गोरखपुर: निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री, संजय निषाद की बुधवार रात गोरखपुर में मीडिया से बात करते समय जुबान फिसल गई. निकाय चुनाव में गोरखपुर से महापौर पद पर चुनाव लड़ रहीं समाजवादी पार्टी की प्रत्याशी व फिल्म अभिनेत्री काजल निषाद को लेकर मीडिया ने जब सवाल किया तो संजय निषाद ने कहा कि काजल निषाद निषाद समाज की नहीं हैं. उनकी मार्कशीट में निषाद शब्द का उल्लेख कहीं नहीं है. वाह गुजराती ब्राह्मण हैं. वह एक निषाद को फंसाने में कामयाब रही हैं. पूरे निषाद समाज को नहीं फंसा सकती. निषाद समाज किसी व्यक्ति के साथ नहीं, बल्कि समाज के उत्थान के लिए गठित निषाद पार्टी के साथ है.
स्थानीय निकाय चुनाव में गोरखपुर में भाजपा और निषाद पार्टी में काफी तकरार देखने को मिल रही है. इस बात को संजय निषाद ने भी कार्यकर्ताओं के साथ बैठक में झेला और मीडिया से बात करते हुए कहा कि पहले चरण के चुनाव में उनकी तबीयत खराब हो जाने से कुछ सीटों पर भाजपा से उनकी बातें नहीं हो पाईं. लेकिन, जो भी निषाद समाज के प्रत्याशी भाजपा प्रत्याशियों के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं, उनसे बातचीत हो गई है. वह भाजपा प्रत्याशियों को समर्थन देंगे. चुनाव के बाद निषाद पार्टी के ऐसे कार्यकर्ताओं जो चुनाव लड़ रहे हैं, उन्हें मनोनीत कराने से लेकर एडजेस्ट करने का कार्य किया जाएगा. इस मुद्दे पर भारतीय जनता पार्टी से बात हो चुकी है.
उन्होंने कहा कि दूसरे चरण के चुनाव में संत कबीर नगर, बस्ती, सोनभद्र, भदोही जैसे क्षेत्रों में निषाद पार्टी को बीजेपी ने पूरा सहयोग और सीटों के बंटवारे में साथ दिया है. इसलिए कहीं कोई मनमुटाव नहीं है. उन्होंने कहा कि निषाद पार्टी का समझौता लोकसभा, विधानसभा चुनाव के लिए है. इसलिए उसके भी कार्यकर्ता कन्फ्यूजन में निकाय चुनाव में मैदान में उतर गए, जिन्हें समझाया जा रहा है.
संजय निषाद ने कहा कि निषाद समाज और निषादराज गुह से लेकर तमाम मुद्दों पर भारतीय जनता पार्टी की केंद्र और प्रदेश की सरकार का साथ देने का कार्य किया है. उत्थान और मदद में सहयोगी बन रही है. ऐसे में निषाद पार्टी भारतीय जनता पार्टी के साथ पूरी तरह से खड़ी है. कहीं कोई बगावत नहीं है. उन्होंने कहा कि काजल निषाद हों या समाजवादी पार्टी. इस चुनाव में कहीं कोई भाजपा पार्टी के मुकाबले टिकने वाला नहीं है. भले जो भी आरोप यह लोग लगाएं. काजल निषाद के मुद्दे पर फिर उन्होंने दोहराया कि सपा की सरकार में ही उनके ऊपर हमला हुआ और उन्हें रोना पड़ा था. इसको वह भूल गई हैं. लेकिन, उन्होंने काजल पर जो टिप्पणी की वह एक अमर्यादित टिप्पणी लगी. जबकि, काजल निषाद उन्हें अपना ससुर तक बताते हुए घूम रही हैं. वह निषाद समाज की खुद को बहुरिया बता रही हैं.
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