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नेपाल आज भी है अपराधियों का पनाहगार, इन बदमाशों की धरपकड़ से खुले राज

उत्तर प्रदेश का जिला गोरखपुर अपराधियों का गढ़ माना जाता रहा है. इधर गोरखपुर से सटे नेपाल को पूर्वांचल के अपराधियों का पनाहगार. लेकिन इन अपराधियों के कनेक्शन अभी भी नेपाल से हैं, इसकी पुष्टि हाल ही में गिरफ्तार दो शातिर अपराधियों से होती है. इस रिपोर्ट को पढ़िए.

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Published : Aug 4, 2022, 4:54 PM IST

गोरखपुर: भारत-नेपाल की सीमा से सटा गोरखपुर जिला एक समय अपराध और अपराधियों की पौध तैयार करता रहा है. वहीं पड़ोसी देश नेपाल अपराधियों के लिए सबसे सुरक्षित ठिकाने के रूप में जाना जाता है. अस्सी के दशक से लेकर करीब 30 सालों तक ऐसी पृष्ठभूमि देखने को मिलती रही है. बीच के कुछ सालों तक अपराधियों के कनेक्शन नेपाल से कटे हुए थे. लेकिन गोरखपुर पुलिस ने इधर कुछ ऐसे इनामी अपराधियों को गिरफ्तार किया है, जिन्होंने नेपाल में अपना सुरक्षित ठिकाना बना रखा था. यह अपराधी 25 हजार रुपये तक के इनामी बदमाश थे और पुलिस के लिए सिरदर्द बने हुए थे. इनकी गिरफ्तारी के बाद यह सबूत और पुख्ता हो गए हैं कि पूर्वांचल के अपराधी एक बार फिर नेपाल को अपने सुरक्षित ठिकाने के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं. यही नहीं नेपाल में बैठे-बैठे वो गोरखपुर समेत आसपास के इलाकों में फिरौती और धमकी देकर अपना कारोबार भी चला रहे हैं.

ईटीवी भारत के पाठकों के लिए अपराधियों का सुरक्षित ठिकाना बन चुके नेपाल की कहानी को दो अपराधियों की गिरफ्तारी के साथ आगे बढ़ाते हैं. गोरखपुर कैंट पुलिस और सर्विलांस ने मिलकर 25 हजार के इनामी बदमाश सुनील बहादुर को 10 जुलाई को पकड़ा था. पूछताछ कर पुलिस ने बताया कि इस बदमाश ने नेपाल में अपना ठिकाना बनाया था. मोहरीपुर थाना चिलुआताल निवासी सुनील बहादुर पर लूट, डकैती और हत्या के मुकदमे दर्ज हैं और वो काफी दिनों से फरार चल रहा था. पुलिस ने बताया कि सुनील एक संगठित गिरोह चलाता है. वो नेपाल में कारोबारियों की रेकी कर उनके साथ लूट और डकैती जैसे संगीन अपराधों को अंजाम देता है.

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नेपाल से अपराध का कारोबार चलाने वाले दो शातिर और इनामी बदमाश गिरफ्तार

इसी तरह पुलिस ने एक और शातिर अपराधी मनोज साहनी उर्फ टमाटर को 16 जुलाई को गिरफ्तार किया था. उस पर भी 25 हजार रुपये का इनाम घोषित था. यह शातिर अपराधी भारतीय सीमा में नेपाली कारोबारियों के कदम रखते ही लूट लेता था और उनकी हत्या कर देता था. जिले के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक डॉ. गौरव ग्रोवर ने बताया कि गिरफ्तार किए गए दोनों अपराधी 25 हजार के इनामी थे. दोनों नेपाल में रहकर भारत की सीमा में आपराधिक घटनाओं को अंजाम देते थे. पुलिस अब उनके शरणादाताओं का भी पता लगाने में जुट गई है.

यह भी पढ़ें- कानपुर हिंसा मामला: एसआईटी की जांच में निर्दोष मिले शानू और शारिक, जेल से रिहा

नेपाली कनेक्शन अपराधियों की कुछ घटनाओं और गिरफ्तारी की वजह से भी सामने आते हैं. 1991 में खालिस्तान एरिया फोर्स का डिप्टी कमांडर सुखबीर सिंह भारत-नेपाल सीमा से पकड़ा गया था. 1993 में आतंकी टाइगर मेमन की गिरफ्तारी भी यहीं से हुई थी. 1995 में आईएसआई एजेंट यासिया बेगम गिरफ्तार हुई. इसी तरह 2000 में आसिफ अली और चार आतंकी गिरफ्तार हुए. 2007 में लश्कर के आतंकी सादात रशीद मसूद आलम की गिरफ्तारी हुई तो 2009 में मुंबई के आतंकी नूर बख्श और इश्तियाक उर्फ शैतान की गिरफ्तारी भारत-नेपाल बॉर्डर से हुई.

2013 में आतंकी लियाकत अली शाह भी नेपाल से गिरफ्तार हुआ. इसी साल आतंकी हमले में 140 लोगों की हत्या के आरोपी और मोस्ट वांटेड आतंकवादी यासीन भटकल भी बॉर्डर से गिरफ्तार हुआ. अब्दुल करीम टुंडा को भी उत्तराखंड में नेपाल की खुली सीमा पर गिरफ्तार किया गया था. इसके अलावा नेपाल में अपराधियों का सबसे बड़ा शरणदाता मिर्जा दिलशाद बेग था. उसकी 1998 में हत्या हो गई थी. देवरिया के रहने वाले मिर्जा दिलशाद बेग पर गोरखपुर समेत कई जिलों में गाड़ी चोरी, अपहरण, फिरौती और हत्या जैसी घटनाओं के मामले दर्ज थे.

