गोरखपुरः यात्री सुविधाओं में बढ़ोतरी के साथ नई तकनीकों को अपनी कार्य योजना में शामिल करने वाला रेलवे ट्रेनों को विद्युत चालित बनाकर देश को आर्थिक लाभ पहुंचाने के साथ पर्यावरण के क्षेत्र में भी बड़ी मिसाल कायम करने जा रहा है. पूर्वोत्तर रेलवे के तीन हजार 31 किलोमीटर रेल मार्ग के विद्युतीकरण हो जाने से प्रतिवर्ष करीब सात करोड़ लीटर डीजल की बचत होगी, जिससे देश को अरबों रुपये की बचत का लाभ होगा. इससे प्रदूषण से मुक्त होने में रेलवे परिक्षेत्र ही नहीं, बल्कि एक बड़ा दायरा शामिल होगा.
पूर्वोत्तर रेलवे के इन रेल मार्गों पर डीजल इंजन से निकलने वाला करीब एक लाख 84 हजार 800 टन कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन अब नहीं होगा, जिससे पर्यावरण संरक्षित और सुरक्षित होगा. इससे राजस्व भी बढ़ेगा तो इलेक्ट्रिक इंजनों के चलते ट्रेनों का समय पालन भी बेहतर होगा. विद्युतीकरण से हुए संपूर्ण लाभ पर पूर्वोत्तर रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी ने ईटीवी भारत को जानकारी दी है.
मुख्य जनसंपर्क अधिकारी पंकज कुमार सिंह ने बताया कि लखनऊ मंडल के सुभागपुर-पचपेड़वा खंड का कार्य विद्युतीकरण का पूरा होते ही उत्तर प्रदेश सहित पूर्वोत्तर रेलवे के सभी मार्गों का शत प्रतिशत विद्युतीकरण हो गया है. इसमें बड़ी लाइन के सभी चलायमान रेलमार्ग शामिल हैं. अब सभी रूटों पर सिर्फ इलेक्ट्रिक इंजन वाली ट्रेन ही संचालित होंगी. उन्होंने कहा कि गोरखपुर से चलकर गोंडा तक पहुंचने वाली डीजल की ट्रेनों में इंजनों को चेंज किया जाता था. उसके रखरखाव और मैन पावर पर भी रेलवे बड़ा बजट खर्च करता था, जो अब नहीं करना होगा. इससे ट्रेनों की गति भी बढ़ेगी और समय से वह अपने गंतव्य तक पहुंचेंगी.
मुख्य जनसंपर्क अधिकारी पंकज कुमार सिंह ने बताया कि रेलवे ट्रैक के विद्युतीकरण होने का लाभ सिर्फ ट्रेनों के संचालन में ही नहीं होगा. इससे वह छोटे स्टेशन भी हमेशा रोशनी से जगमग होंगे, जहां कभी-कभी विद्युत की समस्या जाती थी. अब वहां पावर कट की समस्या नहीं होगी. पूर्वोत्तर रेलवे अब पूरी तरह से हरित रेल बनने की ओर अग्रसर हो चुका है और उसका अगला पड़ाव अब सोलर एनर्जी के विशेष प्रयोग पर चल रहा है. इससे इस एनर्जी का प्रयोग करके भी रेलवे विद्युत के खर्च को कम करने में सफल होगा.
उन्होंने कहा कि अब न तो स्टेशन पर डीजल इंजन की वजह से कोलाहल होगा और प्रदूषण बढ़ेगा और न ही ट्रेनों के संचालन में दिक्कतें आएंगी. उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर रेलवे के तीनों मंडलों में 75 एक्सप्रेस और पचासी पैसेंजर ट्रेनें चल रही हैं. आने वाले दिनों में पैसेंजर ट्रेनों की जगह इलेक्ट्रिक मेमू ट्रेन चलेगी. इसके संचालन का प्रस्ताव रेल प्रशासन ने तैयार किया है. इलेक्ट्रिक इंजन का उपयोग होने से पावर कार में भी डीजल की खपत लगभग समाप्त हो गई है. उन्होंने कहा पूर्वोत्तर रेलवे के खाते में यह उपलब्धि बीस फरवरी को अंतिम रूप से तब जुड़ी जब लखनऊ मंडल के सुभागपुर-पचपेड़वा खंड का विद्युतीकरण कार्य पूरा हुआ तो पूर्वोत्तर रेलवे शत-प्रतिशत विद्युतीकरण के साथ ट्रेनों के संचालन में सक्षम हो गया.
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