गोरखपुर : मंडल के सभी जिलों के अस्पतालों में ऑक्सीजन की मांग, आपूर्ति, और उपलब्धता का ऑडिट मदन मोहन मालवीय प्रौद्यौगिकी विश्वविद्यालय करेगा. शासन से निर्देश मिलने के बाद एमएमएमयूटी प्रशासन हरकत में आ गया है. इस ऑडिट के लिए तकनीकी विशिष्टियां तैयार करने को एक समिति गठित की गई है. इस समिति में कंप्यूटर साइंस एवं इंजीनियरिंग विभाग के अध्यक्ष प्रो. पी.के सिंह, सूचना प्रौद्योगिकी विभाग के अध्यक्ष प्रो. एस.पी सिंह, अधिष्ठाता नियोजन प्रो. गोविंद पांडेय, सह अधिष्ठाता डिजिटल अवसंरचना डॉ. एल विट्ठल गोले शामिल हैं.
कुलपति प्रो. जेपी पांडेय की अध्यक्षता में हुई ऑनलाइन बैठक
इस समिति की एक ऑनलाइन बैठक कुलपति प्रो. जेपी पांडेय की अध्यक्षता में हुई. इसमें विश्वविद्यालय द्वारा विकसित एप्लीकेशन और सॉफ्टवेयर आदि के तकनीकी पक्षों पर चर्चा हुई. बैठक के दौरान निर्णय हुआ कि विश्वविद्यालय चिकित्साधिकारी डॉ. ए.के पांडेय अस्पतालों से समन्वय स्थापित करने हेतु विश्वविद्यालय के नोडल अधिकारी के रूप में कार्य करेंगे. विश्वविद्यालय इस ऐप को विकसित करने के लिए आईआईटी कानपुर और आईआईएम लखनऊ के विशेषज्ञों के भी संपर्क में है. विश्वविद्यालय की योजना है कि ऑक्सीजन ऑडिट कराए जाने के लिए अस्पताल स्तर पर नियुक्त किए जाने वाले नोडल अधिकारियों से भी ऐप के संबंध में विचार विमर्श किया जाएगा ताकि इस ऐप को ज्यादा से ज्यादा उपयोगी और इस्तेमाल में आसान बनाया जा सके.
ऑक्सीजन आडिट के लिए हुई बैठक में हुए महत्वपूर्ण निर्णय
एमएमएमयूटी द्वारा किए जाने वाले ऑक्सीजन ऑडिट में गोरखपुर मंडल के अंतर्गत आने वाले जिलों के अस्पताल शामिल होंगे. ऐप में सूचना अपलोड करने और अपडेट करने के लिए सभी अस्पतालों को यूजर आईडी और पासवर्ड दिया जाएगा. इस यूजर आईडी और पासवर्ड के माध्यम से अस्पताल स्तर पर नियुक्त नोडल अधिकारी निश्चित अंतराल पर ऑक्सीजन की मांग और पूर्ति संबधी विवरण अपलोड करेंगे.
अस्पतालों द्वारा अपलोड किए गए डाटा का एमएमएमयूटी के विशेषज्ञों द्वारा विश्लेषण किया जाएगा. इन आंकड़ों के विश्लेषण से यह लाभ होगा कि अस्पतालों में सही समय पर सही मात्रा में ऑक्सीजन की उपलब्धता सुनिश्चित की जा सकेगी. साथ ही, ऑक्सीजन के इस्तेमाल में पारदर्शिता आएगी. कोई भी व्यक्ति या संस्थान ऑक्सीजन का दुरुपयोग नहीं कर पाएगा. इसका यह भी लाभ होगा कि किसी अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी के कारण जो इमरजेंसी स्थिति पैदा हो जाती है, उससे बचा जा सकेगा.
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ऐप का प्रयोग ऑक्सीजन ऑडिट के लिए हो सकेगा
विश्वविद्यालय फिलहाल इस ऐप का प्रयोग ऑक्सीजन ऑडिट के लिए करेगा. बाद में इसे जिला प्रशासन/स्वास्थ्य विभाग को इस्तेमाल के लिए सौंप देगा. इस ऐप को डेडिकेटेड कोविड अस्पताल, नॉन कोविड अस्पताल या दोनों तरह का इलाज कर रहे अस्पताल भी प्रयोग कर सकेंगे. ऐप में अस्पतालों को लो फ्लो ऑक्सीजन, हाई फ्लो नॉन इनवेसिव ऑक्सीजन, इनवेसिव मैकेनिकल वेंटिलेशन सहित अन्य सभी तरह के ऑक्सीजन का विवरण देना पड़ेगा.
अस्पतालों को 36 घंटे की अधिकतम ऑक्सीजन की आवश्यकता को पोर्टल पर दर्ज करना होगा
बैठक में यह भी निर्णय हुआ कि अस्पतालों को ऐसे बेड जिन पर ऑक्सीजन इस्तेमाल किया जा रहा है, उनकी संख्या, प्रत्येक तरह के ऑक्सीजन की बेड सहित अधिकतम संभावित आवश्यकता (लीटर प्रति मिनट), कुल आवश्यकता और अगले 36 घंटों के लिए अधिकतम् संभावित आवश्यकता का विवरण पोर्टल पर दर्ज करना होगा.
इसी प्रकार अगले एक-दो दिनों के भीतर इस ऐप की आरंभिक रूपरेखा तैयार कर कुछ अस्पतालों का ऑडिट शुरू करने की योजना है. उसके बाद धीरे-धीरे ऐप में जरूरत के हिसाब से परिवर्तन किए जाएंगे. कुलपति प्रोफेसर जेपी पांडेय ने कहा कि अतिशीघ्र इस पर कार्य शुरू होगा. शासन की मंशा के अनुरूप कार्य होगा.