गोरखपुर: ' बेटी पढ़ाओ और बेटी बचाओ' का नारा मौजूदा दौर में खूब चलाया जा रहा है. वहीं जिले में 1936 में तत्कालीन मियां साहब जव्वाद अली शाह की बेगम हैदरी बेगम ने शिक्षा के क्षेत्र में बड़ी मिसाल कायम की.
इमामबाड़ा मुस्लिम गर्ल्स इंटर कॉलेज मौजूदा दौर में मुस्लिम बेटियों की शिक्षा के साथ हर वर्ग की बेटियों की शिक्षा का एक अद्भुत केंद्र नजर आता है. इमामबाड़ा परिसर में यह स्कूल प्राइमरी से लेकर इंटर और डिग्री मुस्लिम गर्ल्स कॉलेज के नाम से संचालित होता है. जहां बेटियां पूरे सुरक्षित और व्यवस्थित माहौल में शिक्षा ग्रहण कर रही हैं.
इसे बी पढ़ें- महिलाओं की सहभागिता बढ़ाने पर दिया जाएगा जोर: प्रमुख सचिव आराधना शुक्ला
हैदरी बेगम का शिक्षा के क्षेत्र में अहम योगदान
हैदरी बेगम ने बेटियों की शिक्षा के इस केंद्र को आजादी से 11 वर्ष पहले एक मदरसे के रूप में शुरू किया था. वह बेटियों को शिक्षित करने के लिए लालायित थीं और इसके लिए उन्होंने अपने विवाह में मिली 'मेहर' की रकम का उपयोग किया.
इसके लिए उन्हें परिवार के लोगों की रजामंदी भी मिल गई थी. लखनऊ के हावर्ड कॉलेज में पढ़ी मरहूम हैदरी बेगम ने शादी के बाद इमामबाड़े के एक हिस्से को लड़कियों की तामीर के लिए इस्तेमाल पर जोर दिया. जिसके चलते आज के दौर में पूर्वांचल में महिला शिक्षा का यह बड़ा केंद्र है.
हैदरी बेगम का खासकर मुस्लिम समाज की बेटियों के लिए बड़ी सौगात
मदरसे से शुरू हुआ यह स्कूल 1948 में इमामबाड़ा हाई स्कूल और फिर 1956 में इंटर कॉलेज में तब्दील हो गया. हैदरी बेगम के पोते फर्रुख अली शाह उर्फ मियां साहब अपनी दादी की शिक्षा के क्षेत्र में उठाए गए कदम की तारीफ करने से नहीं थकते हैं.
वहीं स्कूल की प्रिंसिपल भी कहती हैं कि जिस दौर में बेटियों को खासकर मुस्लिम समाज की बेटियों की शिक्षा के बारे में कोई सोचता नहीं था. उस दौर में हैदरी बेगम ने जो कर दिखाया वह मिसाल बन गया.
हर समाज की बेटियों को शिक्षा प्रदान कर रहा यह कॉलेज
शिक्षा की अलख यहीं नहीं रुकी. वर्ष 1973 में इमामबाड़ा परिसर में गर्ल्स पीजी कॉलेज भी स्थापित किया गया. वहां सिर्फ मुस्लिम ही नहीं बल्कि हर समाज की बेटियां शिक्षा ग्रहण कर रही हैं. मौजूदा समय में यहां करीब साढ़े छह हजार छात्राएं तालीम हासिल कर रही हैं. बेटियों की शिक्षा का यह केंद्र पूरी तरह से सुरक्षित माहौल में संचालित होता है.
जहां योग्य शिक्षक और शिक्षिकाओं द्वारा शिक्षा प्रदान की जाती है. इसके साथ ही सीसीटीवी कैमरों की निगरानी में सुरक्षा और पठन-पाठन के कार्यों पर स्कूल प्रबंधन अपनी नजरें बनाए रखते हैं. यही वजह है कि इमामबाड़ा स्टेट के गद्दीनशीं फर्रुख अली शाह, मियां साहब विरासत में मिली इस परंपरा को बखूबी आगे बढ़ाने में जुटे हुए हैं. इसके साथ ही यहां पढ़ने वाली बेटियों का हौसला भी बुलंद है.