी कला से जुड़े औरंगाबाद के आस-पड़ोस गांव के प्रतिभागी हस्त शिल्पियों से रुबरु होकर उनकी समस्याओं को संज्ञान मे लिया था. इसके निराकरण और उनके रोजगार को बढ़ावा देने के खातिर हर मुमकिन कोशिश करने का भरोसा भी दिया था. हस्त शिल्पियों ने प्रमुख सचिव से पगमील (मिट्टी गूदने वाली मशीन) आधुनिक भट्टी, इलेक्ट्रॉनिक चाक आदि की डिमांड किया था.

दो भठ्ठी बनाई गई
प्रदेश सरकार ने जनपद में दो आधुनिक भठ्ठी स्वीकृत की है. पहली भठ्ठी टेराकोटा औरंगाबाद में स्थित लक्ष्मी स्वयं सहायता समूह के वर्कशॉप पर करीब (2,42,000) रुपये खर्च कर निर्माण कराया. वहीं दूसरी भठ्ठी पड़ोसी गांव लगड़ी गुलरिहा में लगाईं गई.


कम ईधन में पकेगा ज्यादा माल

ग्राम उद्योग अधिकारी बताते हैं कि आधुनिक भठ्ठी लोहे की मोटी चादर से बनी हुई है. चारों तरफ से फायर ब्रिक्स लगाए गए हैं. परंपरागत भठ्ठी में लकड़ी और कंडा का ईंधन अधिक खर्च होता था, जिसकी अपेक्षा आधुनिक भट्टी में थोड़ी सी लकड़ी इस्तेमाल करके फायर ब्रिक्स की मदद से आकृतियां बेहतर ढंग से पकेगी. लोहे की चादर और चिमनी की व्यवस्था उसमें इसलिए की गई है कि मजबूती के साथ-साथ वर्षा होने पर भी कोई फर्क नहीं पड़ेगा. इसे खुले आसमान के नीचे और किसी मौसम में जाड़ा, गर्मी, बरसात में कच्चा माल पकाया जाएगा.

देश-विदेश से आते हैं थोक खरीदार
गोरखपुर के टेराकोटा औरंगाबाद की कलाकृति दुनिया भर में मशहूर है. दस्तकारों को कलाकृतियों को बेचने के लिए कहीं और नहीं जाना पड़ता है. थोक क्रेता पड़ोसी देश नेपाल और देश-प्रदेश के नामचीन जगहों से खुद ही चल कर यहां आते हैं और थोक भाव में खरीद-फरोख्त करके गाड़ियां भर-भर कर ले जाते हैं.

दस्तकारों को योजना के अन्तर्गत क्या लाभ मिला
गोरखपुर मण्डल के परीक्षेत्रीय ग्राम उद्योग अधिकारी नरेंद्र प्रसाद मौर्य ने बताया कि जब से माटी कला बोर्ड के जरिये टूल किड्स वितरण कार्यक्रम शुरू किया गया, तब से 40 कारीगरों को इलेक्ट्रॉनिक चाक वितरण किया गया. इस वर्ष 19-20 में शासन की ओर से 75 चाक वितरण करने का लक्ष्य रखा गया है, जिसमें 5 की आपूर्ति हुई है. शेष भविष्य में शीघ्र आपूर्ति होने की सम्भावना है.

Intro:एक जिला एक उत्पाद में शामिल विश्वविख्यात टेराकोटा औरंगाबाद के दस्तकारों को जब योजना का लाभ मिलने लगा तो उनके हाथों से बनी नक्काशी रोजगार के खुशबु से महक उठी. गोरखपुर के शिल्पियों को आजादी के बाद पहली बार आधुनिक सुविधाओं का लाभ मिलने पर उनकी पुस्तैनीय कला रोजगार रुप में इजाफा होने के आसार बढ़ने लगे. अब उनके दिन बहुरने का वक्त आ गया है.

