गोरखपुर: सीएम सिटी के विभिन्न सड़कों और प्रमुख चौराहों पर लगने वाले जाम को खत्म करने के लिए खूब प्लान भी बनते हैं. बावजूद इसके यह ऐसी समस्या है जो खत्म होने का नाम ही नहीं लेती. आजादी के बाद से अब तक 66 डीएम और 64 कप्तान यहां पदभार संभाल चुके हैं. इन्होंने भी योजनाएं भी खूब बनाई लेकिन जाम की समस्या से शहर को मुक्ति नहीं दिला पाए. मौजूदा समय में यह शहर मुख्यमंत्री का होने के बाद भी जाम को झेल रहा है. सड़क पर निकलने पर पता चलता है कि प्रशासन के सभी दावों की हवा निकलती दिखाई देती है. जो प्रशासनिक तैयारियों, प्लान और पर्यवेक्षण पर सवाल खड़ा करता है.
![जाम का अब तक नहीं निकला समाधान](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/27-07-2023/up-gkp-01-66dms-64ssp-still-no-solution-to-jam-in-gorakhpur-special-pkg-7201177_19072023140322_1907f_1689755602_6.jpg)
ऑटो रिक्शा, इलेक्ट्रिक व्हीकल बढ़ाते हैं जाम: एसपी ट्रैफिक श्याम देव कहते हैं कि शहर के 22 चौराहे आईटीएमएस सिस्टम से जुड़े हुए हैं. यहां पर जैसे ही जाम की स्थिति दिखाई देती है ट्रैफिक पुलिस के जवानों के साथ होमगार्ड पूरी मुस्तैदी से उसे नियंत्रित, व्यवस्थित करने में जुट जाते हैं. बावजूद इसके ऑटो रिक्शा, इलेक्ट्रिक व्हीकल जाम पर कोई फर्क नहीं पड़ता हैं. इनके साथ समय-समय पर बैठक होती है. जाम की वजह से नियम टूटने और समस्याओं के उत्पन्न होने की स्थिति में इनके खिलाफ कार्रवाई करने की बात भी कही जाती है, लेकिन यह नहीं मानते और जाम बढ़ता रहता है. इसी के साथ बाएं लेन के बारे में भी लोगों को जागरूक करते हुए इसे खाली रखने और इसे प्रयोग करने के लिए कहा जाता है. इसके बाद भी लोग मानते और चौराहे जाम होते हैं. जिससे जाम की समस्या लंबी बनती है. उन्होंने कहा कि उपायों पर प्रयास जारी है और शहर इससे बहुत जल्द मुक्त नजर आएगा.
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मास्टर प्लान की फाइल खा रही धूल: शहर के जाने-माने सिविल इंजीनियर और राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सिविल इंजीनियर महासंघ, सतीश सिंह कहते हैं कि जिले के पूर्व एसएसपी के. सत्य नारायण के समय वर्ष 2007-08 में उन्होंने शहर को जाम मुक्त करने का मास्टर प्लान तैयार किया था. जिसकी फाइल मंडलायुक्त कार्यालय में डंप पड़ी हुई है. अगर सुझाव पर अमल कर लिया जाए तो शहर जाम मुक्त हो जाएगा. जाम के समाधान में अब तक जिले में जो भी अधिकारी तैनात हुए, उन्होंने प्लान बनाया तो लेकिन उसे धरातल पर पूरा करने का समय नहीं मिला. ऐसे में शासन को अधिकारी को निर्धारित समय तक रहने का अवसर देना चाहिए. जो स्थानीय स्तर पर इंजीनियर कार्य कर रहे हैं, जिनको यहां की भौगोलिक स्थितियों के बारे में जानकारी हैं, उनकी भी मदद प्रशासन को लेनी चाहिए.
![गोरखपुर में जाम का नहीं हो रहा समाधान](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/27-07-2023/up-gkp-01-66dms-64ssp-still-no-solution-to-jam-in-gorakhpur-special-pkg-7201177_19072023140322_1907f_1689755602_1020.jpg)
प्लान पर सरकार ने नहीं किया काम: सतीश सिंह ने कहा कि 2007 से लेकर अगले तीन चार वर्षों में उन्होंने कई प्लान तैयार करके सरकार को सुझाव दिए. लेकिन किसी पर भी विचार नहीं किया गया और आज शहर जाम से जूझ रहा है. एक आम नागरिक जो यात्रा करता है, वह भी जाम की समस्या से कराहता दिखता है. गर्मी और तेज धूप में तो लोग और भी ज्यादा परेशान होते हैं. साल 2012-13 में तत्कालीन कमिश्नर के रविंद्र नायक ने आदेश दिया था कि जिस चौराहे पर जाम लगे, वहां के थानाध्यक्ष को निलंबित कर देना चाहिए. पुलिस चौकियां सक्रिय रहनी चाहिए. लेकिन इसका पूर्णतया अभाव ही है, जो जाम लगता है.
जाम खत्म करने के लिए सुझाव: इंजीनियर सतीश सिंह ने कहा कि बड़े वाहनों के लिए रिंग रोड बनाया जाना चाहिए. बस अड्डों को भीड़भाड़ वाले क्षेत्र से बाहर बनाना चाहिए. टेंपो, इलेक्ट्रिकल व्हीकल के लिए एकल मार्ग जो सर्कल में चलें उस पर विचार करना चाहिए. बाएं लेन पर अतिक्रमण न हो और इस पर आवागमन बराबर हो. वहीं, उल्लंघन करने वालों के खिलाफ चालान की कार्रवाई हो, तभी जाम की समस्या का समाधान निकलेगा. बाएं लेन की तरफ कोई पार्किंग नहीं होनी चाहिए. जनरेटर और ट्रांसफार्मर सड़क पर शहरों में अधिकांश देखने को मिलते हैं. चौराहों की 200 मीटर की परिधि में कुछ भी नहीं होना चाहिए.
सुझावों पर हो अमल तो मिलेगी जाम से निजात: सतीश सिंह ने कहा कि हर 200 मीटर पर शहर में कट होना चाहिए. महायोजना के अनुसार सड़कों का निर्माण और चौड़ीकरण भी जाम की समस्या को समाप्त करने में बड़ा मददगार होगा. ऐसे उपायों को ही अपनाकर पुलिस प्रशासन नागरिकों को बेहतर यातायात की सुविधा प्रदान कर सकता है. जाम वाले चौराहों के पास बिजली के खंभे, होडिंग के पोल हटाये जाने चाहिए. जिस रूट पर स्कूलों की संख्या ज्यादा हो ऐसे स्कूलों की छुट्टियों के समय में भी अंतर किया जाए. शहर में सर्वाधिक जाम शास्त्री चौक, धर्मशाला, मोहद्दीपुर, यूनिवर्सिटी चौराहा, पैडलेगंज, असुरन, मेडिकल कॉलेज, नॉर्मल, टाऊन हाल, गणेश चौक, बेतियाहाता चौक पर दिखता है. इस समस्या के समाधान में यह भी बात समझ में आती है कि वरिष्ठ अधिकारियों के बीच में समन्वय का अभाव है. भले ही वह इसे दूर करने के लिए एक साथ बैठते हो और मीटिंग करते हों.
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