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गोरखपुरः सरसों की खेत में लगाएं पीले ट्रैप, माहू कीटों से होगा बचाव

कृषि प्रधान देश भारत में रबी की फसल सरसों का समय चल रहा है. इस समय सरसों के पौधों में फूल आ गए हैं. वहीं वातावरण में नमी के कारण सरसों के फूलों में माहू कीट का खतरा बढ़ने लगा है. कृषि वैज्ञानिक का कहना है कि किसान समय रहते इनके उपाय कर लें.

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Published : Jan 17, 2020, 10:30 AM IST

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सरसों के फूल

गोरखपुरः भारत कृषि प्रधान देश है, जिसकी सर्वाधिक आबादी कृषि पर आधारित रोजगार पर जीविकोपार्जन के लिये निर्भर है. एक आंकड़े के मुताबिक, भारत का 40% कृषि क्षेत्र सिंचाई के लिए मॉनसून पर निर्भर रहता है. इसिलिए भारतीय कृषि को मॉनसून का जुआ भी कहा जाता है. मौसम अनुरूप खेती करना हमारी परंपरा है. कुछ फसलों पर मॉनसून का जादू चलने से उत्पाद बढ़ जाता है. वहीं बेमौसम बारिश होने से कुछ फसलों के उत्पादन प्रभावित होते हैं.

अगर हम रबी की तिलहनी फसल की बात करें तो उसमें सरसों मत्वपूर्ण फसल है. सरसों की खेती कृषकों के लिए बहुत लोकप्रिय होती जा रही है. कम सिंचाई और लागत खर्च से अन्य फसलों की अपेक्षा अधिक लाभ प्राप्त होता है. इसकी खेती मिश्रित फसल के रूप में या दो फसलीय चक्र में आसानी से की जा सकती है. इस समय खेतों में रबी की तिलहनी फसल सरसों पुष्पन अवस्था में खड़ी है, लेकिन बेमौसम बारिश और भीषण शीतलहर पड़ने के कारण इस समय का तापमान बेहद कम है.

देंखें वीडियो.


वातावरण में निरंतर नमी का प्रतिशत अधिक बना हुआ है. फूलों से लदे सरसों की फसल में इसी समय माहू कीट का प्रकोप अधिक होता है. इसका प्रकोप भी इस समय दिखाई देने लगा है. फसल प्रभावित होने से उत्पादन घटने की आशंका बनी हुई है. किसान सरसों फसल को लेकर काफी चिन्तित नजर आ रहे हैं. आज हम सरसों की खेती के बारे में कृषि वैज्ञानिक के अनुसार विस्तार से चर्चा करेंगे.

सरसों के उपयोग
तिलहनी फसलों में सरसों का महत्वपूर्ण स्थान है. इसके दाने का उपयोग खाद्य पदार्थ, मसाला, सब्जियों में तड़का, बालमूल अवस्था में पौधों के साग के रूप में किया जाता है. बड़ा पौधा पशुचारा, सूखा पौधा ईंधन और झोपड़ी छप्पर छाने के प्रयोग में लाया जाता है. सरसों के दानों का उपयोग पेराई कर खली पशुओं को और तेल खाने के इस्तेमाल में लाया जाता है. सरसों कम लागत में अधिक उत्पादन और लाभदायक फसल है.

कैसा होता है माहू कीट?
माहू कीट रस चूसने वाला कीट है यह छोटा कोमल शरीर वाला हरे मटमैले भूरे रंग का होता है. यह 2 मिली मीटर लंबा तथा गोलाकार होता है. यह कीट झुंड में पत्तियों, फूलों, फलियों पर चिपके रहते हैं, उसका रस चूस कर पौधों को कमजोर कर देते हैं. इससे उपज पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है. इस कीट का समय के अनुसार, उचित प्रबंधन निम्न प्रकार करना चाहिए.

