गोरखपुर: जिले की प्रसिद्ध कुम्हारी कला को 'एक जिला, एक उत्पाद' से काफी फायदा मिलना शुरू हो गया है. दिया, शोलैम्प, झूमर, हाथी-घोड़ा समेत कई सजावट के सामान को बनाने वाले दस्तकारों को काफी फायदा मिल रहा है. विश्व पटल पर अपनी कुम्हारी कला से देश का नाम रोशन करने वाले टेराकोटा औरंगाबाद (गोरखपुर) के दस्तकारों के दिन अब बहुरने लगे हैं.
दस्तकारों को इस योजना का लाभ इस कदर मिल रहा कि उनके हाथों से बनी नक्काशी रोजगार के खुशबू से महक उठी है. गोरखपुर के शिल्पियों को पहली बार आधुनिक सुविधाओं का लाभ मिल रहा है. उनकी पुश्तैनी कला से उनके रोजगार में इजाफा होने के आसार बढ़ने लगे हैं.
पहली बार हुआ माटी बोर्ड का गठन
जिले में पहली बार माटी कला बोर्ड का गठन किया गया है. यहां पर लाखों रुपया खर्च करके दुसरी आधुनिक भठ्ठी लगाई गई है. आधुनिक भठ्ठी लगने से दस्तकारों को धुंआ धक्कड़ से तो छुटकारा मिलेगा ही, वहीं प्रदूषण से भी निजात मिलेगा. साथ ही समय के साथ ईंधन का भरपूर बचत होगा. आधुनिक भठ्ठी से किसी मौसम में मिट्टी के बर्तन को कम खर्च में फायर ब्रिक्स सहयोग से बेहतर पकाया जायेगा.
औरंगाबाद के एक दिवसीय कार्यक्रम में खादी ग्राम उद्योग बोर्ड के प्रमुख सचिव नवीन सहगल और माटी कला बोर्ड के अध्यक्ष धर्मवीर प्रजापति ने हिस्सा लिया था. दस्तकारी कला से जुड़े औरंगाबाद के आस-पड़ोस गांव के प्रतिभागी हस्त शिल्पियों से रुबरु होकर उनकी समस्याओं को संज्ञान मे लिया था. इसके निराकरण और उनके रोजगार को बढ़ावा देने के खातिर हर मुमकिन कोशिश करने का भरोसा भी दिया था. हस्त शिल्पियों ने प्रमुख सचिव से पगमील (मिट्टी गूदने वाली मशीन) आधुनिक भट्टी, इलेक्ट्रॉनिक चाक आदि की डिमांड किया था.
दो भठ्ठी बनाई गई
प्रदेश सरकार ने जनपद में दो आधुनिक भठ्ठी स्वीकृत की है. पहली भठ्ठी टेराकोटा औरंगाबाद में स्थित लक्ष्मी स्वयं सहायता समूह के वर्कशॉप पर करीब (2,42,000) रुपये खर्च कर निर्माण कराया. वहीं दूसरी भठ्ठी पड़ोसी गांव लगड़ी गुलरिहा में लगाईं गई.
कम ईधन में पकेगा ज्यादा माल
ग्राम उद्योग अधिकारी बताते हैं कि आधुनिक भठ्ठी लोहे की मोटी चादर से बनी हुई है. चारों तरफ से फायर ब्रिक्स लगाए गए हैं. परंपरागत भठ्ठी में लकड़ी और कंडा का ईंधन अधिक खर्च होता था, जिसकी अपेक्षा आधुनिक भट्टी में थोड़ी सी लकड़ी इस्तेमाल करके फायर ब्रिक्स की मदद से आकृतियां बेहतर ढंग से पकेगी. लोहे की चादर और चिमनी की व्यवस्था उसमें इसलिए की गई है कि मजबूती के साथ-साथ वर्षा होने पर भी कोई फर्क नहीं पड़ेगा. इसे खुले आसमान के नीचे और किसी मौसम में जाड़ा, गर्मी, बरसात में कच्चा माल पकाया जाएगा.
देश-विदेश से आते हैं थोक खरीदार
गोरखपुर के टेराकोटा औरंगाबाद की कलाकृति दुनिया भर में मशहूर है. दस्तकारों को कलाकृतियों को बेचने के लिए कहीं और नहीं जाना पड़ता है. थोक क्रेता पड़ोसी देश नेपाल और देश-प्रदेश के नामचीन जगहों से खुद ही चल कर यहां आते हैं और थोक भाव में खरीद-फरोख्त करके गाड़ियां भर-भर कर ले जाते हैं.
दस्तकारों को योजना के अन्तर्गत क्या लाभ मिला
गोरखपुर मण्डल के परीक्षेत्रीय ग्राम उद्योग अधिकारी नरेंद्र प्रसाद मौर्य ने बताया कि जब से माटी कला बोर्ड के जरिये टूल किड्स वितरण कार्यक्रम शुरू किया गया, तब से 40 कारीगरों को इलेक्ट्रॉनिक चाक वितरण किया गया. इस वर्ष 19-20 में शासन की ओर से 75 चाक वितरण करने का लक्ष्य रखा गया है, जिसमें 5 की आपूर्ति हुई है. शेष भविष्य में शीघ्र आपूर्ति होने की सम्भावना है.