गोरखपुर: पिपराइच पुलिस की अभिरक्षा में मौत (in case of death in custody SHO suspended) के मामले में हाइकोर्ट (high court) के द्वारा एसएसपी को तलब किए जाने के बाद थाने के तत्कालीन थानेदार शंभू नाथ सिंह को सस्पेंड किया गया है. वर्तमान में शंभूनाथ सिंह पुलिस लाइंस में तैनात थे. दरअसल, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पिपराइच थाना पुलिस की अभिरक्षा में मौत मामले के विवेचना अधिकारी व गोरखपुर के एसएसपी को पांच दिसंबर यानि सोमवार को तलब किया था, साथ ही व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल कर स्थिति स्पष्ट करने के निर्देश दिए थे. इलाहाबाद हाइकोर्ट जाने से पूर्व ही तत्कालीन थानेदार शंभूनाथ सिंह को सस्पेंड किया गया.
कोर्ट ने कहा था कि नौ अगस्त 2022 को मृतक के भाई की ओर से दर्ज एफआईआर में याची तथा गांव वालों पर चोरी के आरोप में उसके भाई को छह अगस्त को पीटने का आरोप लगाया गया.इससे उसकी मौत होने की बात की गई है. दूसरी तरफ याची का कहना है कि 7 अगस्त 2022 को रिमांड मजिस्ट्रेट के समक्ष पेशी के समय मृतक के शरीर पर चोट नहीं थी तो 6 अगस्त 22 को गांव वालों के पीटने से उसे कैसे चोटें आईं. यह विरोधाभास कैसे है.याचिका की सुनवाई पांच दिसंबर को होनी है. यह आदेश न्यायमूर्ति सुरेश कुमार गुप्ता ने विक्रम सिंह की याचिका की सुनवाई करते हुए दिया था.
याची ने पिपराइच थाने में एक एफआईआर धारा 457, 380 भारतीय दंड संहिता के तहत दर्ज कराई. विवेचना के दौरान 6 अगस्त 22 को पुलिस ने प्रमोद को गिरफ्तार किया. 7 अगस्त को रिमांड मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश कर 7 अगस्त से 20 अगस्त की रिमांड ली. उसे न्यायिक अभिरक्षा में जेल न भेजकर पुलिस अभिरक्षा में रखा गया. 8 अगस्त 22 को उसकी मौत हो गई. पोस्टमार्टम रिपोर्ट में उसके शरीर पर 10 चोटें पाई गईं. इन्हीं चोटों के कारण मौत बताई गई है. पुलिस अभिरक्षा में मौत के बाद मृतक के भाई ने याची तथा गांव वालों के खिलाफ पिटाई करने से मौत का आरोप लगाया है.
इससे विरोधाभास की स्थिति स्पष्ट करने के लिए एसएसपी व विवेचना अधिकारी को हाजिर होने का निर्देश दिया गया था. चूंकि उस समय पिपराइच के थानेदार शंभूनाथ सिंह थे इसलिए उन्हें सस्पेंड किया गया है. इस संबंध में एसपी नार्थ मनोज अवस्थी ने बताया कि शंभूनाथ सिंह को सस्पेंड किया गया है.
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