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गोरखपुर में लगाई गई 'मोबाइल नक्षत्र शाला', 20 मिनट में ऐसे पता चलेंगे अंतरिक्ष के गुण - गोरखपुर रेंपस स्कूल में नक्षत्र कार्यशाला का आयोजन

यूपी के गोरखपुर में मोबाइल नक्षत्र शाला का आयोजन किया गया है. नक्षत्रों की जानकारी के लिए जिले के छात्र-छात्राएं बहुत ही उत्साहित हैं, जिसे जानने के लिए काफी छात्र वहां पहुंच रहे हैं.

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मोबाइल नक्षत्र शाला का आयोजन.
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Published : Feb 11, 2020, 10:02 AM IST

गोरखपुर: जिले के रेंपस स्कूल में वीर बहादुर सिंह नक्षत्र शाला की ओर से मोबाइल नक्षत्र शाला का आयोजन किया गया है. नक्षत्रों की दुनिया को जानने के लिए सैकड़ों छात्र-छात्रा मोबाइल नक्षत्र शाला के सामने लंबी कतार में देखे गए. नक्षत्र शाला के संचालक ने बताया कि अभी तक लगभग 500 से ज्यादा बच्चों ने सूर्य ग्रहण, ब्रह्मांड की जानकारी और अंतरिक्ष के रहस्यों के बारे में जानकारी प्राप्त कर चुके हैं.

मोबाइल नक्षत्र शाला का आयोजन.
प्रदेश में मात्र 2 मोबाइल नक्षत्र शाला है, जिसमें से एक उत्तर प्रदेश विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा गोरखपुर के दुर्गम इलाकों में स्कूली छात्र छात्राओं को जन जागरूक कर रहा है. इस सचल नक्षत्र शाला में एक साथ लगभग 25 बच्चे बैठ सकते हैं, जिसमें अंतरिक्ष का गुण रहस्य खगोल विज्ञान ग्रह नक्षत्र सेटेलाइट ग्रहण से संबंधित जानकारी दी जाती है. मुख्यतः इस नक्षत्र शाला में 3 शो चलाए जाते हैं.

इन 3 शो
से मिलती है जानकारी
पहला द वंडर ऑफ यूनिवर्स, जिसमें सौर मंडल, सूर्य की उत्पत्ति, ब्रह्मांड का निर्माण, मंगल ग्रह सहित अन्य जानकारी दी जाती है. दूसरा न्यू होराइजन, जिसमें ग्रह और उपग्रह के बारे में जानकारी दी जाती है. तीसरा टू स्मॉल पीसेज ऑफ ग्लास, जिसमें टेलीस्कोप की जर्नी से जुड़ी हुई पूरी जानकारी बच्चों को दी जाती है.


कैसा दिखता है नक्षत्र शाला

यह मोबाइल नक्षत्र शाला 5 मीटर के वर्गाकार गोले की तरह दिखता है, जो कहीं भी कम जगह पर लगाया जा सकता है. वहीं यह नक्षत्र शाला ज्वलन रोधी कपड़े से बना हुआ है, जिसमें ब्लोवर के माध्यम से अंदर हवा और ऑक्सीजन डाली जाती है.
छात्रों ने क्या सीखा
इस संबंध में नक्षत्र शाला में ग्रहों की जानकारी प्राप्त कर छात्रा अंजली मद्धेशिया ने बताया कि काफी अच्छा लगा हमें अपने सौरमंडल के बारे में वह जानकारियां प्राप्त हुई, जिन्हें हम शायद ही कभी जान पाते. इस मोबाइल नक्षत्र शाला के माध्यम से हमारी कई जिज्ञासा शांत हुई और हमें बहुत सी नई जानकारी प्राप्त हुई हैं.

कोऑपरेटर ने दी जानकारी
वहीं इस मोबाइल सचिन नक्षत्र शाला के कोऑपरेटर कृष्ण कुमार तिवारी ने बताया कि इस नक्षत्र शाला का मुख्य उद्देश्य है कि ग्रामीण व सुदूर क्षेत्रों में जहां पर तारामंडल नहीं है, वहां के छात्र-छात्राओं व आमजनों को अपने सौरमंडल मंगल ग्रह ब्रह्मांड के निर्माण ग्रह और उपग्रह सहित अन्य जानकारी दे सकें. इसे कहीं भी ले जाया जा सकता है.

