गोरखपुर: यूपी विधानसभा चुनाव की घोषणा के साथ ही चुनाव की प्रक्रिया और मतदाताओं को सहेजने व घटाने-बढ़ाने का दौर जहां खत्म हो चुका है. वहीं, विधानसभावार मतदाताओं को लुभाने का क्रम प्रत्याशियों और राजनीतिक दलों की तरफ से अपने स्तर से किया जा रहा है. गोरखपुर की बात करें तो यहां की 9 विधानसभा सीटों के लिए अंतिम मतदाता सूची का प्रकाशन 5 जनवरी, 2022 को हुआ था. जिसमें अबकी 9 विधानसभा सीटों पर कुल 35 लाख 55 हजार 675 वोटर मतदान करेंगे. इनमें 19 लाख 23 हजार 475 पुरुष और 16 लाख 31 हजार 926 महिलाएं अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगी. यह आंकड़े गोरखपुर जिला निर्वाचन कार्यालय की ओर से जारी किए गए हैं. साथ ही इस बात की भी संभावना व्यक्त की गई है कि छूटे हुए मतदाताओं की एक अलग से लिस्ट बनाई जाएगी. इसके अलावा शांतिपूर्ण व निष्पक्ष चुनाव कराने को जिला निर्वाचन अधिकारी/ जिला अधिकारी विजय किरण आनंद ने सभी तहसील के मजिस्ट्रेट और बीएलओ को जिम्मेदारी सौंपी है.
जिला निर्वाचन कार्यालय से प्राप्त आंकड़े के मुताबिक पिछले बार की तुलना में इस बार 86332 मतदाता बढ़े हैं. जिसमें 43 हाजर 833 महिलाएं और 42 हजार 833 पुरुष मतदाता हैं. वहीं, 30 थर्ड जेंडर हैं. सबसे अधिक मतदाता सदर विधानसभा क्षेत्र में है. इस सीट से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ चुनाव लड़ रहे हैं. यह सीट भाजपा के खाते में जानी तय मानी जा रही है. इस सीट पर 4 लाख 53 हजार 662 मतदाता हैं. जिसमें 2 लाख 43 हजार 013 मतदाता पुरुष और 2 लाख 10 हजार 574 मतदाता महिलाएं हैं. सदर सीट पर सबसे अधिक ब्राह्मण मतदाता हैं, जिनकी संख्या एक लाख आंकी जा रही है. इसी प्रकार कायस्थ 65 और मुस्लिम 80 हजार के आसपास हैं.
वहीं, क्षत्रिय और दलित मतों की संख्या 40-40 हजार है. पिछड़े वर्ग में व्यापारी समाज का बड़ा वोट है, जो योगी खेमें का माना जाता है. सबसे कम मतदाता वाली जिले की सीट चौरी चौरा विधानसभा है, जहां पर 3 लाख 51 हजार 944 मतदाता हैं. इसमें पुरुषों की संख्या 1 लाख 89 हजार 998 है तो महिलाओं की संख्या 1लाख 61 हजार 904 है. यह सीट भी भारतीय जनता पार्टी के खाते में जाति दिखाई दे रही है, क्योंकि इस सीट से महिला विधायक हैं और फिर से वो टिकट पाने की प्रबल दावेदार हैं और यादव बिरादरी से आती हैं.
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इस सीट पर दलित बिरादरी के पासवान और निषाद जीत का आधार बनते हैं. जिले की अति महत्वपूर्ण सीटों में से एक कैंपियरगंज विधानसभा सीट भी है, जहां पर कुल 2 लाख 04 हजार 684 पुरुष और 1 लाख 76 हजार 857 महिला मतदाता हैं. इस सीट से भाजपा के विधायक फतेह बहादुर सिंह हैं, जो पूर्व मुख्यमंत्री वीर बहादुर सिंह के बेटे हैं. वह 1991 से लगातार विधायक चुने जाते रहे हैं. उनकी जीत इस बार भी सुनिश्चित मानी जा रही है. खैर, इस क्षेत्र में निषाद बहुलता में हैं. साथ ही कुर्मी जाति के मतदाताओं की संख्या भी अधिक है.
इधर, पिपराइच विधानसभा सीट पर 2017 में भाजपा का कब्जा था, लेकिन 2022 के चुनाव में यह समाजवादी पार्टी के खाते में जाती दिखाई दे रही है. फिलहाल असल समीकरण प्रत्याशी तय होने के बाद ही सामने आएगा. इस सीट पर कुल 4 लाख 02 हजार 796 मतदाता हैं. जिसमें 2 लाख 18 हजार 804 पुरुष और 1लाख 83 हजार 943 महिलाएं हैं. यह सीट भी निषाद बहुल है. साथ ही मुस्लिम मतदाताओं की भी यहां बड़ी संख्या है. प्रत्याशियों के हिसाब से यहां का समीकरण बनता बिगड़ता है. बात करें गोरखपुर ग्रामीण विधानसभा सीट की तो यहां कुल 4 लाख 12 हजार 471 मतदाता हैं. जिसमें 2 लाख 22 हजार 479 पुरुष और 1 लाख 89 हजार 967 महिला मतदाता हैं.
