गोरखपुरः निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और योगी सरकार में मत्स्य विकास मंत्री डॉक्टर संजय निषाद (Dr. Sanjay Nishad) अपनी ही निषाद बिरादरी के निशाने पर आ गए हैं. उन्होंने अपनी ही जाति पर चुनावी दौर में पौव्वा और पाउच पर बिक जाने का बयान दिया था. इसके बाद निषाद समाज के लोगों ने मंत्री संजय निषाद के इस बयान पर आपत्ति जताते हुए माफी मांगने की मांग की है.
गोरखपुर में समाजवादी पार्टी के पूर्व जिला अध्यक्ष व अधिवक्ता नगीना प्रसाद साहनी ने डॉ. संजय निषाद के इस बयान को निषाद बिरादरी को अपमानित करने वाला बताया है. उन्होंने कहा कि जिस निषाद जाति के बल पर संजय निषाद और उनके पूरे परिवार को राजनीतिक पहचान और ताकत मिली है. उस बिरादरी को डॉ. निषाद अपने ऐसे बयान के माध्यम से अपमानित कर रहे हैं, न कि सम्मानित. उनके इस बयान पर यही कहा जा सकता है कि डॉ. निषाद जिस थाली में खाते हैं, उसी में छेद कर रहे हैं.
नगीना ने कहा कि गोरखपुर क्षेत्र के निषाद समाज के लोगों ने अगर पौव्वा और पाउच पर बिक कर चुनाव में अपना मतदान किया होता. तो यहां से लालचंद निषाद, राम भुवाल निषाद, जयप्रकाश निषाद, राजमती निषाद, जमुना निषाद और यहां तक की डॉक्टर संजय निषाद के पुत्र प्रवीण निषाद सांसद और दूसरे बेटे सरवन निषाद विधायक नहीं चुने गए होते. सपा नेता नगीना सहानी ने कहा कि डॉ. निषाद अपने बयानों पर रोक लगाएं. बिरादरी को अपमानित करना बंद करें, नहीं तो निषाद समाज उनके खिलाफ उठ खड़ा होगा और उनके खिलाफ वाद भी दाखिल किया जा सकता है.
सामाजिक कार्यकर्ता और निषाद विकास मंच के सदस्य चंदन निषाद ने भी डॉक्टर संजय निषाद को उनके बयान को लेकर घेरा है. चंदन ने कहा है कि डॉ. निषाद जिस तरह का कृत्य करते हुए आगे बढ़े हैं, वैसा ही वह दूसरों को भी समझ रहे हैं. निषाद समाज शुरू से जगा हुआ था. उसने अपने समाज के लोगों को हमेशा राजनीतिक ताकत दिया. डॉक्टर निषाद उसका दुरुपयोग कर रहे हैं. उन्होंने भगवान राम को भी नहीं छोड़ा है और उन्हें भी अपमानित करने वाला बयान दिया था. उनकी सलाह है कि डॉक्टर निषाद अपने ऐसे बयानों पर रोक लगाएं और निषाद समाज को अपमानित न करें.
गौरतलब है कि संजय निषाद ने कहा था कि निषाद जाति के लोग चुनाव के दौरान विभिन्न राजनीतिक दलों के प्रलोभन में आ जाते थे. वह अपना वोट पैसा, पौउवा, पाउच यानी कि शराब पर दे देते थे. जबकि उन्हें कोई अधिकार और पहचान भी नहीं मिलता था. उन्होंने कहा थी कि वह निषाद पार्टी बनाने के साथ निषादों को संवैधानिक अधिकार मिले इसकी लड़ाई लड़ रहे हैं. उन पर लगे पौव्वा और पाउच के लेवल से उन्हें बाहर निकाल रहे हैं.
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