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नशे में डूब रहे गोरखपुर के युवा, जानिए कितने हुए शिकार - drug addiction is a mental illness

गोरखपुर में नशे के शिकार हो चुके युवाओं की संख्या लगातार बड़ती ही जा रही है. नशे की लत में युवा शराब, चरस, गांजा, स्मैक,इन्जेक्शन का आदि हो रहा है.

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गोरखपुर नशा मुक्ति केंद्र
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Published : Jul 6, 2022, 4:05 PM IST

गोरखपुर: जिले में नशे की जद मे आने वाले युवाओं की संख्या लगातार बढ़ रही है. जिला अस्पताल में आने वाले मरीजों और शहर में निजी स्तर पर संचालित हो रहे नशा मुक्ति केंद्रों में भर्ती होने वाले लोगों के आंकड़े बेहद चौकाने वाले हैं. नशे की जद मे 18 से 45 साल के लोग ज्यादा है. शहर के तीन नशा मुक्ति केन्द्रों में साल भर मे करीब 54 सौ लोग भर्ती किये जाते हैं. इनमे से कुछ गंभीर लोगों को छह महीने के कोर्स में दाखिला दिलाया जाता है. नशे की लत में लोग शराब, चरस, गांजा, स्मैक, इन्जेक्शन के आदि हैं.

नशे के शिकार हो चुके लोग जब नशा मुक्ति केंद्र पर लाए जाते हैं तो उनकी ग्रुप काउंसलिंग होती है. इसके अलावा प्रोफेशनल काउंसलिंग और नशे से संबंधित जानकारी इकट्ठा करके बचाव के तरीके पर यहां काम किया जाता है.जिन्हें जरूरत पड़ती है उन्हें 6 माह के लिए भर्ती किया जाता है. साथ ही 45 दिन बाद उनके शरीर की हुई क्षति को भी दुरुस्त करने का प्रयास होता है. इसके बाद मानसिक व्यवहार देखा जाता है. फिर 45 दिन बाद मानसिक क्षति पर काम किया जाता है. जिन लोगों को एडमिट किया गया रहता है उनका आध्यात्मिक मेडिटेशन भी कराया जाता है.

नशे में डूबते गोरखपुर के युवा, सीएमओ डॉ. आशुतोष दुबे ने दी जानकारी

इसे भी पढ़े-जल्द नशा मुक्त होगी रायबरेली, खुलेगा नशा मुक्ति केंद्र

मानसिक स्थिरता को परखने के बाद नशा मुक्ति केंद्र उन्हें उनके परिजनों को सौंपता है. गोरखपुर के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ.आशुतोष दुबे की मानें तो नशा एक मानसिक बीमारी है. इसे छोड़ने के कई उपाय है. इसका उपचार दवा के साथ मेडिटेशन और इच्छाशक्ति से हो सकता है. उन्होंने कहा कि लगातार कई जगह ओरियंटेशन प्रोग्राम चलाए जाते हैं. लोगों को ड्रग एडिक्शन से कैसे बाहर आना है, इसकी भी जानकारी दी जाती है. गांव स्तर पर भी कैम्प का आयोजन किया जाता है.

वहीं, एक परिजन ने नशे में डूब चुके अपने दो बच्चों की कहानी बताई है. जिससे उनके बच्चों की जिंदगी तो बर्बाद हो ही रही है बल्कि उनका पूरा परिवार तबाह हो चुका है. वह संत कबीर नगर के लोक निर्माण विभाग में कार्य करते हैं और उनके दोनों बच्चे नशे की बुरी तरह चपेट में हैं. इसकी वजह से घर में मारपीट, चल और अचल संपत्तियों को बेचे जाने समेत कई तरह की समस्याएं उनके सामने खड़ी हो गई. लिहाजा अब यह नशा मुक्ति केंद्र की शरण में हैं. वह उम्मीद जता रहे हैं कि, शायद यहां से मिलने वाले ट्रीटमेंट से उनके बच्चे सही रास्ते पर लौट आएं.

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गोरखपुर: जिले में नशे की जद मे आने वाले युवाओं की संख्या लगातार बढ़ रही है. जिला अस्पताल में आने वाले मरीजों और शहर में निजी स्तर पर संचालित हो रहे नशा मुक्ति केंद्रों में भर्ती होने वाले लोगों के आंकड़े बेहद चौकाने वाले हैं. नशे की जद मे 18 से 45 साल के लोग ज्यादा है. शहर के तीन नशा मुक्ति केन्द्रों में साल भर मे करीब 54 सौ लोग भर्ती किये जाते हैं. इनमे से कुछ गंभीर लोगों को छह महीने के कोर्स में दाखिला दिलाया जाता है. नशे की लत में लोग शराब, चरस, गांजा, स्मैक, इन्जेक्शन के आदि हैं.

नशे के शिकार हो चुके लोग जब नशा मुक्ति केंद्र पर लाए जाते हैं तो उनकी ग्रुप काउंसलिंग होती है. इसके अलावा प्रोफेशनल काउंसलिंग और नशे से संबंधित जानकारी इकट्ठा करके बचाव के तरीके पर यहां काम किया जाता है.जिन्हें जरूरत पड़ती है उन्हें 6 माह के लिए भर्ती किया जाता है. साथ ही 45 दिन बाद उनके शरीर की हुई क्षति को भी दुरुस्त करने का प्रयास होता है. इसके बाद मानसिक व्यवहार देखा जाता है. फिर 45 दिन बाद मानसिक क्षति पर काम किया जाता है. जिन लोगों को एडमिट किया गया रहता है उनका आध्यात्मिक मेडिटेशन भी कराया जाता है.

नशे में डूबते गोरखपुर के युवा, सीएमओ डॉ. आशुतोष दुबे ने दी जानकारी

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मानसिक स्थिरता को परखने के बाद नशा मुक्ति केंद्र उन्हें उनके परिजनों को सौंपता है. गोरखपुर के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ.आशुतोष दुबे की मानें तो नशा एक मानसिक बीमारी है. इसे छोड़ने के कई उपाय है. इसका उपचार दवा के साथ मेडिटेशन और इच्छाशक्ति से हो सकता है. उन्होंने कहा कि लगातार कई जगह ओरियंटेशन प्रोग्राम चलाए जाते हैं. लोगों को ड्रग एडिक्शन से कैसे बाहर आना है, इसकी भी जानकारी दी जाती है. गांव स्तर पर भी कैम्प का आयोजन किया जाता है.

वहीं, एक परिजन ने नशे में डूब चुके अपने दो बच्चों की कहानी बताई है. जिससे उनके बच्चों की जिंदगी तो बर्बाद हो ही रही है बल्कि उनका पूरा परिवार तबाह हो चुका है. वह संत कबीर नगर के लोक निर्माण विभाग में कार्य करते हैं और उनके दोनों बच्चे नशे की बुरी तरह चपेट में हैं. इसकी वजह से घर में मारपीट, चल और अचल संपत्तियों को बेचे जाने समेत कई तरह की समस्याएं उनके सामने खड़ी हो गई. लिहाजा अब यह नशा मुक्ति केंद्र की शरण में हैं. वह उम्मीद जता रहे हैं कि, शायद यहां से मिलने वाले ट्रीटमेंट से उनके बच्चे सही रास्ते पर लौट आएं.

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