गोरखपुर : निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. संजय कुमार निषाद और उनके सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने सोमवार 16 अगस्त को पार्टी के छठवें स्थापना दिवस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत मुख्यमंत्री और देश के उच्च पदस्थ लोगों को खून से लिखा पत्र भेजा है. इस पत्र के माध्यम से निषाद पार्टी ने निषाद बिरादरी से जुड़ी सभी जातियों को आरक्षण का अधिकार देने की मांग की है. इस मौके पर उन्होंने मीडिया से बात करते हुए डॉ. संजय निषाद ने कहा कि निषाद बिरादरी का इतिहास देश की आजादी में अपना खून बहाने से जुड़ा हुआ है. ऐसे में अगर अधिकारों की लड़ाई के लिए केंद्र-प्रदेश की सरकार को जगाने के लिए खून से खत लिखना पड़े या अपना खून भी देना पड़े तो यह समाज पीछे नहीं हटेगा.
इसके साथ ही डॉ. संजय निषाद ने कहा कि देश की आजादी के बाद निषाद बिरादरी को अनुसूचित जाति में रखा गया था. लेकिन, न जाने ऐसा क्या हुआ कि 1991 में देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव की सरकार ने संसद में बिना किसी बहस के उनकी जाति को अनुसूचित जाति से निकाल कर बाहर कर दिया. जिसके बाद से निषाद समाज दोबारा अपना हक वापस देने की मांग कर रहा है. उन्होंने कहा कि देश की राजनीतिक पार्टियों ने निषाद मतदाताओं को केवल राजनीति का मोहरा समझ लिया है. लेकिन, जबसे उनके नेतृत्व में 2016 में निषाद पार्टी का गठन हुआ उनकी जाति के लोग भी अपने हक और हुकूक को पहचानने लगे हैं. इसके साथ ही सरकारों और राजनीतिक दलों ने भी उनकी ताकत को समझा है.
डॉ. संजय निषाद ने कहा कि 18 प्रतिशत आबादी वाले मछुआरा समाज को सभी राजनीतिक पार्टियों ने अपना वोट बैंक समझा है, लेकिन अब ऐसा नहीं होने वाला. वर्ष 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव में निषाद पार्टी एक मजबूत ताकत के रूप में दिखाई देगी. पार्टी के स्थापना दिवस समारोह में डॉक्टर संजय निषाद के पुत्र और बीजेपी सांसद प्रवीण निषाद और उनके राष्ट्रीय प्रांतीय पदाधिकारी भी शामिल और सभी ने पीएम मोदी और सीएम योगी को अपने खून से खत लिखा. इसके साथ ही इस मौके पर हजारों कार्यकर्ताओं ने नोटों की माला पहनाकर डॉ. संजय निषाद को सम्मानित किया.
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आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश की सियासत में इन दिनों निषाद वोट बैंक (Nishad Vote Bank) को लेकर जमकर खींचतान मची हुई है. सभी राजनीतिक पार्टियां खुद को निषाद समाज का मसीहा साबित करने में जुटी हुई हैं. इस बीच निषाद समुदाय की राजनीति करने वाली निर्बल इण्डियन शोषित हमारा आम दल यानि निषाद पार्टी ने 16 अगस्त को अपने छठे स्थापना दिवस के मौके पर अपनी राजनीतिक ताकत का एहसास करने का प्रयास किया.
निषाद समाज को आरक्षण (Reservation) दिलाने के नाम पर ही इस पार्टी का गठन किया गया था. इसके बाद साल 2017 में योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद खाली हुई गोरखपुर की सीट पर हुए उपचुनाव में निषाद पार्टी ने सपा का समर्थन किया था और डॉक्टर संजय निषाद के पुत्र प्रवीण निषाद टिकट पर चुनाव लड़ा था. जिसमें प्रवीण निषाद ने बीजेपी प्रत्याशी उपेंद्र शुक्ला को करारी शिकश्त दी थी. हालांकि, बाद 2019 के लोकसभा चुनाव में निषाद पार्टी ने बीजेपी के साथ गठबंधन कर लिया था.