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गोरखपुर: भारत-नेपाल की सीमा से सटा गोरखपुर जिला एक समय अपराध और अपराधियों की पौध तैयार करता रहा है. वहीं पड़ोसी देश नेपाल अपराधियों के लिए सबसे सुरक्षित ठिकाने के रूप में जाना जाता है. अस्सी के दशक से लेकर करीब 30 सालों तक ऐसी पृष्ठभूमि देखने को मिलती रही है. बीच के कुछ सालों तक अपराधियों के कनेक्शन नेपाल से कटे हुए थे. लेकिन गोरखपुर पुलिस ने इधर कुछ ऐसे इनामी अपराधियों को गिरफ्तार किया है, जिन्होंने नेपाल में अपना सुरक्षित ठिकाना बना रखा था. यह अपराधी 25 हजार रुपये तक के इनामी बदमाश थे और पुलिस के लिए सिरदर्द बने हुए थे. इनकी गिरफ्तारी के बाद यह सबूत और पुख्ता हो गए हैं कि पूर्वांचल के अपराधी एक बार फिर नेपाल को अपने सुरक्षित ठिकाने के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं. यही नहीं नेपाल में बैठे-बैठे वो गोरखपुर समेत आसपास के इलाकों में फिरौती और धमकी देकर अपना कारोबार भी चला रहे हैं.

ईटीवी भारत के पाठकों के लिए अपराधियों का सुरक्षित ठिकाना बन चुके नेपाल की कहानी को दो अपराधियों की गिरफ्तारी के साथ आगे बढ़ाते हैं. गोरखपुर कैंट पुलिस और सर्विलांस ने मिलकर 25 हजार के इनामी बदमाश सुनील बहादुर को 10 जुलाई को पकड़ा था. पूछताछ कर पुलिस ने बताया कि इस बदमाश ने नेपाल में अपना ठिकाना बनाया था. मोहरीपुर थाना चिलुआताल निवासी सुनील बहादुर पर लूट, डकैती और हत्या के मुकदमे दर्ज हैं और वो काफी दिनों से फरार चल रहा था. पुलिस ने बताया कि सुनील एक संगठित गिरोह चलाता है. वो नेपाल में कारोबारियों की रेकी कर उनके साथ लूट और डकैती जैसे संगीन अपराधों को अंजाम देता है.

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नेपाल से अपराध का कारोबार चलाने वाले दो शातिर और इनामी बदमाश गिरफ्तार

इसी तरह पुलिस ने एक और शातिर अपराधी मनोज साहनी उर्फ टमाटर को 16 जुलाई को गिरफ्तार किया था. उस पर भी 25 हजार रुपये का इनाम घोषित था. यह शातिर अपराधी भारतीय सीमा में नेपाली कारोबारियों के कदम रखते ही लूट लेता था और उनकी हत्या कर देता था. जिले के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक डॉ. गौरव ग्रोवर ने बताया कि गिरफ्तार किए गए दोनों अपराधी 25 हजार के इनामी थे. दोनों नेपाल में रहकर भारत की सीमा में आपराधिक घटनाओं को अंजाम देते थे. पुलिस अब उनके शरणादाताओं का भी पता लगाने में जुट गई है.

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नेपाली कनेक्शन अपराधियों की कुछ घटनाओं और गिरफ्तारी की वजह से भी सामने आते हैं. 1991 में खालिस्तान एरिया फोर्स का डिप्टी कमांडर सुखबीर सिंह भारत-नेपाल सीमा से पकड़ा गया था. 1993 में आतंकी टाइगर मेमन की गिरफ्तारी भी यहीं से हुई थी. 1995 में आईएसआई एजेंट यासिया बेगम गिरफ्तार हुई. इसी तरह 2000 में आसिफ अली और चार आतंकी गिरफ्तार हुए. 2007 में लश्कर के आतंकी सादात रशीद मसूद आलम की गिरफ्तारी हुई तो 2009 में मुंबई के आतंकी नूर बख्श और इश्तियाक उर्फ शैतान की गिरफ्तारी भारत-नेपाल बॉर्डर से हुई.

2013 में आतंकी लियाकत अली शाह भी नेपाल से गिरफ्तार हुआ. इसी साल आतंकी हमले में 140 लोगों की हत्या के आरोपी और मोस्ट वांटेड आतंकवादी यासीन भटकल भी बॉर्डर से गिरफ्तार हुआ. अब्दुल करीम टुंडा को भी उत्तराखंड में नेपाल की खुली सीमा पर गिरफ्तार किया गया था. इसके अलावा नेपाल में अपराधियों का सबसे बड़ा शरणदाता मिर्जा दिलशाद बेग था. उसकी 1998 में हत्या हो गई थी. देवरिया के रहने वाले मिर्जा दिलशाद बेग पर गोरखपुर समेत कई जिलों में गाड़ी चोरी, अपहरण, फिरौती और हत्या जैसी घटनाओं के मामले दर्ज थे.

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