कब और कैसे करें सरसों की बुआई?
गोरखपुर महायोगी गोरखनाथ कृषि विज्ञान केन्द्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. आरपी सिंह बताते हैं कि सरसों की बुवाई अक्टूबर के प्रथम पखवाड़े में करने से माहू कीट के प्रकोप से फसल को बचाया जा सकता है. उन्होंने कुछ बिन्दुवार सावधानी इस प्रकार बरतने को बताया कि खेत को खरपतवार से मुक्त रखें, फसलों को सघन न लगाएं, सघन लगाने पर कीटों का प्रकोप अधिक होता है. इसके कारण उपज प्रभावित होती है. साथ ही पौधे का विकास ठीक ढंग से नहीं हो पाता है. इसलिए किसान भाइयों को फसल की बुवाई एक सुनिश्चित दूरी पर करनी चाहिए.

सरसों की बुआई कैसे करें?
वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. आरपी सिंह ने बताया कि सरसों फसल के समय कृषक को ध्यान रखना चाहिए कि पौधों से पौधों की दूरी 8 से10 सेंटीमीटर रखें. अधिक बीज का प्रयोग बुवाई के लिए न करें. 4 से 5 किलोग्राम बीज प्रति हेक्टेयर की दर से ही बुवाई करें. सरसों की बुवाई कतारों में करें तो अधिक लाभ होता है.

माहू कीट के प्रकोप से कैसे बचाएं फसल?
माहू कीट से प्रभावित टहनियों को दिसंबर के अंत तक तोड़ते रहें, जिससे कीट के प्रकोप को कम किया जा सकता है. 50 से 60 सेंमी माहू कीट प्रति 10 सेंटीमीटर दिखाई दे तो इसके नियंत्रण के लिए पीले रंग का चिपकाने वाला ट्रैप प्रयोग करना चाहिए. किसान घर पर ही इस पीले रंग के ट्रैप को आसानी से बना सकते हैं.

देशी नुस्खे से बनाए माहू चिपकाने वाला ट्रैप
प्लास्टिक अथवा टिन 1 फीट लंबा चौड़ा उस पर पीले रंग से पेंट कर दें तथा उस पर सफेद रंग लगाकर प्रयोग कर सकते हैं. अपने खेतों में 15 से 20 प्रति एकड़ की दर से किसान भाई 1 मीटर ऊंचाई तक लगाकर माहू कीट पर नियंत्रण कर सकते हैं.

यह भी पढ़ेंः-यहां स्ट्रॉबेरी की खेती से किसान हो रहे खुशहाल, एक एकड़ में कमा रहे 9 से 10 लाख मुनाफा

माहू कीट के लिए दवा
माहू कीट नियंत्रण के लिए जैविक उत्पादों जैसे नीम की खली 5℅ का घोल बनाकर छिड़काव अथवा नीम के तेल का 4% से 5% का घोल बनाकर छिड़काव करने से माहू कीटों को आसानी से नियंत्रित किया सकता है. रासायनिक दवाओं में इमिडाक्लोप्रिड की 1 मिलीलीटर प्रति 2 लीटर पानी दर से अथवा डाईमेथोएट 1 मिलीलीटर प्रति 2 लीटर पानी की दर घोल बनाकर के छिड़काव करने से माहू कीट प्रबंधन आसानी से किया जा सकता है.

गोरखपुरः भारत कृषि प्रधान देश है, जिसकी सर्वाधिक आबादी कृषि पर आधारित रोजगार पर जीविकोपार्जन के लिये निर्भर है. एक आंकड़े के मुताबिक, भारत का 40% कृषि क्षेत्र सिंचाई के लिए मॉनसून पर निर्भर रहता है. इसिलिए भारतीय कृषि को मॉनसून का जुआ भी कहा जाता है. मौसम अनुरूप खेती करना हमारी परंपरा है. कुछ फसलों पर मॉनसून का जादू चलने से उत्पाद बढ़ जाता है. वहीं बेमौसम बारिश होने से कुछ फसलों के उत्पादन प्रभावित होते हैं.

अगर हम रबी की तिलहनी फसल की बात करें तो उसमें सरसों मत्वपूर्ण फसल है. सरसों की खेती कृषकों के लिए बहुत लोकप्रिय होती जा रही है. कम सिंचाई और लागत खर्च से अन्य फसलों की अपेक्षा अधिक लाभ प्राप्त होता है. इसकी खेती मिश्रित फसल के रूप में या दो फसलीय चक्र में आसानी से की जा सकती है. इस समय खेतों में रबी की तिलहनी फसल सरसों पुष्पन अवस्था में खड़ी है, लेकिन बेमौसम बारिश और भीषण शीतलहर पड़ने के कारण इस समय का तापमान बेहद कम है.

