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गोरखपुर: पांच पीढ़ियों से रावण के पुतले बना रहा यह मुस्लिम परिवार

यूपी के गोरखपुर के बेनीगंज ईदगाह मोहल्ले में रहने वाला मुस्लिम परिवार पिछले पांच पीढ़ियों से रावण का पुतला बनाते आ रहा है. पहले यह सभी फिल्मों के पोस्टर और वॉल पेंटिंग बनाया करते थे. अच्छी आमदनी न होने के बाद भी यह परिवार पूरे लगन से पुतले बनाता है.

मुस्लिम परिवार रावण का पुतला बनाते आ रहा.
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Published : Oct 10, 2019, 2:03 PM IST

गोरखपुर: दशहरे में बिना रावण के पुतले के कोई भी रामलीला पूरी नहीं होती है. गोरखपुर में एक ऐसा मुस्लिम परिवार है, जिनके बगैर श्रीराम की लीला अधूरी होती है. परिवार के सभी आठ सदस्य दशहरे के दो महीने पहले से रावण, मेघनाथ और कुंभकरण के पुतले को आकार देना शुरू कर देते हैं.

मुस्लिम परिवार बनाता है रावण का पुतला
बेनीगंज ईदगाह मोहल्ले में रहने वाला मुस्लिम परिवार पिछले पांच पीढ़ियों से गोरखपुर की ऐतिहासिक रामलीला में रावण, मेघनाथ आदि के पुतले बनाता आ रहा है. कुछ सालों पहले तक यह सभी फिल्मों के पोस्टर और वॉल पेंटिंग बनाया करते थे. तमाम व्यवस्थाओं के बीच यह परिवार अगस्त और सितंबर के महीने से रावण के पुतले के निर्माण में लग जाता है.

मुस्लिम परिवार रावण का पुतला बनाता है.

परिवार की परंपरा का करते आ रहे निर्वाह
गोरखपुर शहर में जहां कहीं भी रामलीला होती है, रावण दहन इसी परिवार के बनाए गए पुतलों से होता है. इन पुतलों से इतनी कमाई नहीं होती, लेकिन पीढ़ियों की परंपरा को निर्वाह करने के लिए यह परिवार पूरी लगन से जुटे रहते हैं.

इसे भी पढ़ें:- मथुरा का यह परिवार है खास, निभा रहा 200 पुरानी परंपरा

मुस्लिम कारीगरों ने कही ये बातें
आसिफ ने बताया कि पिछले कई पीढ़ियों से उनका परिवार अपनी कला का प्रदर्शन करता चला आ रहा है. पहले परिवार के सदस्य फिल्मों के पोस्टर, वॉल पेंटिंग आदि बनाया करते थे. शहर में तमाम जगह की रामलीला में रावण के पुत्रों का भी पुतला इन्हीं के परिवार के सदस्यों द्वारा बनाया जाता है. इसी परंपरा का निर्वाहन आज भी पूरी शिद्दत और लगन के साथ यह परिवार कर रहा है. अफजल बताते हैं कि कमाई तो नहीं होती, लेकिन परिवार की परंपरा का निर्वाहन अपनी कला के माध्यम से किया जाता है.

गोरखपुर: दशहरे में बिना रावण के पुतले के कोई भी रामलीला पूरी नहीं होती है. गोरखपुर में एक ऐसा मुस्लिम परिवार है, जिनके बगैर श्रीराम की लीला अधूरी होती है. परिवार के सभी आठ सदस्य दशहरे के दो महीने पहले से रावण, मेघनाथ और कुंभकरण के पुतले को आकार देना शुरू कर देते हैं.

मुस्लिम परिवार बनाता है रावण का पुतला
बेनीगंज ईदगाह मोहल्ले में रहने वाला मुस्लिम परिवार पिछले पांच पीढ़ियों से गोरखपुर की ऐतिहासिक रामलीला में रावण, मेघनाथ आदि के पुतले बनाता आ रहा है. कुछ सालों पहले तक यह सभी फिल्मों के पोस्टर और वॉल पेंटिंग बनाया करते थे. तमाम व्यवस्थाओं के बीच यह परिवार अगस्त और सितंबर के महीने से रावण के पुतले के निर्माण में लग जाता है.

मुस्लिम परिवार रावण का पुतला बनाता है.

