गोरखपुर: प्रदेश के श्रम और सेवायोजन मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा है कि योगी सरकार में श्रमिकों के हित के लिए कुल 18 प्रकार की योजनाएं संचालित की जा रही हैं. उन्होंने कहा कि प्रदेश की पिछली सरकारें जो अपने को मजदूर-किसान की हितैषी कहती हैं, वह सिर्फ साइकिल बांटती थी. उन्होंने कहा कि आजादी के बाद प्रदेश की योगी सरकार ऐसी पहली सरकार है जिसने श्रमिकों के हित के लिए 'श्रमिक कल्याण बोर्ड' का गठन किया है.
गोरखपुर पहुंचे स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि श्रमिकों के बच्चों की पढ़ाई-लिखाई हो या फिर उनके शिक्षा, स्वास्थ्य की बात, सब की पूर्ति योगी सरकार कर रही है. यही नहीं उनके बेटियों की शादी का भी जिम्मा सरकार उठा रही है. उन्होंने कहा कि संविधान के रचयिता बाबा साहब भीमराव अंबेडकर और एकात्म मानववाद के प्रणेता पंडित दीनदयाल उपाध्याय का सपना था कि समाज के अंतिम छोर पर बैठे हुए व्यक्ति को आगे बढ़ाया जाय, जिस पर योगी सरकार बड़ी मजबूती के साथ काम कर रही है.
यही नहीं पहली बेटी अगर दिव्यांग पैदा होती है तो उसे 50 हजार की सहायता दी जा रही है, जो 18 साल की उम्र के साथ ही यह राशि बढ़कर दो लाख रुपये हो जाती है. प्राइमरी से लेकर हायर एजुकेशन तक शिक्षा के लिए श्रमिकों के बच्चों को माहवार आर्थिक मदद करते हैं. उन्होंने कहा कि कोरोना काल के दौरान यूपी में 40 लाख प्रवासी मजदूरों का आना हुआ. जिन्हें योगी सरकार ने 15 दिन न सिर्फ भोजन दिया और उन्हें एक हजार की आर्थिक सहायता दी है.
उन्होंने कहा कि श्रमिकों को रोजगार का आगे चलकर कोई संकट न हो इसलिए योगी सरकार ने प्रदेश में पहली बार श्रमिक सेवायोजन आयोग का गठन किया. इसके तहत ऐसे श्रमिक जो अब अपने प्रदेश को छोड़कर दूसरे देश-प्रदेश नहीं जाना चाहते उनके स्किल के अनुसार उन्हें यूपी में सेवा योजित किया जाएगा. उन्होंने कहा कि जिस प्रकार 18 योजनाओं के माध्यम से सरकार निर्माण श्रमिकों के कल्याण का काम कर रही है उसी प्रकार प्रवासी मजदूरों के लिए भी काम कर रही है.
उन्होंने कहा कि आज उनके विभाग के पास श्रमिकों का डेटा तैयार है. इसी प्रकार प्रवासियों का भी तैयार हो चुका है. यही नहीं जो लोग विदेशों में भी जा रहे हैं उनका भी डेटा प्रदेश सरकार विदेश मंत्रालय से पाने की कोशिश करेगी, जिससे किसी भी समस्या में उनके परिवार को मदद पहुंचाई जा सके.