गोरखपुरः भारतीय स्वाधीनता संग्राम के दीवानों को समर्पित चौरी-चौरा इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल के छठवें संस्करण का आगाज मंगलवार को हुआ. यह आयोजन चौरी-चौरा जनांदोलन के नायक शहीद अब्दुल्ला के गांव राजधानी के रामचंद्र इंटरमीडिएट कालेज में आयोजित हो रहा है, जिसमें चौरी-चौरा जनांदोलन से जुड़े शहीदों के आश्रितों को सम्मानित किया गया.
यूपी का पहला फिल्म फेस्टिवल
चौरी-चौरा इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल के फाउंडर शाह आलम ने बताया कि देश के अमर शहीदों की याद में उन्होंने मदद के बिना अपने निजी मित्रों के सहयोग से बनाया है. यह यूपी का पहला फिल्म फेस्टिवल है. इस फेस्टिवल की शुरुआत लगभग 15 वर्ष पहले हुई. यह देश का पहला आयोजन है जो प्रत्येक वर्ष सहादत दिवस पर होता रहा है. इसके लिए वे दो दशक से कार्य कर रहे हैं. शाह आलम ने बताया कि वे भारतीय स्वाधीनता संग्राम के गुमनाम क्रांतिकारियों को उनके दस्तावेजों, उनके पोस्टरों और फिल्मों के माध्यम से ढूंढने का प्रयास कर रहे हैं.
इनका हुआ सम्मान
रामचंद्र इंटरमीडिएट कॉलेज में आयोजित इस फेस्टिवल शहीदों के वंशजो और आश्रितों को सम्मानित किया गया. तीन दिवसीय आयोजन के पहले दिन शहीद विक्रम अहीर और नेऊर पहलवान की वंशज सोमारी देवी, शहीद रूदली केवट के वंशज राम वचन, शहीद नजर अली के वंशज आखिरूज्जमा, कोमल पहलवान के वंशज फौजदार सहित शहीद अब्दुल्लाह के वंशजो को सम्मनित किया गया.
लेखक का सम्मान
फेस्टिवल में विविध सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ आजादी के आंदोलन की गौरवशाली विरासत को याद किया गया. इस दौरान चौरी-चौरा विद्रोह पर पहली पुस्तक लिखकर सरकार का ध्यान आकर्षित करने वाले लेखक राम मूर्ति को भी सम्मानित किया गया. आयोजन समिति में अविनाश गुप्ता, राम उग्रह यादव, योगेन्द्र जिज्ञासु, धीरेन्द्र प्रताप, डॉ. गरिमा, डॉ. सुशील कुमार पांडेय, सुरेन्द्र कुमार, डॉ. धनंजय यादव, रूद्र प्रताप, पारसनाथ मौर्या, डॉ. शंभू निषाद, विजेन्द्र अग्रहरि, अमरजीत गिरी, सुनील तिवारी आदि शमिल हैं.