देंखें वीडियो.


वातावरण में निरंतर नमी का प्रतिशत अधिक बना हुआ है. फूलों से लदे सरसों की फसल में इसी समय माहू कीट का प्रकोप अधिक होता है. इसका प्रकोप भी इस समय दिखाई देने लगा है. फसल प्रभावित होने से उत्पादन घटने की आशंका बनी हुई है. किसान सरसों फसल को लेकर काफी चिन्तित नजर आ रहे हैं. आज हम सरसों की खेती के बारे में कृषि वैज्ञानिक के अनुसार विस्तार से चर्चा करेंगे.

सरसों के उपयोग
तिलहनी फसलों में सरसों का महत्वपूर्ण स्थान है. इसके दाने का उपयोग खाद्य पदार्थ, मसाला, सब्जियों में तड़का, बालमूल अवस्था में पौधों के साग के रूप में किया जाता है. बड़ा पौधा पशुचारा, सूखा पौधा ईंधन और झोपड़ी छप्पर छाने के प्रयोग में लाया जाता है. सरसों के दानों का उपयोग पेराई कर खली पशुओं को और तेल खाने के इस्तेमाल में लाया जाता है. सरसों कम लागत में अधिक उत्पादन और लाभदायक फसल है.

कैसा होता है माहू कीट?
माहू कीट रस चूसने वाला कीट है यह छोटा कोमल शरीर वाला हरे मटमैले भूरे रंग का होता है. यह 2 मिली मीटर लंबा तथा गोलाकार होता है. यह कीट झुंड में पत्तियों, फूलों, फलियों पर चिपके रहते हैं, उसका रस चूस कर पौधों को कमजोर कर देते हैं. इससे उपज पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है. इस कीट का समय के अनुसार, उचित प्रबंधन निम्न प्रकार करना चाहिए.

कब और कैसे करें सरसों की बुआई?
गोरखपुर महायोगी गोरखनाथ कृषि विज्ञान केन्द्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. आरपी सिंह बताते हैं कि सरसों की बुवाई अक्टूबर के प्रथम पखवाड़े में करने से माहू कीट के प्रकोप से फसल को बचाया जा सकता है. उन्होंने कुछ बिन्दुवार सावधानी इस प्रकार बरतने को बताया कि खेत को खरपतवार से मुक्त रखें, फसलों को सघन न लगाएं, सघन लगाने पर कीटों का प्रकोप अधिक होता है. इसके कारण उपज प्रभावित होती है. साथ ही पौधे का विकास ठीक ढंग से नहीं हो पाता है. इसलिए किसान भाइयों को फसल की बुवाई एक सुनिश्चित दूरी पर करनी चाहिए.

सरसों की बुआई कैसे करें?
वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. आरपी सिंह ने बताया कि सरसों फसल के समय कृषक को ध्यान रखना चाहिए कि पौधों से पौधों की दूरी 8 से10 सेंटीमीटर रखें. अधिक बीज का प्रयोग बुवाई के लिए न करें. 4 से 5 किलोग्राम बीज प्रति हेक्टेयर की दर से ही बुवाई करें. सरसों की बुवाई कतारों में करें तो अधिक लाभ होता है.

माहू कीट के प्रकोप से कैसे बचाएं फसल?
माहू कीट से प्रभावित टहनियों को दिसंबर के अंत तक तोड़ते रहें, जिससे कीट के प्रकोप को कम किया जा सकता है. 50 से 60 सेंमी माहू कीट प्रति 10 सेंटीमीटर दिखाई दे तो इसके नियंत्रण के लिए पीले रंग का चिपकाने वाला ट्रैप प्रयोग करना चाहिए. किसान घर पर ही इस पीले रंग के ट्रैप को आसानी से बना सकते हैं.

