गोरखपुर: बढ़ते जल संकट के बीच पूर्वोत्तर रेलवे ने वर्षा जल संरक्षण का नायाब उदाहरण पेश किया है. वर्षा जल ही भूमिगत जल का सबसे बड़ा स्रोत है, इसका संचयन होना बहुत ही आवश्यक है. इसी को ध्यान में रखकर पूर्वोत्तर रेलवे गोरखपुर ने रेन वॉटर हार्वेस्टिंग के लिए समुचित व्यवस्था की है.
वॉटर हार्वेस्टिंग की योजना
पूरे विश्व में पेयजल की कमी एक संकट बनता जा रहा है और इसका मुख्य कारण भूमिगत जलस्तर का लगातार नीचे जाना है. भूमिगत जलस्तर में वृद्धि हो सके, उसके लिए जल संरक्षण की दिशा में रेलवे ने बेहतर प्रयास किया है. पूर्वोत्तर रेलवे के मुख्यालय गोरखपुर में रेल परिसर में कई जगहों पर रेन वॉटर हार्वेस्टिंग की व्यवस्था की गई है. राप्ती अधिकारी, रेस्ट हाउस एवं राप्ती विस्तार अधिकारी रेस्ट हाउस में वॉटर हार्वेस्टिंग के लिए अलग-अलग प्रावधान किया गया है.
अधिकारी क्लब के तरणताल (स्वीमिंग पूल) के बगल में भी जल संरक्षण के लिए समुचित प्रबन्ध हुआ है. आरपीएफ ट्रेनिंग सेन्टर और आरपीएफ रेस्ट हाउस में भी रेन वॉटर हार्वेस्टिंग के लिए आवश्यक निर्माण कार्य पूरा हो चुका है. गोरखपुर जंक्शन स्थित रनिंग रूम में भी इसके लिए प्रावधान किया गया है. जल संरक्षण के लिए न्यू कोचिंग डिपो एवं ओल्ड कोचिंग डिपो में वॉटर रिसाइकलिंग प्लान्ट भी लगाया गया है.
पूर्वोत्तर रेलवे के सीपीआरओ पंकज सिंह ने कहा कि आने वाले दिनों में मुख्यालय गोरखपुर में आरपीएसएफ रजही कैम्प की आरावली बिल्डिंग और आरपीएसएफ ट्रेनिंग सेन्टर के कक्ष के पीछे रेन वॉटर हार्वेस्टिंग के लिए अलग-अलग प्रावधान किया जाएगा. इसी क्रम में आरपीएफ बैरक और रेलवे स्टेडियम के स्वीमिंग पूल और स्काउट डेन की नई बिल्डिंग के पास अलग-अलग रेन वॉटर हार्वेस्टिंग के लिए समुचित व्यवस्था किए जाने की योजना है.