उन्होंने बताया कि इसे कम जगह पर स्थापित कर हम एक बार में 25 छात्र-छात्राओं को इसके माध्यम से सौरमंडल से परिचय करा सकते हैं. इसका निर्माण कपड़े से हुआ है और इसके अंदर बैठे लोगों को हवा और ऑक्सीजन पर्याप्त मात्रा में दी जाती है. इसके तहत दिखाए जाने वाले कार्यक्रम 20 मिनट के होते हैं. 20 मिनट के अंदर ही छात्र-छात्राएं जानकारी प्राप्त कर लेते हैं.

इसे भी पढ़ें:- वेदों को जितना पढ़ने का हक पुरुष को उतना ही महिलाओं को: योगी आदित्यनाथ

गोरखपुर: जिले के रेंपस स्कूल में वीर बहादुर सिंह नक्षत्र शाला की ओर से मोबाइल नक्षत्र शाला का आयोजन किया गया है. नक्षत्रों की दुनिया को जानने के लिए सैकड़ों छात्र-छात्रा मोबाइल नक्षत्र शाला के सामने लंबी कतार में देखे गए. नक्षत्र शाला के संचालक ने बताया कि अभी तक लगभग 500 से ज्यादा बच्चों ने सूर्य ग्रहण, ब्रह्मांड की जानकारी और अंतरिक्ष के रहस्यों के बारे में जानकारी प्राप्त कर चुके हैं.

मोबाइल नक्षत्र शाला का आयोजन.
प्रदेश में मात्र 2 मोबाइल नक्षत्र शाला है, जिसमें से एक उत्तर प्रदेश विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा गोरखपुर के दुर्गम इलाकों में स्कूली छात्र छात्राओं को जन जागरूक कर रहा है. इस सचल नक्षत्र शाला में एक साथ लगभग 25 बच्चे बैठ सकते हैं, जिसमें अंतरिक्ष का गुण रहस्य खगोल विज्ञान ग्रह नक्षत्र सेटेलाइट ग्रहण से संबंधित जानकारी दी जाती है. मुख्यतः इस नक्षत्र शाला में 3 शो चलाए जाते हैं.

इन 3 शो
से मिलती है जानकारी
पहला द वंडर ऑफ यूनिवर्स, जिसमें सौर मंडल, सूर्य की उत्पत्ति, ब्रह्मांड का निर्माण, मंगल ग्रह सहित अन्य जानकारी दी जाती है. दूसरा न्यू होराइजन, जिसमें ग्रह और उपग्रह के बारे में जानकारी दी जाती है. तीसरा टू स्मॉल पीसेज ऑफ ग्लास, जिसमें टेलीस्कोप की जर्नी से जुड़ी हुई पूरी जानकारी बच्चों को दी जाती है.


कैसा दिखता है नक्षत्र शाला

यह मोबाइल नक्षत्र शाला 5 मीटर के वर्गाकार गोले की तरह दिखता है, जो कहीं भी कम जगह पर लगाया जा सकता है. वहीं यह नक्षत्र शाला ज्वलन रोधी कपड़े से बना हुआ है, जिसमें ब्लोवर के माध्यम से अंदर हवा और ऑक्सीजन डाली जाती है.
छात्रों ने क्या सीखा
इस संबंध में नक्षत्र शाला में ग्रहों की जानकारी प्राप्त कर छात्रा अंजली मद्धेशिया ने बताया कि काफी अच्छा लगा हमें अपने सौरमंडल के बारे में वह जानकारियां प्राप्त हुई, जिन्हें हम शायद ही कभी जान पाते. इस मोबाइल नक्षत्र शाला के माध्यम से हमारी कई जिज्ञासा शांत हुई और हमें बहुत सी नई जानकारी प्राप्त हुई हैं.

कोऑपरेटर ने दी जानकारी
वहीं इस मोबाइल सचिन नक्षत्र शाला के कोऑपरेटर कृष्ण कुमार तिवारी ने बताया कि इस नक्षत्र शाला का मुख्य उद्देश्य है कि ग्रामीण व सुदूर क्षेत्रों में जहां पर तारामंडल नहीं है, वहां के छात्र-छात्राओं व आमजनों को अपने सौरमंडल मंगल ग्रह ब्रह्मांड के निर्माण ग्रह और उपग्रह सहित अन्य जानकारी दे सकें. इसे कहीं भी ले जाया जा सकता है.

उन्होंने बताया कि इसे कम जगह पर स्थापित कर हम एक बार में 25 छात्र-छात्राओं को इसके माध्यम से सौरमंडल से परिचय करा सकते हैं. इसका निर्माण कपड़े से हुआ है और इसके अंदर बैठे लोगों को हवा और ऑक्सीजन पर्याप्त मात्रा में दी जाती है. इसके तहत दिखाए जाने वाले कार्यक्रम 20 मिनट के होते हैं. 20 मिनट के अंदर ही छात्र-छात्राएं जानकारी प्राप्त कर लेते हैं.