परिवार की परंपरा का करते आ रहे निर्वाह
गोरखपुर शहर में जहां कहीं भी रामलीला होती है, रावण दहन इसी परिवार के बनाए गए पुतलों से होता है. इन पुतलों से इतनी कमाई नहीं होती, लेकिन पीढ़ियों की परंपरा को निर्वाह करने के लिए यह परिवार पूरी लगन से जुटे रहते हैं.

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मुस्लिम कारीगरों ने कही ये बातें
आसिफ ने बताया कि पिछले कई पीढ़ियों से उनका परिवार अपनी कला का प्रदर्शन करता चला आ रहा है. पहले परिवार के सदस्य फिल्मों के पोस्टर, वॉल पेंटिंग आदि बनाया करते थे. शहर में तमाम जगह की रामलीला में रावण के पुत्रों का भी पुतला इन्हीं के परिवार के सदस्यों द्वारा बनाया जाता है. इसी परंपरा का निर्वाहन आज भी पूरी शिद्दत और लगन के साथ यह परिवार कर रहा है. अफजल बताते हैं कि कमाई तो नहीं होती, लेकिन परिवार की परंपरा का निर्वाहन अपनी कला के माध्यम से किया जाता है.

Intro: गोरखपुर। भगवान श्री राम की लीला बिना रावण के अधूरी है और दशहरे में बिना रावण के पुतले के कोई भी रामलीला पूरी नहीं होती है। आज हम आपको गोरखपुर में एक ऐसे मुस्लिम परिवार से मिलाने जा रहे हैं। जिनके बगैर श्री राम की लीला अधूरी होती है। मुन्नू, आसिफ और अफजल सहित परिवार के सभी 8 सदस्य दशहरे के 2 महीने पहले से रावण मेघनाथ और कुंभकरण के पुतले को आकार देना शुरू कर देते हैं।


Body:गोरखपुर के बेनीगंज ईदगाह मोहल्ले में रहने वाला यह मुस्लिम परिवार पिछले 5 पीढ़ियों से गोरखपुर की ऐतिहासिक रामलीला में रावण, मेघनाथ आदि के पुतले बनाता आ रहा है। कुछ सालों पहले तक यह सभी फिल्मों के पोस्टर और वॉल पेंटिंग बनाया करते थे लेकिन जब इनकी कला की कदरदान नहीं रहे तो परिवार अपनी रोजी रोटी की जुगाड़ में लग गया। तमाम व्यवस्थाओं के बीच भी यह परिवार अगस्त और सितंबर का महीना पूरी तरह से रावण के पुतले के निर्माण में लगाते हैं।

गोरखपुर शहर में जहां कहीं भी रामलीला होती है, रावण दहन इसी परिवार के बनाए गए पुतलो से होता है। इन पुतलों से इतनी कमाई नहीं होती लेकिन पीढ़ियों की परंपरा को निर्वाह करने के लिए यह परिवार पूरी लगन और शिद्दत के साथ जुटे रहते हैं। इसी परिवार के बनाए गए पुतले से अधर्म पर धर्म की विजय होती है।


Conclusion:परिवार के सबसे बड़े सदस्य आसिफ बताते हैं कि पिछले कई पीढ़ियों से उनका परिवार अपनी कला का प्रदर्शन करता चला रहा है। पहले परिवार के सदस्य फिल्मों के पोस्टर वॉल पेंटिंग आदि बनाया करते थे, शहर में तमाम जगह की रामलीला में रावण के पुत्रों का भी निर्माण इन्हीं के परिवार के सदस्यों द्वारा किया जाता है। उसी परंपरा का निर्वाहन आज भी पूरी शिद्दत और लगन के साथ यह परिवार कर रहा है।

बाइट - आसिफ, कलाकार

वही आसिफ के छोटे भाई अफजल अपने पिता मुन्नू पेंटर के साथ पिछले 2 महीने के अथक प्रयास के बाद रावण, मेघनाथ के पुतलों को अंतिम रूप देने में लगे हुए हैं। शहर के तमाम क्षेत्रों में होने वाली रामलीला में रावण दहन के पुतले इन्हीं के बनाए होते हैं। अफजल बताते हैं कि कमाई तो नहीं होती लेकिन परिवार की परंपरा का निर्वाहन अपने कला के माध्यम से किया जाता है।

बाइट - कासिफ, कलाकार


पीटीसी




निखिलेश प्रताप
गोरखपुर
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