गोरखपुर : सीएम योगी के शहर को साफ सुथरा बनाने में जुटा नगर निगम राप्ती नदी में गिरने वाले अपने नालों के गंदे पानी को रोकने में सफल नहीं हो पा रहा है. इस वजह से राप्ती नदी प्रदूषित हो रही है. खुद नगर निगम का अनुमान है कि पांच नालों के जरिये करीब 15 करोड़ लीटर गंदा पानी राप्ती नदी में गिरता है. एनजीटी की डांट फटकार के बाद राप्ती की शुद्धता को लेकर, नगर निगम, जल निगम ने एक साथ मिलकर प्रोजेक्ट शुरू किया. इसके बाद यह उम्मीद की जा रही है कि आगामी एक से डेढ़ वर्ष में इन गंदे नालों को नदी में गिरने से रोका जा सकेगा.
नगर आयुक्त गौरव सिंह सोगरवाल के अनुसार, राप्ती नदी में गिरने वाले शहर के चार नालों के गंदा पानी को MBR (मेंब्रेन बायोरिएक्टर) तकनीक के जरिये स्वच्छ किया जाएगा. उनका दावा है कि इस तकनीक से पानी इतना स्वच्छ हो जाएगा कि लोग इसे बिना हिचक पी सकेंगे. इसका डीपीआर तैयार हो गया है. उम्मीद है बहुत जल्द इस प्रोजेक्ट को स्वीकृति मिल जाएगी.
गोरखपुर के चार बड़े नालों का पानी नदी में सीधे गिरता है. वह तकिया घाट के पास में जाकर आपस में मिलते हैं. बता दें राप्ती नदी में गंदा पानी गिराने से नाराज एनजीटी नगर निगम पर जुर्माना भी लगा चुका है. यही वजह है कि गंदे पानी को साफ कर नदी में पहुंचाने की तैयारी की जा रही है. राप्ती नदी में गिरने वाले डोमिनगढ़, इलाहीबाग, कटनिया और रोहित नदी में गिरने वाले बसियाडीह और बरगदवा नालों में पानी को साफ किया जा रहा है.
बता दें कि तकिया घाट पर आने वाले 4 नालों का पानी साफ करने के लिए शासन ने नेशनल एनवायरमेंटल इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट (नीरी) से करार किया था. साफ-सफाई पर 6 करोड़ रुपये खर्च होने थे. नीरी की टीम तकिया घाट पर बड़ा गड्ढा भी खुदवाया था, जिस में गंदा पानी इकट्ठा करना था. इसी गड्ढे में जलीय पौधे और कंकड़ डालकर पानी को साफ करने की प्लानिंग थी. हालांकि अचानक नीरी की टीम इस प्रोजेक्ट को छोड़कर चली गई और तकिया नाले के पानी की सफाई की योजना भी अधूरी रह गई.
नगर आयुक्त गौरव सिंह सोगरवाल ने बताया कि अब एमबीआर विधि से पानी को साफ किया जाएगा. गंदे पानी को एमबीआर तकनीक से बनाई गई टंकी से गुजारा जाएगा. टंकियों में लगी झिल्लियां पानी को साफ करेंगी. पानी को साफ करने के लिए जगह-जगह पंप लगाया जाएंगे. हानिकारक तत्वों को खत्म करने के लिए बैक्टीरिया और प्रोटोजोआ का भी इस्तेमाल किया जाएगा. टंकी में कई माइक्रो फिल्ट्रेशन और अल्ट्राफिल्ट्रेशन उपकरण लगे होते हैं. जिस तरह आर-ओ मशीन में पानी को साफ किया जाता है, उसी प्रक्रिया के नाले के गंदे पानी को भी साफ किया जाएगा.
नगर आयुक्त गौरव सिंह सोगरवाल ने कहा है कि जल निगम के साथ राप्ती नदी के पानी को प्रदूषण मुक्त बनाने के प्रोजेक्ट पर काम चल रहा है. इसके लिए वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट बनाए जाने का स्थान भी फाइनल कर लिया गया है. उम्मीद की जा रही है कि प्रोजेक्ट को धरातल पर उतारने में एक से डेढ़ वर्ष का समय लगेगा. वर्तमान में प्रतिदिन शहर के 5 नालों से गिरने वाले 52 करोड़ 55 लाख लीटर पानी को साफ किया जा रहा है, ताकि राप्ती नदी के प्रदूषण को कम किया जा सके.
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