देशी नुस्खे से बनाए माहू चिपकाने वाला ट्रैप
प्लास्टिक अथवा टिन 1 फीट लंबा चौड़ा उस पर पीले रंग से पेंट कर दें तथा उस पर सफेद रंग लगाकर प्रयोग कर सकते हैं. अपने खेतों में 15 से 20 प्रति एकड़ की दर से किसान भाई 1 मीटर ऊंचाई तक लगाकर माहू कीट पर नियंत्रण कर सकते हैं.

यह भी पढ़ेंः-यहां स्ट्रॉबेरी की खेती से किसान हो रहे खुशहाल, एक एकड़ में कमा रहे 9 से 10 लाख मुनाफा

माहू कीट के लिए दवा
माहू कीट नियंत्रण के लिए जैविक उत्पादों जैसे नीम की खली 5℅ का घोल बनाकर छिड़काव अथवा नीम के तेल का 4% से 5% का घोल बनाकर छिड़काव करने से माहू कीटों को आसानी से नियंत्रित किया सकता है. रासायनिक दवाओं में इमिडाक्लोप्रिड की 1 मिलीलीटर प्रति 2 लीटर पानी दर से अथवा डाईमेथोएट 1 मिलीलीटर प्रति 2 लीटर पानी की दर घोल बनाकर के छिड़काव करने से माहू कीट प्रबंधन आसानी से किया जा सकता है.

Intro:वातावरण में नमी के कारण सरसों फसल के पुष्पन अवस्था में माहू कीट का खतरा बढ़ने लगा है. कृषक समय रहते नही चेते तो सरसों फसल को माहू कीट पुष्पन का रस चूस कर उत्पादन को प्रभावित कर देंगे.


पिपराइच गोरखपुरः भारत कृषि प्रधान देश है. जिसकी सर्वाधिक आबादी कृषि पर आधारित अपने रोज़गार व जीविकापोर्जन के लिये निर्भर है. एक आंकड़े के मुताबिक भारत का 40 % कृषि क्षेत्र सिंचाई के लिये मानसून पर निर्भर रहता है. इसिलिए भारतीय कृषि को मानसून का जुआ भी कहा जाता है. मौसम अनुरूप खेती करना हमारी परंपरा है. कुछ फसलों पर मानसून का जादू चलने से उत्पाद बढ़ जाते है वही बेमौसम बारिश होने से कुछ फसलों के उत्पादन प्रभावित होते है. अगर हम बात रबी की तिलहनी फसल की करें तो उसमें सरसो एक है. मूँगफली के बाद सरसों दूसरी सबसे महत्वपूर्ण तिलहनी फसल है. सरसों की खेती कृषकों के लिए बहुत लोकप्रिय होती जा रही है. कम सिंचाई व लागत खर्च से अन्य फसलों की अपेक्षा अधिक लाभ प्राप्त होता है. इसकी खेती मिश्रित फसल के रूप में या दो फसलीय चक्र में आसानी से की जा सकती है. क्षेत्र में रबी की तिलहनी फसल सरसो पुष्पन अवस्था में फुलों से लदी हुई खड़ी है. लेकिन बेमौसम बारिश और भीषण शीतलहर पड़ने के कारण इस समय का तापमान बेहद कम है. वातावरण में निरंतर नमी का प्रतिशत अधिक बना हुआ है. फुलों से लदे सरसों फसल इसी समय माहू कीट का प्रकोप अधिक होता है. जिसका प्रकोप भी इस समय दिखाई देने लगा है. फसल प्रभावित होने से उत्पादन घटने की आशंका बनी हुई है. किसान सरसों फसल को लेकर काफि चिन्तित नजर आ रहे है. Body:$सरसों के निम्नलिखित उपयोग$

तिलहनी फसलों में सरसों का एक महत्वपूर्ण स्थान है. जिसके दाने का उपयोग घाद्य पदार्थ मशाल सब्जियों में तड़का बालमूल अवस्था में पौधों को साग के रुप में, बड़ा पौधा पशुचारा, सूखा पौधा इधन और झोपड़ी छप्पर छाने के प्रयोग में लाया जाता है. सरसों के दानों का उपयोग पेराई कर खली पशुओं को और तेल खाने में इस्तेमाल लाया जाता है. सरसों कम लागत में अधिक उत्पादन और लाभदायक फसल है.

