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राम मंदिर की स्थापना में गोरखपुर के इन तीन लोगों की महत्वपूर्ण भूमिका

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Published : Aug 3, 2020, 1:02 PM IST

Updated : Aug 3, 2020, 2:00 PM IST

अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण शुरू हो चुका है. राम मंदिर आंदोलन में गोरखपुर के इन तीन लोगों की मुख्य भूमिका रही है. इन तीन नामों में यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय वीर बहादुर सिंह, उस समय के वर्तमान जज रहे कृष्ण मोहन पांडेय और मंहत अवैद्यनाथ का नाम मुख्य रूप से शामिल है.

राम मंदिर भूमिपूजन
राम मंदिर भूमिपूजन

गोरखपुर: पांच अगस्त को अयोध्या में राम मंदिर की आधारशिला रखी जाएगी. करोड़ों हिंदुओं की आस्था जहां इस दिन फलीभूत होती नजर आएगी, वहीं इस शुभ घड़ी के लिए गोरखपुर के उन चार महान हस्तियों की भी बरबस याद आएगी, जिन्होंने इसके लिए धर्म, राजनीति और हिंदुत्व के एजेंडे पर काम किया.

राम मंदिर आंदोलन के मुख्य लोग

वहीं न्याय व्यवस्था में भी उच्च पद पर बैठे व्यक्ति का भी गोरखपुर से नाता रहा, जिस समय राम मंदिर का ताला खुला उस समय प्रदेश के मुख्यमंत्री गोरखपुर के रहने वाले वीर बहादुर सिंह थे, जिनके अगुवाई में राम मंदिर का ताला खुला. इस दौरान मौके पर राम मंदिर आंदोलन समिति के अध्यक्ष महंत अवैद्यनाथ की भी मौजूदगी रही. इसमें खास बात यह कि जिस जज के कोर्ट से आदेश निकाला वह भी गोरखपुर के रहने वाले थे, जिनका नाम कृष्ण मोहन पाण्डेय था.

आज जब मंदिर की आधारशिला रखी जाएगी तो एक बार फिर प्रदेश की बागडोर और मुख्यमंत्री की कुर्सी पर गोरक्ष पीठाधीश्वर महंत योगी आदित्यनाथ विराजमान हैं. इन सभी की भूमिका को राम मंदिर निर्माण में नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है.

पूर्व मुख्यमंत्री वीर बहादुर सिंह ने खुलावाया था ताला

पूर्व मुख्यमंत्री वीर बहादुर सिंह के विधायक पुत्र ने कहा कि जब 1 फरवरी 1986 को राम मंदिर का ताला खुला था उस समय की परिस्थितियां इस बात की गवाह हैं कि तत्कालीन मुख्यमंत्री के नेतृत्व में ही राम मंदिर का ताला खोला गया था. इसके साक्षी योगी आदित्यनाथ के गुरु महंत अवैद्यनाथ खुद वहां मौजूद थे.

महंत अवैद्यनाथ से वीर बहादुर सिंह के अच्छे संबंध थे, जिसकी चर्चा करते हुए फतेह बहादुर सिंह ने कहा कि उनके पिता हिंदूवादी विचारधारा के थे, जिन्हें ब्रह्मलीन महंत अवैद्यनाथ का अपार स्नेह मिलता था. यही वजह है कि वीर बहादुर सिंह राम मंदिर निर्माण को लेकर अपनी इच्छा और करोड़ों हिंदुओं की आस्था को देखते हुए महंत अवैद्यनाथ के नेतृत्व में चल रहे आंदोलन को मजबूती देने के लिए अपना पूरा सहयोग और समर्थन दिया.

फतेह बहादुर ने कहा कि अब जबकि राम मंदिर बनने जा रहा है तो उनके दिवंगत पिता की आत्मा को भी इससे काफी खुशी मिलेगी, जिसका उन्होंने सपना ही नहीं देखा था, बल्कि राम मंदिर का ताला खुलवा कर वहां पर पूजा-अर्चना की शुरुआत करवाई थी.

यह कितना गजब का संजोग है कि गोरखपुर के इन तीन नहीं बल्कि चार कहे तो कुछ गलत ना होगा, जिन्होंने राम मंदिर का ताला खुलवाने से लेकर आज उसके निर्माण में भागीदार और साक्षी दोनों बन रहे हैं, जिनमें पूर्व मुख्यमंत्री वीर बहादुर सिंह, फैजाबाद के तत्कालीन जज कृष्ण मोहन पांडेय, तत्कालीन गोरक्ष पीठाधीश्वर और राम मंदिर निर्माण के लिए बनाई गई आंदोलन समिति के अध्यक्ष महंत अवैद्यनाथ और वर्तमान में उनके शिष्य योगी आदित्यनाथ. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अयोध्या में रामलला का मंदिर बनने जा रहा है, जिससे 70 वर्षों से चली आ रही कानूनी लड़ाई और राजनीतिक दखलअंदाजी भी खत्म हो रही है.