यह सीट भी भाजपा के खाते में जाती दिखाई दे रही थी. लेकिन अब यह निषाद पार्टी के दावेदारी करने से उलझ गई है. निषाद पार्टी का उम्मीदवार होने से यहां भितरघात होने की संभावना प्रबल है. ऐसे में समाजवादी पार्टी की जीत इस सीट पर सुनिश्चित हो सकती है. इस सीट पर भी निषाद और पासवान जाति के मतदाता ज्यादा है, जो जीत हार का कारण बनते हैं. जिले की सहजनवा विधानसभा सीट ब्राह्मण बाहुल्य मानी जाती है. वर्तमान में इस पर भाजपा के शीतल पांडेय विधायक हैं. जिनकी बढ़ती उम्र और स्वास्थ्य को देखते हुए टिकट कटने की पूरी उम्मीद है.
समाजवादी पार्टी यहां उनके मुकाबले काफी मजबूत दिखाई दे रही है. लेकिन भाजपा के टिकट पर ही उसकी जीत की तस्वीर साफ होगी नहीं तो यह सीट समाजवादी पार्टी के खाते में जा सकती है. इस सीट पर कुल 3 लाख 74 हजार 204 मतदाता हैं. जिसमें 2 लाख 03 हजार 696 पुरुष और 1 लाख 70 हजार 491 महिला मतदाता हैं. ब्राह्मण के बाद पिछड़ी जाति में कुर्मी जाति के मतदाता यहां बड़ी भूमिका बनाते हैं. इसी प्रकार भाजपा की परंपरागत सीट खजनी है, जहां से संत प्रसाद तीन बार से विधायक हैं और वो भी उम्रदराज हो चुके हैं. उनका टिकट कटने पर यहां सपा और भाजपा में कड़ी टक्कर हो सकती है.
इस सीट पर कुल 3 लाख 75 हजार 491 मतदाता हैं. जिसमें 2 लाख 03 हजार 570 पुरुष और 1 लाख 71 हजार 910 महिला मतदाता हैं. यह सीट सुरक्षित है और दलित समाज में बेलदार बिरादरी यहां बहुलता में है. जिले की दूसरी सुरक्षित सीट बासगांव है, जहां पर कुल 3 लाख 77 हजार 106 मतदाता हैं. जिसमें 2 लाख 06 हजार 822 पुरुष और 1 लाख 70 हजार 209 महिला मतदाता हैं. इस सीट पर ब्राह्मण और क्षत्रिय दोनों ही जीत में अहम भूमिका निभाते हैं. जिस प्रत्याशी और दल को उनका समर्थन मिलता है, उसकी जीत तय होती है.
फिलहाल यह भाजपा के खाते में है और मौजूदा विधायक को टिकट मिलने पर सपा और भाजपा के जीत को लेकर उहापोह की स्थिति बनी रहेगी, क्योंकि भाजपा विधायक की छवि क्षेत्र में अच्छी नहीं मानी जा रही. जिले की सबसे चर्चित सीट चिल्लूपार विधानसभा है, जहां से मौजूदा समय में बसपा से विनय शंकर तिवारी विधायक हैं जो अब समाजवादी पार्टी में जा चुके हैं.वो बड़े ब्राह्मण चेहरा हैं. योगी आदित्यनाथ से सीधे इस परिवार का टकराव जगजाहिर है. ऐसे में इस सीट पर भी भाजपा प्रत्याशी के उतरने के बाद ही समीकरण साफ होगा. फिलहाल वर्तमान में विनय शंकर ही लीड बनाए हुए हैं. इस सीट पर कुल 4 लाख 26 हजार 424 मतदाता हैं, जिसमें 2 लाख 30 हजार 349 पुरुष और 1 लाख 96 हजार 071 महिला मतदाता हैं. ब्राह्मण और दलित का गठजोड़ ही यहां जीत का कारण बनता है.
वहीं, पूरे चुनाव को संपन्न कराने के लिए जिले में कुल 2077 मतदान केंद्र और 4126 मतदेय स्थल बनाए गए हैं. इस बार एक बूथ पर वोटरों की संख्या 1500 से घटाकर 1200 कर दिया गया है. चुनाव के लिए कुल 290 सेक्टर और 32 जोनल मजिस्ट्रेट तैनात किए गए हैं.
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