गोरखपुर: निर्माणाधीन खाद कारखाने का लोकार्पण पीएम मोदी जुलाई में करेंगे. इसके पहले केंद्रीय रसायन और उर्वरक मंत्री सदानंद गौड़ा और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इसका निरीक्षण करने चार मार्च को आ रहे हैं. इसकी जानकारी खाद कारखाने का निरीक्षण करने पहुंचे हिंदुस्तान उर्वरक रसायन लिमिटेड के चेयरमैन श्रीकांत माधव वैद्य ने दी.
उन्होंने इस दौरान पानी शुद्ध करने के प्लांट और पैकिंग प्लांट के काम में तेजी लाने के निर्देश दिए. उन्होंने अधिकारियों को निर्देशित किया कि जुलाई से पहले सभी कार्य हरहाल में पूरे हो जाने चाहिए. चेयरमैन के साथ एचयूआरएल के वाइस चेयरमैन और नेशनल थर्मल पावर कारपोरेशन के डायरेक्टर यूके भट्टाचार्य और एचयूआरएल के डायरेक्टर एके गुप्ता भी मौजूद रहे.
चेयरमैन श्रीकांत माधव वैद्य ने किया खाद कारखाने का निरीक्षण
चेयरमैन ने इस दौरान परिसर का घंटे भर से ज्यादा भ्रमण किया. इस दौरान दक्षिण कोरिया की तकनीक पर बने रबर डैम का भी निरीक्षण किया. उन्होंने दुनिया की सबसे ऊंची प्रीलिंग टावर, जिसकी ऊंचाई 149.6 मीटर है को भी देखा. साथ ही मशीनों के फाउंडेशन को भी देखा. उन्होंने यहां के निर्माण कार्य में देरी के पीछे कोरोना की महामारी और लॉकडाउन को मुख्य वजह बताया. यही वजह थी कि बाकी प्रगति के लिए चेयरमैन ने मशीन, रेलवे ट्रैक, गैस पाइपलाइन सहित विभिन्न विभागों से जुड़े अफसरों के साथ बैठक भी की. उन्होंने कहा कि कोरोना के प्रोटोकॉल का पूरी तरह से पालन किया जाना जरूरी है. परिसर में साफ-सफाई की व्यवस्था पूरी तरह सुनिश्चित करनी है. सुरक्षा के सभी मानकों को पूरा करने के साथ सभी कर्मचारियों को कोरोना का टीका लगवाने का प्रयास भी किया जाए.
पढ़ें: जल्द शुरू होगा गोरखपुर का शहीद अशफाक उल्ला खां प्राणि उद्यान
साढ़े छह हजार करोड़ की लागत से बन रहा यह प्लांट
उन्होंने बताया कि करीब 32 वर्षों से बंद पड़े गोरखपुर के खाद कारखाने के स्थान पर नई टेक्नोलॉजी से युक्त यह नया खाद कारखाना नए स्वरूप में बनकर तैयार हो रहा है. यह कई मायनों में खास होगा. यह गैस आधारित प्लांट होगा. खाद निर्माण के लिए पानी के उपयोग के लिए यह प्लांट के महेसरा ताल के पानी का उपयोग करेगा. करीब साढ़े छह हजार करोड़ की लागत से यह प्लांट बनाया जा रहा है. इसका शिलान्यास भी पीएम मोदी के हाथों हुआ था और अब लोकार्पण भी उन्हीं के हाथों होगा. यह प्लांट जहां किसानों को खाद की उपलब्धता कराएगा, वहीं तकनीकी और अकुशल लोगों को अप्रत्यक्ष और प्रत्यक्ष रूप से हजारों की संख्या में रोजगार भी उपलब्ध कराएगा. यह बंद खाद कारखाना तीन दशकों तक राजनीति का भी बड़ा केंद्र रहा, लेकिन अब लोकार्पण के साथ नए राजनीतिक माहौल को जन्म भी देगा.