गोरखपुर: पांच अगस्त को अयोध्या में राम मंदिर की आधारशिला रखी जाएगी. करोड़ों हिंदुओं की आस्था जहां इस दिन फलीभूत होती नजर आएगी, वहीं इस शुभ घड़ी के लिए गोरखपुर के उन चार महान हस्तियों की भी बरबस याद आएगी, जिन्होंने इसके लिए धर्म, राजनीति और हिंदुत्व के एजेंडे पर काम किया.

राम मंदिर आंदोलन के मुख्य लोग

वहीं न्याय व्यवस्था में भी उच्च पद पर बैठे व्यक्ति का भी गोरखपुर से नाता रहा, जिस समय राम मंदिर का ताला खुला उस समय प्रदेश के मुख्यमंत्री गोरखपुर के रहने वाले वीर बहादुर सिंह थे, जिनके अगुवाई में राम मंदिर का ताला खुला. इस दौरान मौके पर राम मंदिर आंदोलन समिति के अध्यक्ष महंत अवैद्यनाथ की भी मौजूदगी रही. इसमें खास बात यह कि जिस जज के कोर्ट से आदेश निकाला वह भी गोरखपुर के रहने वाले थे, जिनका नाम कृष्ण मोहन पाण्डेय था.

आज जब मंदिर की आधारशिला रखी जाएगी तो एक बार फिर प्रदेश की बागडोर और मुख्यमंत्री की कुर्सी पर गोरक्ष पीठाधीश्वर महंत योगी आदित्यनाथ विराजमान हैं. इन सभी की भूमिका को राम मंदिर निर्माण में नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है.

पूर्व मुख्यमंत्री वीर बहादुर सिंह ने खुलावाया था ताला

पूर्व मुख्यमंत्री वीर बहादुर सिंह के विधायक पुत्र ने कहा कि जब 1 फरवरी 1986 को राम मंदिर का ताला खुला था उस समय की परिस्थितियां इस बात की गवाह हैं कि तत्कालीन मुख्यमंत्री के नेतृत्व में ही राम मंदिर का ताला खोला गया था. इसके साक्षी योगी आदित्यनाथ के गुरु महंत अवैद्यनाथ खुद वहां मौजूद थे.

महंत अवैद्यनाथ से वीर बहादुर सिंह के अच्छे संबंध थे, जिसकी चर्चा करते हुए फतेह बहादुर सिंह ने कहा कि उनके पिता हिंदूवादी विचारधारा के थे, जिन्हें ब्रह्मलीन महंत अवैद्यनाथ का अपार स्नेह मिलता था. यही वजह है कि वीर बहादुर सिंह राम मंदिर निर्माण को लेकर अपनी इच्छा और करोड़ों हिंदुओं की आस्था को देखते हुए महंत अवैद्यनाथ के नेतृत्व में चल रहे आंदोलन को मजबूती देने के लिए अपना पूरा सहयोग और समर्थन दिया.

फतेह बहादुर ने कहा कि अब जबकि राम मंदिर बनने जा रहा है तो उनके दिवंगत पिता की आत्मा को भी इससे काफी खुशी मिलेगी, जिसका उन्होंने सपना ही नहीं देखा था, बल्कि राम मंदिर का ताला खुलवा कर वहां पर पूजा-अर्चना की शुरुआत करवाई थी.

यह कितना गजब का संजोग है कि गोरखपुर के इन तीन नहीं बल्कि चार कहे तो कुछ गलत ना होगा, जिन्होंने राम मंदिर का ताला खुलवाने से लेकर आज उसके निर्माण में भागीदार और साक्षी दोनों बन रहे हैं, जिनमें पूर्व मुख्यमंत्री वीर बहादुर सिंह, फैजाबाद के तत्कालीन जज कृष्ण मोहन पांडेय, तत्कालीन गोरक्ष पीठाधीश्वर और राम मंदिर निर्माण के लिए बनाई गई आंदोलन समिति के अध्यक्ष महंत अवैद्यनाथ और वर्तमान में उनके शिष्य योगी आदित्यनाथ. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अयोध्या में रामलला का मंदिर बनने जा रहा है, जिससे 70 वर्षों से चली आ रही कानूनी लड़ाई और राजनीतिक दखलअंदाजी भी खत्म हो रही है.

Last Updated : Aug 3, 2020, 2:00 PM IST
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