गोरखपुर: जिले के मंडलीय कारागार से शारदीय नवरात्रि के समय सांप्रदायिक सौहार्द की अनूठी तस्वीर सामने आ रही है. जेल में बंद महिला और पुरुष मुस्लिम कैदी हिंदुओं के इस पवित्र त्यौहार को अपनाने में लगे हैं. नवरात्र के पहले दिन से ही जेल में पांच मुस्लिम कैदियों ने आदिशक्ति मां जगदंबा के लिए व्रत रखा है. साथ ही पहले दिन कुल 850 कैदी तो बाकी दिनों में करीब 100 कैदी निरंतर नवरात्रि के व्रत का पालन कर रहे हैं.
जेलर एके कुशवाहा ने बताया कि जेल में पहले भी व्रत अनुष्ठान रखने की परंपरा कैदियों के द्वारा निभाई जाती रही है. लेकिन, उसमें मुस्लिम कैदियों के द्वारा शारदीय नवरात्र या अन्य हिंदुओं के व्रत को रखने की परंपरा बहुत कम देखी गई है. ऐसा पहली बार देखने को मिल रहा है, जब पांच कैदी एक साथ नवरात्र का व्रत रख रहे हैं. जेल प्रबंधन भी उनके खाने-पीने से जुड़ी हुई सारी व्यवस्थाओं को पूरा करने में जुटा हुआ है.
बता दें कि गोरखपुर के मंडलीय कारागार में करीब 900 कैदियों को रखने की क्षमता है. लेकिन, मौजूदा समय में जेल बंदियों से ओवरलोड चल रही है. करीब 1800 कैदी इसमें इस समय बंद हैं, जिसमें महिलाओं की संख्या 180 के करीब है. वाराणसी, देवरिया, गाजीपुर और अन्य शहरों के भी कैदी यहां बंद हैं. इनके बीच जेल प्रशासन जो भी त्यौहार हो उसको आयोजित करता है. ईद, रोजा हो या फिर होली, दिवाली और नवरात्रि. ऐसे पर्व में जो भी कैदी व्रत रखते हैं, उनका जेल प्रशासन पूरा ख्याल रखता है.
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जेलर एके कुशवाहा ने कहा कि शारदीय नवरात्र के पहले दिन कुल 794 पुरुष, 56 महिला और पांच मुस्लिम बंदियों ने नवरात्र का व्रत रखा था. दूसरे दिन से यह संख्या करीब 100 की हो गई है. इस बीच ऐसे कैदियों के फलाहार और खान-पान का ध्यान जेल प्रशासन रख रहा है. गोरखपुर जेल में कैदियों के द्वारा इस तरह के कई अनुकरणीय कार्य किए जा रहे हैं. इन्हें कौशल विकास मिशन से भी जोड़कर हुनरमंद भी बनाया जा रहा है. आर्ट एंड क्राफ्ट से जुड़े कार्य हों या फिर टेराकोटा के उत्पाद, यह कैदी इसमें भी अपना हुनर दिखा रखें हैं. पिछले दिनों गोरखपुर दौरे पर आई प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने भी जेल का दौरा किया था. जब उन्हें एक बंदी ने अपने हाथों से बनाया हुआ उनका चित्र उपहार स्वरूप भेंट किया था. राज्यपाल उस चित्र को अपने साथ लेकर गई और कैदियों के कौशल की उन्होंने सराहना की. वह संदेश देकर गई की जेल के अंदर ऐसा माहौल तैयार करना चाहिए, जो कैदियों के विकास, अच्छी सोच और भाईचारे की भावना को पैदा करें.
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