गोरखपुरः जिले के मलमलिया क्षेत्र में स्थापित होने जा रहे हो प्रदेश के पहले आयुष विश्वविद्यालय के निर्माण में पेंच फंस गया है. जिला प्रशासन ने जिस जमीन को चयनित कर शासन को यहां आयुष विश्वविद्यालय की स्थापना का प्रस्ताव भेजा था. उस जमीन पर स्थानीय काश्तकारों ने सीलिंग के मामले को लेकर न्यायालय में वाद दाखिल कर दिया है. जिसके बाद यहां विश्वविद्यालय का अब शिलान्यास होना कठिन हो गया है.
विवि के लिए कैबिनेट ने भी लगा दी थी मोहर
वहीं प्रदेश की योगी सरकार इस जमीन की उपलब्धता के आधार पर बहुत जल्द यहां महायोगी गुरु गोरखनाथ के नाम पर विश्वविद्यालय की आधारशिला भी रखने वाली थी. इसके लिए योगी कैबिनेट ने तय बजट पर मोहर भी लगा दी थी. यह प्रदेश का पहला राज्य आयुष विश्वविद्यालय होता जिससे प्रदेश के अन्य आयुष चिकित्सालय संबंध होते.
स्थानीय लोगों ने वाद किया दाखिल
योगी सरकार ने गोरखपुर में वर्ष 2020 में आयुष विश्वविद्यालय खोलने का फैसला किया था. जिसके बाद गोरखपुर के चौरीचौरा तहसील के मलमलिया ग्राम सभा के पास करीब 24.29 हेक्टेयर यानी 60 एकड़ जमीन आयुष विश्वविद्यालय के नाम कर दी गई थी. जिला प्रशासन कोरोना संक्रमण के कारण 23 मार्च से लॉकडाउन और कोरोना वायरस से निपटने की तैयारियों में व्यस्त हो गया. इस दौरान हाईकोर्ट खुलने पर जमीन पर दावा करने वाले स्थानीय लोगों ने सीलिंग के मामले को लेकर वाद दाखिल कर दिया.
अब प्रशासन ने बांसस्थान में जमीन की चिह्नित
अब जब मामला न्यायालय में पहुंचे चुका है. सुनवाई और परिणाम आने में कितना समय लगेगा उसकी कोई गारंटी नहीं है. ऐसे में प्रशासन को इसकी जानकारी काफी देर से लगी है. ऐसे में जिला प्रशासन, सदर तहसील क्षेत्र के जंगल डुमरी नंबर-2 के पास बांसस्थान में करीब 161 एकड़ जमीन चिह्नित करने में जुटा है, जो उसकी नजर में पाक साफ है. इस जमीन पर ही प्रशासन विश्वविद्यालय बनाए जाने का प्रस्ताव शासन को भेजेगा.
शासन को जल्द भेजा जाएगा प्रस्ताव
इस मामले में जिलाधिकारी के. विजेंद्र पांडियन ने कहा है कि आयुष विश्वविद्यालय का लोकेशन अब मलमलिया से शिफ्ट की जाएगी. इस जमीन का मामला हाईकोर्ट में लंबित हो गया है. उन्होंने कहा कि सदर तहसील क्षेत्र की बांसस्थान की जमीन को विश्वविद्यालय के रूप में दिया जा रहा है. जिला प्रशासन के प्रस्ताव पर शासन से मंजूरी मिलने के बाद उसे आयुष विश्वविद्यालय के नाम कर दिया जाएगा. उन्होंने कहा कि वह खुद और ज्वाइंट मजिस्ट्रेट सदर गौरव सिंह सोगरवाल ने बांसस्थान की जमीन को चिह्नित किया है. जमीन का पूरा विवरण जुटाकर संतुष्ट होने के बाद ही दो-तीन दिनों में प्रस्ताव शासन को भेजा जाएगा. जिससे आगे कोई रुकावट न आए.