गोरखपुरः जिले में 19 जनवरी को हुई मेडिकल संचालक की हत्या जमीनी विवाद के कारण की गई थी. शूटरों की मदद से वारदात को अंजाम दिया गया था. पुलिस ने मामले का खुलासा करते हुए आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है.
19 को वारदात
क्षेत्र में 19 तारीख को खोराबार थाना क्षेत्र के बल्ली चौराहे के पास मेडिकल स्टोर संचालक रामाश्रय मौर्या की 5 गोली मारकर हत्या की गई थी. इस सनसनीखेज हत्याकांड के खुलासे के लिए पुलिस के साथ-साथ क्राइम ब्रांच और एसओजी टीम को भी लगाया गया था. घटना के मुख्य साजिशकर्ता अभिषेक मिश्रा ने दो शूटरों को 3 लाख रुपये की सुपारी देकर मेडिकल स्टोर संचालक की हत्या करवाई थी. उसने 2 लाख रुपये चेक के माध्यम से दिए थे. इसमें पुलिस ने एक शूटर मोहम्मद अशरफ उर्फ गोलू पुत्र अमानुल्लाह निवासी चक्सा हुसैन हुसैनाबाद थाना गोरखनाथ को गिरफ्तार किया. वहीं, दूसरा शूटर अभी फरार है. पुलिस ने नामजद अभियुक्तों सहित कुल 10 आरोपियों को गिरफ्तार किया है. साथ ही घटना में इस्तेमाल एक बुलेट मोटरसाइकिल और एक पिस्टल 32 बोर के साथ ही 3 जिंदा कारतूस 32 बोर बरामद किया है.
ये बोले एसएसपी
मामले में शनिवार को एसएसपी ने बताया कि जमीनी विवाद में मेडिकल स्टोर संचालक की हत्या शूटरों की मदद से करवाई गई थी. गिरफ्तार अभियुक्त अभिषेक मिश्रा ने पूछताछ में अपना जुर्म कबूल करते हुए बताया कि परिजात एसोसिएट ने दूसरे पक्षों से जमीन खरीदी थी लेकिन अभी परिजात एसोसिएट और जमीन संबंधी अन्य सभी लोगों ने जमीन पर कब्जा नहीं पाया था. रामाश्रय मौर्या को जल्द से जल्द रास्ते से हटाने का दबाव मेरे ऊपर था. मैंने विगत 19 तारीख को शूटर गोलू उर्फ अशरफ और उसके एक साथी को 3 लाख रुपये की सुपारी देकर रामाश्रय मौर्या की हत्या करवाई थी. घटना में इस्तेमाल बुलेट मैंने ही शूटरों को दी थी. शूटरों को मैंने 2 लाख रुपये पहले ही दे दिया था और काम होने के बाद 1 लाख और देना था. पुलिस ने घटना के नामजद चार आरोपियों सहित कुल 10 लोगों को गिरफ्तार किया है. घटना में इस्तेमाल बुलेट मोटरसाइकिल और एक पिस्टल 32 बोर तीन जिंदा कारतूस बरामद किया घटना का अनावरण करते हुए गोरखपुर के डीआईजी/एसएससी जोगेंद्र कुमार ने कहा कि इस घटना को ध्यान में रखते हुए अभी अन्य आरोपियों की तलाश की जा रही है. आरोपी ने मृतक के दुकान और उसके घर जाने की पूरी रेकी करते हुए शूटरों की मदद की थी. विगत 7 तारीख को इसी विवाद में न्यायालय में तारीख थी. उसी दिन घटना को अंजाम देने की योजना बनाई थी लेकिन उस दिन घटना को अंजाम नहीं दे पाए. इसके बाद 11 तारीख को इस घटना को अंजाम दिया गया.