पिपराइच गोरखपुरः विश्व पटल पर अपनी कुम्हारी कला से देश का नाम रोशन करने वाले टेराकोटा औरंगाबाद (गोरखपुर) के दस्तकारों का दिन अब बहुरने लगे है. भारत आजाद होने के बाद पहली बार माटी कला बोर्ड का गठन किया. वहां पर लाखों रुपया खर्च करके दुसरी आधुनिक भठ्ठी लगाई गई. आधुनिक भठ्ठी लगने से दस्तकारों को धुंआ धक्कड़ से तो छुटकारा मिलेगा ही वही प्रदूषण से भी निजात मिलेगा. समय के साथ ईधन का भरपूर बचत होगा. आधुनिक भठ्ठी से किसी मौसम में मिट्टी के बर्तन को कम से खर्च में फायर ब्रिक्स सहयोग से बेहतर पकाया जायेगा. आधुनिक भठ्ठी लगने से दस्तकार में खुशी का माहौल है. एक बार पुनः बतादें कि 6 जुलाई 2019 को औरंगाबाद में एक दिवसीय कार्यक्रम में खदी ग्राम उद्योग बोर्ड के प्रमुख सचिव नवीन सहगल व माटी कला बोर्ड के अध्यक्ष धर्मवीर प्रजापति ने हिस्सा लिया था. दस्तकारी कला से जुड़े औरंगाबाद के आसपढोस गांव प्रतिभागी हस्तशिल्पियों से रुबरु हो कर उनकी समस्याओं को संज्ञान मे लिया था. जिसके निराकरण और उनके रोजगार को बढ़ावा देने के खातिर हर मुमकिन कोशिश करने की भरोसा दिया था.Body:प्रदेश की बागडोर योगी आदित्यनाथ जब सम्भाला तो उन्होंने ने प्रदेश सरकार की अतिमहत्वाकांक्षी योजना एक जिला एक उत्पाद (ओडीओपी) में टेराकोटा औरंगाबाद को शामिल कर दिया. कच्चे मिट्टी को आकर देकर हाथों मिट्टी पर नक्काशी करने वाले दस्तकारी हुनर को निखार और रोजगार को बढावा देने की मंशा पर प्रदेश की सरकार ने आजादी के बाद पहली बार माटी कला बोर्ड का गठन किया. माटी कला बोर्ड का गठन होने के बाद विगत जुलाई महीने में पहली बार खादी ग्राम उद्योग बोर्ड के प्रमुख सचिव नवीन शहगल व माटी कला बोर्ड अध्यक्ष धर्मवीर प्रजाति ने टेराकोटा औरंगाबाद में विकास संबंधित एक दिवसीय कार्यक्रम में आसपास के कुम्हारों से रुबरु हो कर उनकी पुस्तैनी कला को रफ्तार देने पर चर्चा किया तथा उनसे जुड़ी समस्याओं को संज्ञान में लिया. हस्तशिल्पियों ने प्रमुख सचिव से पगमील (मिट्टी गूद वाली मशीन) आधुनिक भट्टी, इलेक्ट्रॉनिक चाक आदि की डिमांड किया.


&टेराकोटा औरंगाबाद एवं गुलरिहा में लगाई गई दो आधुनिक भठ्ठी&

दस्तकारों के खानदानी हुनर को रफ्तार देने एवं उनकी परेशानियों को दूर करने के हसरत में प्रदेश सरकार ने जनपद में दो आधुनिक भठ्ठी स्वीकृत किया. पहली भठ्ठी टेराकोटा औरंगाबाद में स्थित लक्ष्मी स्वयं सहायता समूह के वर्कशॉप पर करीब (242000) रुपया खर्च कर निर्माण कराया. वही दूसरी भठ्ठी पढोसी गांव लगड़ी गुलरिहा लगाईं गई. आधुनिक भठ्ठी लगने से वहां के दस्तकारों में दिन बहुरने के उम्मीद जाग उठी हैं.Conclusion:&कम ईधन में पकेगा ज्यादा माल &