$कैसा होता है माहू कीट$

माहू कीट रस चूसने वाला किट है यह छोटा कोमल शरीर वाला हरे मटमैले भूरे रंग का होता है. यह 2 मिली मीटर लंबा तथा गोलाकार होता है. यह किट झुंड में पत्तियों फूलों फलियों पर चिपके रहते है उसका रस चूस कर पौधों को कमजोर कर देते हैं. जिससे उपज पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है. इस कीट का समय के अनुसार उचित प्रबंधन निम्न प्रकार करना चाहिए.

$कब और कैसे करें सरसों की बुआई$
गोरखपुर महायोगी गोरखनाथ कृषि विज्ञान केन्द्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक डा आरपी सिंह बताते है कि सरसों की बुवाई अक्टूबर के प्रथम पखवाड़े में करने से माहू कीट के प्रकोप से फसल को बचाया जा सकता है. उन्होंने कुछ बिन्दुवार सावधानी इस प्रकार बरतने को बताया कि खेत को खरपतवार से मुक्त रखें, फसलों को सघन न लगाएं, सघन लगाने पर कीटों का प्रकोप अधिक होता है. जिसके कारण उपज प्रभावित होती है साथ ही पौधे का विकास बढवार ढंग से नहीं हो पाता है. इसलिए किसान भाइयों को फसल की बुवाई एक सुनिश्चित दूरी पर करनी चाहिए.
Conclusion:
$सरसो की बुआई कैसे करें बुआई$
वरिष्ठ वैज्ञानिक डा आरपी सिंह ने बताया कि सरसों फसल के समय कृषक को ध्यान रखना चाहिए कि पौधों से पौधों की दूरी 8 से10 सेंटीमीटर होनी चाहिए अधिक बीज का प्रयोग बुवाई के लिए ना करें. 4 से 5 किलोग्राम बीज प्रति हेक्टेयर की दर से ही बुवाई हेतु प्रयोग करें. सरसो की बुवाई कतारों में करें तो अधिक लाभ होता है.

$माहू कीट के प्रकोप कैसे बचाएं फसल$

डा श्री सिंह ने माहू कीट से प्रभावित सरसो फसल के सुरक्षित करने के लिए सरल उपाय इस प्रकार करें.
माहू कीट से प्रभावित टहनियों को दिसंबर के अंत तक तोड़ते रहें जिससे कीट के प्रकोप को कम किया जाता सकता है. 50 से 60 सेंमी माहू कीट प्रति 10 सेंटीमीटर दिखाई दे तो इसके नियंत्रण हेतु पीले रंग का चिपकाने वाला ट्रैप प्रयोग करना चाहिए. किसान घर पर ही इस पीले रंग के ट्रक को आसानी से बना सकते हैं.

$देशी नुस्खा से बनाऐं माहू चिपकाने वाला ट्रैप$

प्लास्टिक अथवा टीन 1 फीट लंबा चौड़ा उस पर पीले रंग से पेंट कर दें तथा उस पर सफेद रंग लगाकर प्रयोग कर सकते हैं और अपने खेतों में 15 से 20 प्रति एकड़ की दर से किसान भाई 1 मीटर ऊंचाई तक लगाकर कीट का नियंत्रण कर सकते हैं.

$ऐसे करें प्रबंधन$
माहू कीट नियंत्रण के लिए जैविक उत्पादों जैसे नीम की खली 5℅ का घोल बनाकर छिड़काव अथवा नीम के तेल का 4% से 5% का घोल बनाकर छिड़काव करने से माहू कीटों को आसानी से नियंत्रित किया सकता हैं. रासायनिक दवाओं में इमिडाक्लोप्रिड की 1 मिलीलीटर प्रति 2 लीटर पानी दर से दो अथवा डाईमेथोएट 1 मिलीलीटर प्रति 2 लीटर पानी की दर घोल बनाकर के छिड़काव करने से माहू कीट प्रबंधन आसाहनी से किया जा सकता है.

बाइट डा आरपी सिंह (वरिष्ठ वैज्ञानिक)

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