इसे भी पढ़ें:- वेदों को जितना पढ़ने का हक पुरुष को उतना ही महिलाओं को: योगी आदित्यनाथ

Intro:गोरखपुर। रेंपस स्कूल में वीर बहादुर सिंह नक्षत्र शाला की ओर से मोबाइल नक्षत्र शाला का इंतजाम किया गया है। नक्षत्रों की दुनिया को लेकर सैकड़ों छात्र-छात्राओं की जिज्ञासाओं को शांत करने के लिए मोबाइल नक्षत्र शाला के सामने लंबी कतार देखी गई। नक्षत्र शाला के संचालक ने बताया कि अभी तक लगभग 500 से ज्यादा बच्चों ने सूर्य ग्रहण ब्रह्मांड की जानकारी अंतरिक्ष के रहस्य के बारे में सचित्र साला से जानकारी प्राप्त की है। बता दें कि प्रदेश में मात्र 2 मोबाइल सचल नक्षत्र शाला है। जिसमें से एक उत्तर प्रदेश विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा गोरखपुर के दुर्गम इलाकों में स्कूली छात्र छात्राओं को जन जागरूक कर रहा है।


Body:इस सचिन नक्षत्र शाला में एक साथ लगभग 25 बच्चे बैठ सकते हैं जिसमें अंतरिक्ष का गुण रहस्य खगोल विज्ञान ग्रह नक्षत्र सेटेलाइट ग्रहण से संबंधित जानकारी दी जाती है मुख्यतः इस सचिन नक्षत्र शाला में 3 शो चलाए जाते हैं।

पहला द वंडर ऑफ यूनिवर्स- जिसमें सौर मंडल, सूर्य की उत्पत्ति, ब्रह्मांड का निर्माण, मंगल ग्रह सहित अन्य जानकारी दी जाती है।

दूसरा न्यू होराइजन- जिसमें ग्रह और उपग्रह के बारे में जानकारी दी जाती है।

तीसरा टू स्मॉल पीसेज आफ ग्लास- जिसमें टेलीस्कोप की जर्नी से जुड़ी हुई पूरी जानकारी बच्चों को दी जाती है।

यह मोबाइल सचल नक्षत्र शाला 5 मीटर के वर्गाकार गोले की तरह दिखता है। जो कहीं भी 20 बाय 20 के स्थान पर लगाया जा सकता है। वहीं यह सचित्र साला ज्वलन रोधी कपड़े से बना हुआ है। जिसमें ब्लोवर के माध्यम से अंदर हवा और ऑक्सीजन डाली जाती है।




Conclusion:इस संबंध में नक्षत्र शाला में ग्रहों की जानकारी प्राप्त कर छात्रा अंजली मद्धेशिया ने बताया कि काफी अच्छा लगा हमें अपने सौरमंडल के बारे में वह जानकारियां प्राप्त हुई। जिन्हें हम शायद ही कभी जान पाते इस मोबाइल नक्षत्र शाला के माध्यम से हमारी कई जिज्ञासा शांत हुई और हमें बहुत सी नई जानकारी प्राप्त हुई है।

वाइट अंजलि छात्रा

वही इस मोबाइल सचिन नक्षत्र शाला के को ऑपरेटर कृष्ण कुमार तिवारी ने बताया कि इस नक्षत्र शाला का मुख्य उद्देश्य है कि ग्रामीण व सुदूर क्षेत्रों में जहां पर तारामंडल नहीं है। वहां के छात्र-छात्राओं व आम जनों को अपने सौरमंडल मंगल ग्रह ब्रह्मांड के निर्माण ग्रह और उपग्रह सहित अन्य अनछुई जानकारी दे सकें। इसे कहीं भी ले जाया जा सकता है, केवल 20 बाय 20 के जगह पर स्थापित कर हम एक बार में 25 छात्र छात्राओं को इसके माध्यम से सौर मंडलों से परिचय करा सकते हैं। इसका निर्माण कपड़े से हुआ है और इसके अंदर बैठे लोगों को हवा और ऑक्सीजन पर्याप्त मात्रा में दी जाती है। इसके तहत दिखाए जाने वाले कार्यक्रम 20 मिनट के होते हैं और 20 मिनट के अंदर ही छात्र-छात्राएं जानकारी प्राप्त कर लेते हैं।

वाइट कृष्ण कुमार तिवारी को ऑपरेटर मोबाइल सचल नक्षत्र शाला



निखिलेश प्रताप
गोरखपुर
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