ग्राम उद्योग अधिकारी बताते है कि आधुनिक भठ्ठी लोहे की मोटी चादर से बनी हुई है. चारों तरफ से फायर ब्रिक्स लगाए गए है. परंपरागत भठ्ठी में लकड़ी और कंडा का ईधन अधिक खर्च होता था जिसके अपेक्षा आधुनिक भट्टी मे थोड़ी सी लकड़ी इस्तेमाल करके फायर ब्रिक्स की मदद से आकृतियों को बेहर पकेगा. लोहे की चादर और चिमनी की व्यवस्था उसमें इस लिए किया गया है कि मजबूती के साथ साथ वर्षा होने पर भी कोई फर्क नही पड़ेगा. इसे खुले आसमान के निचे और किसी मौसम में जाड़ा गर्मी बरसात में कच्चा माल पकाया जायेगा.


&देश विदेश के वहां जाते है थोक खरीदाय&

गोरखपुर के टेराकोटा औरंगाबाद की कलाकृति दुनिया भर में मशहुर है. वहां के दस्तकारों को कलाकृतियों को बेचने के लिए कहीं और नही जाना पड़ता है. थोक क्रेता पढोसी देश नेपाल और देश प्रदेश के नामचीन जगहों खुद ही चल कर वहां जाते है और थोक भाव में खरीदफरोख्त करके गाड़ीयां भर भर कर ले जाते है. जैसे दिया शौलैम्प झूमर, हाथी घोड़ा, सजावट के सामान गुलदस्ता, खुबसूरत मटका शुराही आदि थोक भाव में खरीद कर ले जात है और फूटकर में अच्छे कीमत पर बेच कर अच्छा खासा मुनाफा कमाते है.


&दस्तकारों को योजना के अन्तर्गत क्या लाभ मिला&

गोरखपुर मण्डल के परीक्षेत्रीय ग्राम उद्योग अधिकारी नरेंद्र प्रसाद मौर्य ने बताया कि जब से माटी कला वोर्ड के जरिये टूलकिड्स वितरण कार्यक्रम शुरु किया गया तब से 40 कारीगरों को 25अक्टूबर को इलेक्ट्रॉनिक चाक वितरण किया गया. इस वर्ष 19-20 में शाशन की ओर से 75 चाक वितरण करने का लक्ष्य रखा गया है जिसमें 5 की आपूर्ति हुई है. शेष भविष्य में शिघ्र आपूर्ति होने की सम्भावना है. जो मिट्टी कला से जुड़े हुए कारीगर उनको वितरित करने की कार्यवाही करेंगे. गोरखपुर जिले में दो भठ्ठी स्वीकृत है एक भठ्ठी टेराकोटा औरंगाबाद लगाई जा चुकी और उसका ट्रायल भी हो चुका है. दूसरी भठ्ठी गुलरिहा में स्थापित की गई है. अभी तक ट्रायर नहीं हो पाया है जल्द ही ट्रायल किया जायेगा. इसके अलावा इसी वर्ष माटी कला बोर्ड ने 10 पगमील आपूर्ति हुई है. अभी तक उसको वितरित नही किया गया है. जिन कारीगरों में चाक वितरण किया गया है उनमें से पांच छः और सात आठ परिवारों का ग्रुप गठन करना है हर ग्रुप को एक पगमील वितरण किया जायेगा. क्योंकि हर परिवार को पगमील दिया जाना संभव और उचित नही है.

बाइट- नरेन्द्र प्रसाद मौर्य (ग्राम उद्योग अधिकारी मण्डल)
बाइट-- कमलेश कुमार प्रजाति (थोक व्यापीरी)

बाइट--जितेन्द्र प्रजापति (दस्तकार)
बाइट--शिव प्रशन प्रजापति (दस्तकार)

रफिउल्लाह अन्सारी 8318103822
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